एक अनजाने फोन को सुनकर ये युवा पहुंचे 2 महीने से भूखी वृद्धा के पास; आज वह पूर्णरूप से स्वस्थ है।

चरन जिन्हें उनकी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल ‘हेल्पिंग फोर्स फ़ाउंडेशन’ के अध्यक्ष और स्थापक के रूप में वर्णित करती है, जो आंध्र के विजियांगरम में जरूरतमंदों की मदद करता है, ने एक अनजान कॉल पर कार्यवाही करते हुये तुरन्त स्थल पर पहुँच कर उन महिला को कुपोषण स्थिति में पाया।

“आज सुबह ही हमारे पास एक अनजान शख्स का फोन आया। वह एक वृद्ध महिला के बारे में था जो बीसी कॉलोनी के बाहर सड़क किनारे पिछले 2 महीने से बिना कुछ खाये रह रही थी… यह सूचना मिलते ही हम तुरन्त उन्हे ढूंढते हुये बीसी कॉलोनी पहुंचे और उन वृद्ध महिला को कुछ खिलाया और फिर हम उन्हे तत्काल ही इलाज के लिए विजियांगरम के सरकारी अस्पताल ले गए,” जैसा उन्होंने 18 फ़रवरी की अपनी फेसबूक पोस्ट में लिखा।

चरन जिन्हें उनकी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल ‘हेल्पिंग फोर्स फ़ाउंडेशन’ के अध्यक्ष और स्थापक के रूप में वर्णित करती है, जो आंध्र के विजियांगरम में जरूरतमंदों की मदद करता है, ने एक अनजान कॉल पर कार्यवाही करते हुये तुरन्त स्थल पर पहुँच कर उन महिला को कुपोषण स्थिति में पाया।

वे वृद्ध महिला इस कार्य से काफी प्रभावित दिखाई दी। वहीं साझा किए गए चित्रो में उनकी नम आँखों को देखा जा सकता हैं।  

Photo Source

“उनका कोई घर-परिवार नहीं हैं। उनकी सेहत में अब सुधार है और धीरे-धीरे वे और सेहतमंद हो रहीं हैं,” चरन जिनके इस कार्य से उन्हे काफी प्रशंसा मिल रही हैं ने द लॉजिकल इंडियन वेबसाइट को बताया।

यूनाइटेड नेशन्स के फूड एंड एग्रिकल्चर संस्था की एक रिपोर्ट (2015) के अनुसार भारत तकरीबन 19.46 करोड़ कुपोषित लोगो का घर है जो विश्व में सबसे अधिक है। एजवेल फ़ाउंडेशन के द्वारा की गयी एक स्टडी के मुताबिक भारत के 65% वृद्ध भारतीय गरीब है और उनके पास आजीविका के कोई साधन नहीं है।

25 वर्षीय यह युवा पंद्रह और लोगो के साथ मिलकर यह संस्था चलाते हैं और जल्द ही यहाँ एक वृद्धाश्रम और अनाथालय खोलने वाले हैं।

Photo Source

चरन ने कुछ और फोटोस साझा करते हुये लिखा कि, “अम्मा तेज़ी से स्वस्थ हो रहीं हैं, और वे अब खुश हैं ”

चरन जो कि जरूरतमंदों की मदद को समर्पित हैं, ने अय्यान्न्पेटा जंक्शन सड़क किनारे एक और वृद्ध महिला के मिलने की खबर साझा की है।

Photo Source

अपनी फेसबूक पोस्ट में उन्होंने बताया, “वे अपने पुराने अनुभवों के कारण कुछ परेशान हैं व हमारे साथ आने को राज़ी नहीं है पर हम पूरी कोशिश कर रहें हैं कि उन्हें अपने साथ ले जा सके।”

मूल लेख : श्वेता शर्मा


 

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X