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कोविड-19: महिला इंजीनियरों ने बनाया डिवाइस, डॉक्टरों और नर्सों का काम किया आसान!

चारों तरफ फैली इस महामारी में स्वास्थ्य संस्थानों या अस्पतालों के बोझ को कम करने और डॉक्टरों एवं नर्सों की सेहत को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मरीजों की नॉन-कॉन्टैक्ट स्क्रीनिंग होनी चाहिए। हम जिस डिवाइस के बारे में बात करने जा रहे हैं यह ठीक ऐसे ही काम करती है। #COVID19 #Lockdown

कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में तीन बातें बेहद चिंता का विषय हैं जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत है – सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव, मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण हॉस्पिटल में इंफेक्शन का बढ़ना और फ्रंटलाइन पर काम करने वाले डॉक्टरों और नर्सों में कोरोना वायरस का जोखिम बढ़ना।

स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड इंडस्ट्री में 30 सालों से अधिक का अनुभव रखने वाली तीन उच्च शिक्षित महिला इंजीनियरों ने कॉन्टैक्टलेस, वाई-फाई इनेबल्ड, एआई-पावर्ड एक रेस्पिरेशन मॉनीटरिंग डिवाइस बनाई है जो एकदम सटीक परिणाम देती है। इसे rayIoT नाम दिया गया है।

इस डिवाइस से डॉक्टरों को सामान्य मरीजों की दूर से जांच करने में मदद मिलेगी जबकि मरीज की हालत गंभीर होने पर डिवाइस के जरिए ही अलग संकेत मिलेगा।

ये महिला इंजीनियर 2016 से ही साँसों की गति (ब्रीदिंग) को ट्रैक करने वाली टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन पर काम कर रही हैं। RIoT सॉल्यूशंस रंजना नायर, अद्र्रा कन्नन अम्बिली और सांची पूवाया द्वारा संचालित एक स्टार्टअप है। ये पहले से ही raybaby विकसित कर चुकी हैं जो कि बच्चों के लिए बनी दुनिया की पहली नॉन-कॉन्टैक्ट स्लीप और ब्रीदिंग मॉनिटर है जो होम गैजेट के रुप में 2019 में सीएनएन और वायर्ड की पहली पसंद रह चुकी है।

RayIoT – स्कोप

सभी एक्टिव RayIoT डिवाइस एक सेंट्रल डेटाबेस से कनेक्ट हो सकती हैं जो एक बार में 100,000 मरीजों को मॉनिटर कर सकती हैं। रिस्पिरेशन रेट को मॉनिटर करके सभी क्वारंटाइन मरीजों को हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

सांस लेने में तकलीफ कोविड-19 संक्रमण का एक मुख्य लक्षण है जो फ्लू से काफी अलग होता है। यह एकमात्र संकेत है जो आपको यह बताता है कि मरीज हल्के या गंभीर चरण में है। RayIoT सॉल्यूशंस के सह संस्थापक और सीईओ रंजना नायर ने बताया कि RayIoT के जरिए हम लोगों की स्वास्थ्य स्थिति पता करके मरीजों से दूर रहकर हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।

हममें से कई लोगों के पास खुद को आइसोलेशन में रखने की सुविधा है जबकि हमारे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ ऐसा नहीं है। संक्रमित रोगियों के आसपास काम करते हुए वे वायरस की चपेट में आने का अधिक जोखिम उठाते हैं। इस तरह RayIoT जैसा रिमोट वाइटल ट्रैकिंग सिस्टम उनके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।

Women Engineers Innovation
Founding Team – Sanchi Poovaya, Ranjana Nair, Aardra Kannan Ambili (L-R)

RayIoT कैसे काम करता है?

फिलहाल इसे एक मिनी-आईसीयू मॉनिटरिंग यूनिट के रूप में विकसित किया गया है। एआई एल्गोरिथम से दुनिया में कहीं से भी एक ऐप के माध्यम से डॉक्टर और अन्य हेल्थ वर्कर कई मरीजों की श्वसन दर को ट्रैक कर सकते हैं।

इस डिवाइस को मरीज से 3 फीट की दूरी पर लगाया जाता है, जिसके बाद यह श्वसन दर को सही ढंग से ट्रैक करके डेटा को ऐप पर भेजने का कार्य करता है। ऐप, सांस लेने की दर में भारी उतार-चढ़ाव के बारे में सूचित करेगा। मरीजों की देखभाल करने वाले हेल्थ वर्कर रोगी के उपचार के अगले चरण के बारे में जानने के लिए इसे एक संकेतक के रूप में उपयोग कर सकते हैं। रिस्पिरेशन सेंसिंग मॉड्यूल के अलावा यह डिवाइस ऑडियो और वीडियो स्ट्रीमिंग में भी सक्षम है। यह गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मॉनिटरिंग के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा। इससे हम किसी निर्धारित समय में 1 लाख मरीजों को ट्रैक कर सकते हैं, ”स्टार्टअप द्वारा हाल ही में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह बताया गया है।

डिवाइस के मॉनिटरिंग सिस्टम से डॉक्टर दूर से ही कम गंभीर मरीजों को ट्रैक कर सकते हैं, जबकि गंभीर रूप से बीमार लोगों पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होती है। रोगी की नब्ज में किसी तरह का असामान्य बदलाव महसूस होने पर डॉक्टर को अलर्ट प्राप्त होता है। श्वसन दर एक बहुत ही उपयोगी प्रेडिक्टिव वाइटल है जो खासकर गंभीर रुप से बीमारी मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टरों और नर्सों में संक्रमण के जोखिम का बहुत जल्दी पता लगा लेता है। इसके अलावा इस डिवाइस को होम क्वांरेंटाइन में मरीजों की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कंपनी की सीओओ सांची पूवाया कहती हैं, “यह निश्चित रूप से एक नॉन-कॉन्टैक्ट रेस्पिरेशन रेट ट्रैकर है। कम गंभीर लक्षणों वाले लोग आमतौर पर अपने घरों या जनरल वार्डों में क्वारंटाइन में रहते हैं। हम इन जगहों पर यूनिट लगा रहे हैं ताकि डॉक्टर उनकी श्वसन दर को ट्रैक कर सकें। इस प्रकार हम रेस्पिरेशन ट्रैकर का उपयोग एक ऐप के माध्यम से सूचनाएं भेजने के लिए कर रहे हैं यदि उस ब्रीदिंग यूनिट में बड़े पैमाने पर बदलाव हो। ऐसी स्थिति में डॉक्टर दूर से ही उन मरीजों की जांच कर सकते हैं जो गंभीर रूप से बीमार नहीं हैं। हर एक डिवाइस एक मरीज को ट्रैक कर सकता है।”

अन्य फीचर्स

“प्रेस विज्ञप्ति में स्टार्टअप का दावा है कि “कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हर मरीज को rayIoT ने निर्धारित क्वारंटाइन के 14 दिनों के लिए अपने स्वास्थ्य की निगरानी के लिए टेक्नोलॉजी को किराए पर देने की योजना बनाई है। भारत में अप्रैल से मई तक अनुमानित 49,000 नए मामलों में rayIoT डिवाइस 14 दिनों मे 12,500 मामलों को कवर कर सकते हैं (इसमें वितरण भी शामिल है)। 5,000 डिप्लॉएबल डिवाइस उपलब्ध हैं जो इस अवधि में संक्रमित आबादी के 25% को कवर कर सकते हैं। 10,000 यूनिट से संक्रमित आबादी के 50 प्रतिशत पर प्रभावी रूप से नजर रखी जा सकती है।”

अब तक डिवाइस 500 से अधिक घंटे के क्लिनिकल ट्रायल और स्लिप एप्निया, अस्थमा और बुखार के दौरान सांस लेने में तकलीफ के सात मिलियन मामले को मॉनिटर कर चुकी है। डिवाइस की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए बेंगलुरु के एचसीजी अस्पताल में डॉक्टरों के साथ मिलकर काम किया है।

एचसीजी कैंसर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल फाउंडेशन की निदेशक अंजलि अजय कुमार कहती हैं,
“हम अपने आईसीयू वार्डों में AI-पावर्ड मॉनिटर का परीक्षण करने के लिए RayIoT टीम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ऐसे समय में नॉन-कॉन्टैक्ट रेस्पिरेशन रेट मॉनिटर की बेहद ज़रूरत है।“

प्रति यूनिट डिवाइस की कीमत 19,999 रुपये है जो रोगियों के लिए भी पुन: उपयोग किया जा सकता है, जबकि किराये का मॉडल प्रति दिन 300 रुपये प्रति यूनिट पर उपलब्ध है। एक साधारण से प्लग से इस डिवाइस को चलाना है और फ्रंटलाइन पर काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स को इस डिवाइस का उपयोग करने में किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है।

कंपनी की सीटीओ अद्र्रा कन्नन कहती हैं कि, “चूंकि कोविड ​​-19 और दूसरे वायरस का निदान और परीक्षण करना मुश्किल है इसलिए इस महामारी की स्थिति में स्वास्थ्य संस्थानों पर बोझ को कम करने के लिए और हेल्थ वर्कर को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए मरीजों की प्री-स्क्रीनिंग होनी चाहिए। rayIoT टेक्नोलॉजी अधिक सटीकता के साथ नॉन-कॉन्टैक्ट ब्रीदिंग ट्रैकिंग पर नजर रखने में सक्षम है”।

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इस कठिन समय में ऐसे उपकरणों को विकसित करना बेहद जरुरी है हेल्थकेयर प्रोफेशनल के बोझ को कम कर सकते हैं। rayIoT भी ऐसा ही एक विकल्प है।

मूल लेख: रिनचेन नोरबू वांगचुक


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