मेरे बच्चे उस उम्र में हैं जहां उन्हें लगता है कि सुपरहीरो सच में होते हैं। वे ऐसी कहानियों के शौकीन हैं जिसमें अलग पोशाक पहने एक योद्धा लड़ता है और दुनिया को बचाता है। आज रात मैं उन्हें 15 वर्षीय मुकेश बिश्नोई की कहानी सुनाऊंगा – जो असल ज़िंदगी में एक सुपरहीरो है!
‘द बेटर इंडिया’ ने मुकेश से बात की, जिसने हमें 10 मई 2020 की रात की उस घटना के बारे में बताया जब उसने अपनी जान जोखिम में डालकर शिकारियों का सामना किया।
10वीं कक्षा का छात्र मुकेश, जोधपुर जिले (राजस्थान) के बलेसर के पास भालु रजवा (केतु) गाँव का रहने वाला है, जिसने हाल ही में अपने साहस से एक जानलेवा खतरे का सामना किया। 10 मई 2020 की रात मुकेश और उसका दोस्त पुखराज एक मोटरसाइकिल पर रोज की तरह गाँव के बाहरी इलाके में गश्त लगा रहे थे।
मुकेश बताते हैं, “जब से लॉकडाउन की घोषणा हुई है तब से हर रात 8 से 2 के बीच में हममें से किसी एक समूह को रात में गश्त करनी होती है। ऐसा इस क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।’
गश्त के दौरान मुकेश ने बंदूक की आवाज सुनी। बिना किसी भय के ये लड़के तुरंत उस ओर दौड़ पड़े। चार शिकारी उनके सामने खड़े थे, जिन्होंने थोड़ी देर पहले ही एक चिंकारा का शिकार किया था।
सभी शिकारी हट्टे-कट्टे आदमी थे और सभी के पास बंदूकें थीं। उनकी संख्या अधिक थी लेकिन मुकेश और पुखराज ने डटकर उनका सामना किया। इस मुठभेड़ के बीच में ही दो शिकारी चिंकारा लेकर भाग गए और उसके थोड़ी देर बाद दो अन्य शिकारी भी भागने में सफल रहे।
मुकेश ने बताया, “वे कुल चार थे और उनके पास हथियार भी थे। मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे जमीन पर धकेल दिया और भाग निकले।”
मुकेश और पुखराज घटना के लगभग एक घंटे बाद तक उनकी तलाश करते रहे, लेकिन वे भागने में सफल रहे।
क्या आपको अपनी जान का डर नहीं था, यह पूछे जाने पर वह हंसते हुए कहते हैं, “एक पल के लिए भी नहीं। यह मेरी ड्यूटी है और इसमें डरने की कोई बात नहीं है।”
मुकेश ने यह भी बताया कि लॉकडाउन के दौरान शिकारियों के साथ यह उनका दूसरा मुठभेड़ था।
चिंकारा राजस्थान का आधिकारिक राज्य पशु है और इसे भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई है।
लेकिन मार्च में कोविड-19 लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही चिंकारा के अवैध शिकार की घटनाएं बढ़ गई हैं। मुकेश जैसे बहादुर स्वयंसेवक, संरक्षण कार्यालय की मदद करते रहते हैं।
इस घटना की रिपोर्ट सबसे पहले गैर-सरकारी संगठन इकोलॉजी, रूरल डेवलपमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी फाउंडेशन (द ईआरडीएस फाउंडेशन) ने की थी, जिसने इस बात की भी पुष्टि की थी कि, “वह [मुकेश] एक युवा है, जिसकी कुछ दोस्तों की टीम है जो पश्चिम राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करते हैं। पिछले एक महीने में उनकी टीम दो अवैध घटनाओं को रोक चुकी है।”
स्थानीय पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है और जांच पड़ताल जारी है।
इस वीडियो में मुकेश घटना के बारे में बता रहे हैं। भारत का भविष्य मुकेश जैसे युवा और निडर योद्धाओं के सुरक्षित हाथों में उज्जवल नजर आता है!
मूल लेख – विद्या राजा
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