भारत में किसानो की समस्या किसी से भी छुपी नहीं है। पर सिर्फ सूखा, बेमौसम बारिश या ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक समस्याएं ही किसान की मुश्किलों का कारण नहीं हैं। ऐसी कई दिक्कतें हैं जो सिस्टम द्वारा किसानो के लिये खड़ी की गयी हैं। उनके लिए कागज़ पर सहुलियते और वादे तो बहुत हैं पर ज़मीनी हकीकत कुछ और हैं। इसी सिस्टम से लड़ता हुआ किसान (Farmers protest) जब थक जाता हैं तो एक जन सैलाब की तरह उमड़ता है।
ऐसा ही जन-सैलाब आज मुंबई में आया हुआ है। महाराष्ट्र में ‘भारतीय किसान संघ’ ने नासिक से मुंबई तक किसानों की पदयात्रा का आयोजन किया। करीब 34,000 से भी ज़्यादा किसानो ने इस आंदोलन में भाग लिया और 7 मार्च को नासिक से पैदल निकल पड़े मुंबई की तरफ। पांच दिनों में180 किमी से भी लम्बी यात्रा के बाद ये किसान कल मुंबई पहुंचे। यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते इन बहादुर किसानो की हिम्मत में तो कोई कमी नहीं आई पर इनके पैरों के घाँव देख मुंबई वालो का दिल पसीज गया!
हाथ में लाल झंडा लिए ये किसान चाहते तो रात भर सोमैया मैदान में आराम कर, सुबह विधान सभा की तरफ कूच कर सकते थे। पर ये किसान रात दो बजे ही अपने मुकाम पर पहुँचने के लिए चल दिए ताकि आज सुबह बोर्ड परीक्षा देने जा रहे छात्रों को इनके आंदोलन से दिक्कत न हो।
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तपती हुई धुप में इनकी इस 6 दिन की यात्रा में कई किसानो के जूते-चप्पल टूट गए पर पैरो में छाले लिए ये किसान चलते रहे।
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इस बात का पता जब मुंबई वालों को चला तब वे किसानो की मदद के लिए चप्पलें और अन्य ज़रूरतों का सामान उन्हें देने चले आये।
ठाणे मतदाता जागरण मंच नामक एक स्वयं सेवी संस्था ने 500 किलो अनाज देकर इन किसानों की सहायता की।
इस संस्था के एक सदस्य उन्मेष बगावे ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया,”हम शुरू से ही आंदोलन कर रहे इन किसानों के संपर्क में थे। हालाँकि उन्होंने कोई भी मदद लेने से इंकार कर दिया था पर हम जानते हैं कि हम सबका पेट भरने के लिए ये किसान कितनी मुश्किलों से गुज़रते है और इसलिए हम उनकी थोड़ी ही सही पर कुछ तो मदद करना चाहते थे।”
इसी तरह दो और स्वयं सेवी संस्थाएं इन किसानो के लिए जूते और चप्पलों का इंतजाम करने में जुट गयी।
Farmers protest
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मुंबई के फ्लावर वैली की रहने वाली नीता कार्निक, जिन्होंने करीब 100 जूतों का इंतजाम किया, बताती है, “हम लोग तब सदमे में आ गए जब हमने इन किसानों को हाईवे पर नंगे पाँव चलते देखा। हम में से कुछ लोगो ने तो तुरंत अपनी चप्पलें उतार कर औरतों को दे दी और कुछ अगले दिन उन्हें देने के लिए और जूते और चप्पलें ले आये।”
सिर्फ ठाणे ही नहीं बल्कि जोगेश्वरी की एक युवा संस्था जागृति मंच भी इन किसानों की मदद के लिए आगे आई।
मुंबई मिरर की रिपोर्ट के अनुसार जागृति मंच के एक सदस्य, 33 वर्षीय आई टी कर्मचारी, कमलेश शामंथुला ने रविवार को अकेले 4000 से ऊपर व्हाट्सअप मेसेज भेज कर लोगों को किसानो के लिए जूते-चप्पलें दान करने की अपील की। उनकी ये कोशिश रंग लायी और कुछ घंटो में ही सोमैया ग्राउंड पर किसानो की मदद करने वालो का तांता लग गया।
कुछ संस्थाओं ने इन किसानो के लिए रात के खाने का भी इंतजाम किया हुआ था। साथ ही बिस्कुट, चोकलेट, तैयार नाश्ता और पानी का भी इंतजाम किया गया।
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कमलेश कहते है, “इन किसानों की वजह से ही तो हमें खाना मिलता है। अगर ये लोग ही नहीं होंगे तो क्या बाकी रह जायेगा? आज उन्हें हमारी ज़रूरत है।”
किसानों की मांग है कि बीते साल सरकार ने कर्ज़ माफ़ी का जो वादा किसानों से किया था उसे पूरी तरह से लागू किया जाए। किसानों का कहना है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए और गरीब और मझौले किसानों के कर्ज़ माफ़ किए जाएं।
इसके साथ ही किसान आदिवासी वनभूमि के आवंटन से जुड़ी समस्याओं के निपटारे की भी मांग कर रहे हैं ताकि आदिवासी किसानों को उनकी ज़मीनों का मालिकाना हक मिल सके।
भारतीय किसान संघ के राज्य सचीव अजीत नवले ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के ज़रिये मुंबई वासियों का धन्यवाद करते हुए कहा, “मुंबई वासियों ने हम जो प्यार बरसाया है, हम उसके बहुत आभारी है। हमे ये देखकर बहुत ख़ुशी हुई कि शहर में रहने वाले लोगों ने हम गाँव में रहने वाले गरीब किसानों की समस्याओं को समझा। अब बस यही उम्मीद है कि सरकार भी हमारी मुसीबतों को समझेगी और हमारी मांगो को पूरी करेगी।”
हमें भी आशा है कि किसानों की सभी समस्याओं का जल्द ही निवारण होगा और केवल मुंबई वासियों का प्यार ही नहीं बल्कि अपनी मुसीबतों का हल लेकर अपने अपने घर लौट पाएंगे।
#जय_किसान
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