Placeholder canvas

कभी बीड़ी बनाकर बमुश्किल गुज़ारा करतीं थीं, आज बन गईं हैं महिला सशक्तिकरण की मिसाल

ubhadra khaprde Woman empowerment

सुभद्रा के एनजीओ की मदद से , जंगल अधिकार, भू अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-संवर्धन, महिला स्वास्थ्य, शिक्षा, नवीनीकरणीय ऊर्जा एवं देसी प्राकृतिक खेती पर काम जारी है।

हिलाओं को हमारे देश में आधी आबादी कहा जाता है और यही आधी आबादी कुछ करने पर आ जाए तो न सिर्फ अपनी, बल्कि समाज की सूरत भी बदल सकती है। हमारी इस कहानी की नायिका  ने भी ऐसा ही कुछ किया है। लाख परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने परिस्थिति के आगे घुटने नहीं टेके और खुद के जीवन को एक नई दिशा देने में कामयाब हुई। यह कहानी मध्यप्रदेश के देवास जिला के पांडुतालाब गांव की सुभद्रा खापर्डे की है।

सुभद्रा खापर्डे ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा जन्म आज के छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला के दरगाहान गांव में हुआ था। जन्म की तारीख तो सही से पता नहीं पर स्कूल में 30 जून, 1967 दर्ज है। मेरा पूरा परिवार बहुत गरीब था, आर्थिक तंगियों में जीवन गुज़रा। पिताजी खेत पर काम करने के लिए मजदूर नहीं लगा सकते थे, इसलिए 6 साल की उम्र से ही मुझे घर और खेत के कामों में मदद करने आगे आना पड़ा। स्कूल की पढ़ाई शुरू होने के बाद भी मुझे घर में काम करना पड़ता था।”

Subhadra khaprde Woman empowerment
सुभद्रा खापर्डे

गरीबी में बीता बचपन

सुभद्रा के पिता की नौकरी थी लेकिन कुछ कारणों से वह बेरोजगार हो गए। उनका परिवार पैतृक गांव जेपरा आ गया, जहां उनकी चार एकड़ ज़मीन थी। सुभद्रा का 6 भाई बहनों का परिवार था।

गरीबी की वजह से पढ़ाई नहीं करने वाली सुभद्रा को जब मौका मिला तो उन्होंने पढ़ाई पूरी की। उन्होंने उच्च माध्यमिक विद्यालय की परीक्षा 1986 में उत्तीर्ण की। 1997 में इग्नू में दाखिला लिया और 2005 में राजनीति शास्त्र में स्नातक की उपाधि हाँसिल की। इसके बाद 2008 में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से समाज कार्य में स्नातकोत्तर किया। इसी विश्वविद्यालय से एम. फिल की उपाधि भी 2010 में प्राप्त की। इसके उन्होंने 2015 में बाबा साहब अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, महू में पीएचडी के लिए दाखिला भी लिया।

प्रयोग’ संस्था से जुड़ना हुआ 

1988 में एक सामाजिक कार्यकर्ता सिद्धू कुंजम से सुभद्रा खापर्डे की मुलाकात होती है और इस तरह वह सामाजिक संस्था ‛प्रयोग’ से जुडीं हैं। वह बताती हैं, “वह बहुत मुश्किल भरा वक्त था। पैसे का अभाव था। मैं शादी भी नहीं करना चाहती थी। बीड़ी बनाकर कुछ पैसे मिल जाते थे, जिससे गुज़ारा हो जाता था। सरकारी नौकरी पाने की भी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।”

उस मुश्किल घड़ी में सुभद्रा ने ‛प्रयोग’ से जुड़कर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का प्रशिक्षण लिया और 200 रुपये की मासिक तनख्वाह पर काम करने लगीं। उन्होंने 1991 में नर्मदा बचाओ आंदोलन की संघर्ष यात्रा के प्रचार में भी हिस्सा लिया। जीवन के इस मोड़ पर उनकी मुलाकात ‛खेदुत मजदूर चेतना संगत’ के राहुल बनर्जी से हुई। 1993 में सुभद्रा और राहुल वैवाहिक बंधन में बंध गए।

इसके बाद दोनों ने इंदौर, खरगोन एवं देवास जिलों में आदिवासी अधिकार एवं महिला स्वास्थ्य पर काम करना शुरू किया, जो आज भी जारी है।

Subhadra khaprde Woman empowerment
गाँव में महिलाओं से बातचीत करतीं सुभद्रा खापर्डे

अपनी संस्थाएँ बनाईं

आगे चलकर आदिवासी महिलाओं के साथ मिल उन्होंने दो संस्थाएं बनाई। 1995 में सुभद्रा ने खरगोन एवं देवास जिले में स्वतंत्र रूप से ‛कनसरी नु वदावनो’ नामक संगठन का गठन कर महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकार पर कार्य शुरू किया। इसके लिए उन्हें Macarthur Foundation से फेलोशिप भी मिली।

उन्होंने ‛महिला जगत लिहाज समिति’ नाम से एक एनजीओ भी बनाया, जिसके तहत जंगल अधिकार, भू अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-संवर्धन, महिला स्वास्थ्य, शिक्षा, नवीनीकरणीय ऊर्जा एवं देसी प्राकृतिक खेती पर काम जारी है।

Subhadra khaparde
महिला जगत लिहाज समिति के स्टालपर पर अपने उत्पादों के साथ

महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष जोर दिया

जब सुभद्रा 13 साल की थी तो उनकी मां गरीबी में बिना इलाज के चलते गुजर गईं,  इसलिए उनके मन में शुरू से महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर काम करने की इच्छा थी। महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए वह  बस्तियों में जाकर स्वास्थ्य  शिविरों का आयोजन करती हैं, जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ, नर्स, लैब टेक्नीशियन भी साथ ले जाती हैं, जांच के बाद दवाई भी दी जाती है।

Subhadra khaprde Woman empowerment
महिलाएँ के जीवन में बदलाव आ रहा है

रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती की ओर क़दम बढ़ाया…

सुभद्रा ने इंदौर की बस्तियों में गरीब औरतों के स्वास्थ्य संबंधी कार्य करते हुए उन्होंने पाया कि औरतों की सेहत का खराब होना उनके रोज़मर्रा के भोजन से जुड़ा है। उनके भोजन में ऐसा क्या शामिल किया जाए कि पोषण में सुधार हो। उन्होंने देखा कि बाजार के फल, सब्जी एवं अन्य खाद्य पदार्थ सभी रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों से उत्पादित होकर सेहत के लिए हानिकारक बने हुए हैं। पोषण के साथ-साथ शरीर में जहर भी घुल रहा है।

Subhadra khaprde Woman empowerment
किसानों को जानकारी देतीं सुभद्रा

भोजन में प्राकृतिक रूप से उत्पादित चीजों को शामिल करने के लिए उन्होंने ग्राम पांडुतालाब में एक एकड़ ज़मीन खरीदी और वहीं से प्राकृतिक खेती की शुरूआत की। खेती के अधिकतर कार्यों के लिए उन्होंने औरतों को ही अपने साथ जोड़ा, ताकि पारंपरिक खेती अपना सकें और खुद खेती में प्रयोग भी कर सकें।

2019 से उन्होंने देसी बीजों के सरंक्षण का भी कार्य शुरू किया है। आज उनके पास बाजरा, कोदो, कुटकी, भादी, बट्टी, राला, रागी, मोटली ज्वार, चिकनी ज्वार, कंटोली ज्वार, सफेद मक्का, लाल राजगिरा, तूअर हरा (खाने वाली), लाल तूअर दाल के लिए, चना, भूरी और काली कुल्थी, राम तिल, राई, अलसी, सरबती, सुजाता, मुंडी पिस्सी गेंहू की कई किस्में उपलब्ध हैं।

कभी बीड़ी बनाकर बमुश्किल गुज़ारा करतीं थीं, आज बन गईं हैं महिला सशक्तिकरण की मिसाल
ऑर्गेनिक फेस्टिवल में आगंतुकों को देसी बीजों की जानकारी देते हुए

इसके अलावा सुभद्रा को उनकी अब तक की सराहनीय सेवाओं के लिए 2011 में ‘टाइम्सेस ऑफ़ इंडिया सोशल इम्पैक्ट अवार्ड्स’ से नवाजा जा चुका है।  इसके अलावा सामाजिक कार्य के लिए 2019 में गांधी भवन, भोपाल द्वारा ‛कस्तूरबा सम्मान’ एवं ग्राम सेवा समिति होशंगाबाद द्वारा ‛बनवारीलाल सम्मान’ भी मिल चुका है। वह आज भी अपने परिवार और महिलाओं के साथ जागरूकता की इस मुहिम में जुटी हैं।

Subhadra khaprde Woman empowerment
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सुभद्रा के स्टाल का निरीक्षण करती हुईं

यदि आप सुभद्रा खापर्डे के काम के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो उनसे इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं-09826281773

सुभद्रा का ईमेल पता है-subhadra.khaperde@gmail.com

वेबसाइट-https://subhadrakhaperde.in/

यह भी पढ़ें- पहले खेती करतीं हैं, फिर उस फसल की प्रोसेसिंग घर पर कर मार्केटिंग भी करतीं हैं यह किसान!

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X