एक गृहिणी ने टमाटर लगाने से की थी शुरुआत, अब पूरे गाँव की महिलाओं को बना दिया जैविक किसान

महज 10 सदस्यों से शुरु हुए इस समूह में अब 50 महिलाएं शामिल हो चुकी हैं जो सब्जियों, फलों और यहां तक ​​कि धान की खेती करती हैं।

बीस साल पहले अगर किसी ने सीनत कोक्कुर से कहा होता कि एक दिन उन्हें कृषि में महारथ हासिल होगी और वह कई महिलाओं की जिंदगी बदल देंगी तो शायद उन्हें इस बात पर यकीन नहीं होता। लेकिन हुआ यही।

सीनत, जो अब 40 वर्ष की हो चुकी हैं, ऑल विमेन्स फॉर्मिंग ग्रुप की संस्थापक है जिसे ‘पेनमित्र’ नाम दिया गया है। यह समूह पूरे गाँव को ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

पेनमित्र: बढ़ता सफ़र

Kerala Woman Farming Group

सीनत एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और 10वीं के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उसके कुछ समय बाद ही उनकी शादी हो गई।

सीनत ने द बेटर इंडिया को बताया, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि शादी के बाद मेरे जीवन में एक ठहराव आ जाएगा। मैंने सिर्फ 10वीं तक ही पढ़ाई की थी। मैं किसी नौकरी के लिए भी आवेदन नहीं कर सकती थी। इसलिए मैं एक गृहिणी बनकर रह गई। लेकिन किसान परिवार से होने के कारण मैंने सोचा कि मुझे खेती में अपना हाथ आजमाना चाहिए और अपने आसपास जो कुछ भी पैदा हो सकता है मैंने उसी की खेती करने का फैसला किया।’

सीनत ने पास के कृषि भवन से पौधे और बीज लिए और मन्नुथी कृषि विश्वविद्यालय से लगभग 20 ग्रो बैग लिए और उन सभी में टमाटर लगाए। कुछ हफ़्तों के बाद जब पौधों में फल आने शुरु हुए तो उन्हें खेती में आनंद आने लगा।

फिर उन्होंने अपने सब्जियों के बगीचे में भिंडी उगाने का फैसला किया साथ ही उन्होंने खेत में हरी मिर्च और फूलगोभी भी लगायी। कुछ ही समय में आसपास के घरों की महिलाओं ने खेती की उनकी अनोखी तकनीकों और टिप्स के लिए उनसे संपर्क करना शुरू कर दिया।

इसी दौरान सीनत के दिमाग में एक आइडिया आया और उस पर अमल करते हुए उन्होंने ‘पेनमित्र’ (महिलाओं की सहेली) नाम से ऑल विमेन्स फॉर्मिग ग्रुप की शुरुआत की। इस समूह में उन्होंने अपने आस-पास की महिलाओं को सब्जियों की खेती करने के लिए जोड़ा। ये महिलाएं सब्जियां बेच सकती थीं या अपनी जरुरत के अनुसार उपयोग कर सकती थीं।

महज 10 सदस्यों से शुरु हुए इस समूह में अब 50 महिलाएं शामिल हो चुकी हैं जो सब्जियों, फलों और यहां तक ​​कि धान की खेती करती हैं।

पेनमित्र का सफ़र यहीं पर नहीं रुका। उन्होंने कृषि में अपने ज्ञान का विस्तार करने के लिए वर्कशॉप और कक्षाओं में भाग लेना शुरू किया और जल्द ही लोकप्रियता हासिल की। अब उन्होंने बाजारों में अपनी जैविक उपज को बेचना शुरू कर दिया।

सीनत कहती हैं, “पेनमित्र की शुरुआत 2015 में हुई थी, और हमने कभी नहीं सोचा था कि यह सिर्फ पाँच वर्षों में इतना विस्तार करेगा, लेकिन अब कोक्कुर में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसमें जैविक खेती न होती हो। मुझे गर्व महसूस होता है कि हम एक पूरे गाँव को अपनी सब्जियाँ उगाने के लिए प्रेरित करने में सफल साबित हुए।”

धान की खेती

शुरुआती सफलता के बाद सीनत और उनकी टीम ने धान की खेती करने का फैसला किया। बेशक, वे सब्जियों के लिए तो अभी अपने ही खेतों में उगी ताजी सब्जियों का उपयोग कर रही थीं लेकिन उन्हें यह महसूस हुआ कि चावल तो अभी भी बाज़ार से ही खरीदना पड़ रहा है।

इसलिए 5 एकड़ भूमि लीज पर लेकर धान की खेती शुरू की, पेनमित्र ने धान की खेती के लिए मिट्टी तैयार की। कोक्कुर गांव के युवा जो एक बार एक छोटी सी सब्जियों की खेती देखकर ख़ुश हो गए थे, उन लोगों ने भी खेती में अपना सहयोग देने का फैसला किया।

सीनत बताती हैं, “धान की खेती में बहुत अधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है, और जब ये बच्चे खेतों में हमारी मदद करने के लिए एक साथ आए, तो हमें उनका स्वागत करके बेहद खुशी हुई। वे आपस में मिलजुल कर काम करने लगे तो उन लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाए ताकि वे शिफ्टों में काम कर सकें। यह वास्तव में एक अच्छा संकेत था।”

पानी के संकट के बावजूद पेनमित्र एक अच्छी फसल पैदा करने में सफल हुआ। पेनमित्र की एक अन्य सदस्य निरुपमा बताती हैं, “जो लोग सदियों से धान की खेती कर रहे थे, वे भी हमारी फसल की पैदावार देखकर चौंक गए। हमने कृषि भवन के कृषि विशेषज्ञों से भी सलाह ली थी और उन्होंने हमारी बहुत मदद भी की थी।”

विभिन्न क्षेत्रों में काम करना

5 वर्षों में, पेनमित्र महिलाओं को आर्थिक रुप से निर्भर बनाने के लिए पहचाना जाने लगा। सीनत बताती हैं, “हमने विभिन्न कृषि समारोहों में अपने उत्पाद का प्रदर्शन शुरू किया और खेती के अलावा हमने नारियल के गोले और भूसी जैसे प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थों से कलाकृतियां और एसेसरीज बनाने शुरू किए। इन चीजों को प्रदर्शनियों में काफी पसंद किया गया।”

सीनत का लक्ष्य अब पेनमित्र की गतिविधियों को मुर्गी पालन और डेयरी फार्मिंग में विस्तारित करना है और यहां तक ​​कि टैपिओका और नारियल की खेती में भी निवेश करना है।

आज की ज़िंदगी

Kerala Woman Farming Group

सीनत कहती हैं कि, “जब मैं युवा थी तब मुझे अपने कई सपनों से समझौता करना पड़ा। यहां तक कि जब मैंने पेनमित्र शुरु करने का फैसला किया तब मेरे पति और कुछ करीबी दोस्तों ने मुझे कुछ करने से रोकने के लिए काफी हतोत्साहित किया। मुझे शारीरिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी लेकिन इनमें से कोई चीज मुझे रोक नहीं पायी।“

इसके साथ ही सीनत ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने और कॉलेज में दाखिला लेने में भी कामयाबी हासिल की। जब पेनमित्र का सफ़र शुरु ही हुआ था तभी सीनत ने अपनी शिक्षा पूरी करने के सपने को पूरा करने के लिए इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से लांग डिस्टेंस एजुकेशन से शिक्षा लेने का फैसला किया। आज वह न केवल ऑल विमेन्स फॉर्मिंग ग्रुप की प्रमुख हैं, बल्कि इतिहास में बीए के साथ कराटे विशेषज्ञ भी हैं।

यह भी पढ़ें: जानिए कैसे घर में ही लगा सकते हैं अपना चटनी गार्डन!

सीनत कहती हैं “कोई भी चीज आपको अपने सपने पूरा करने से नहीं रोक सकती, ना आपका लिंग, ना उम्र और ना ही परिवार। आपको सिर्फ अपने ऊपर भरोसा होना चाहिए।”

मूल लेख: सेरेन सारा ज़कारिया


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X