जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से पुलिस दल की ज़िम्मेदारी बढ़ गई है। वे हर संभव प्रयास में जुटे हैं कि लॉकडाउन सफल हो जाए और लोगों को परेशानी न हो। ऐसे ही दिल्ली में एक पुलिस अफसर यह सुनिश्चित कर रहें हैं कि कोई भी ज़रूरतमंद इस मुश्किल समय में भूखा न सोए। डिफेंस कॉलोनी के स्टेशन हाउस अफसर, 48 वर्षीय अरविन्द कुमार को अपने कुछ कॉन्सटेबल्स से पता चला कि उनके पुलिस स्टेशन के पीछे इंदिरा नगर स्लम में सैंकड़ों परिवारों के पास पर्याप्त राशन नहीं है।
यहाँ पर रहने वाले ज़्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर, सफाई कर्मचारी या फिर अन्य छोटी-मोटी जगह काम करते हैं।
उन्होंने द बेटर इंडिया से बात करते हुए बताया, “हमें पता चला कि 350 परिवारों के पास तीन दिन से ज्यादा का राशन नहीं है तो हम उन लोगों से मिले। इसके बाद, पुलिस स्टेशन में सभी लोगों ने पैसे इकट्ठे किए और खाने के पैकेट खरीदे। यह सब लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद हुआ। हमारे स्टेशन में, हम कुछ सफाई करने वालों को जानते हैं, जो हमारे लिए भी काम करते हैं और बहुत मुश्किल से अपना घर चला पाते हैं। जब हम राशन के बैग बंटवा रहे थे तो उन लोगों को पता चल गया कि स्टेशन में ज़रूरतमंदों के लिए राशन है। यह खबर फ़ैल गई और ज्यादा लोगों ने आना शुरू कर दिया।”
हर एक बैग में दो किलो चावल, दो किलो गेहूं, अलग-अलग किस्म की दो किलो दाल, और 1 किलो तेल है। यह राशन कुछ दिनों तक चल जाएगा और बाद में ज्यादा की ज़रूरत होगी। शुरुआत में उन्होंने 50 राशन के बैग तैयार किए थे, लेकिन अब तक वे 200 बैग बाँट चुके हैं।
“फ़िलहाल, हमारे पास 200-250 राशन के बैग हैं और हम 300-350 परिवारों की मदद कर रहें हैं। हम बच्चों के लिए मैगी और स्नैक्स भी बाँट रहे हैं। सरकार ने भी भोजन और राशन पहुंचाने के लिए कदम बढ़ाया है। इसके अलावा, हमने सैनिटाइज़र, मास्क और दस्ताने भी बांटे हैं। हमारे पास वॉलंटियर्स की टीम है, जो राशन के लिए इकट्ठे होने वाले लोगों को संगठित करती है,” उन्होंने आगे कहा।
स्थिति को थोड़ा और बेहतर करने के लिए, डिफेंस कॉलोनी में रहने वाले कई संपन्न परिवार भी राशन बांटने के लिए आगे आए हैं क्योंकि उनके यहाँ काम करने वाली कई महिलाएं इंदिरा कैंप में रहतीं हैं। वह आगे बताते हैं कि जब कुछ महिलाओं ने पका हुआ भोजन, रोटी-सब्ज़ी और कभी-कभी सैंडविच आदि बांटना शुरू किया तो ऐसे लोगों का एक व्हाट्सअप ग्रुप बनाया गया। इस ग्रुप में 25-30 लोग शामिल हैं। जो लोग लॉकडाउन में ज़रूरी सेवाएं कर रहें हैं उनके लिए हमने चाय और स्नैक्स देने की पहल की है।
सभी खाने के सामान को इकट्ठा करके एक पुलिस वैन द्वारा निर्देशित स्थान पर पहुँचाया जाता है। जहाँ से दिन में दो बार, सुबह 11:30 बजे और शाम में 5 बजे, एक-एक घंटे तक वितरण होता है।
निवासी कितना भी खाना और पैसे दान कर सकते हैं और इसके बाद, राशन और खाना बाँटने का काम पुलिस और कुछ वॉलंटियर करते हैं। SHO कुमार के मुताबिक उनका उद्देश्य यही है कि इंदिरा कैंप के निवासी अपने घरों में रहें और इस महामारी से अपना बचाव करें।
“हमने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे भूखे नहीं रहेंगे और उन्हें घरों में रहने के लिए कहा है ताकि वे सुरक्षित रहें। सरकारी संस्थाएं काम कर रहीं हैं और अगर किसी निवासी को किसी भी तरह की कोई मदद चाहिए जैसे कि मेडिकल या फिर अन्य ज़रूरी सामान तो वे हमारे ऑनड्यूटी अफसरों को फ़ोन कर सकते हैं। शुरू में, उनके मन में काफी संदेह थे लेकिन जब हमने यह पहल शुरू की तो बहुत से प्रवासी मजदूरों ने जाने की बजाय रुकने का फैसला लिया,” उन्होंने कहा।
अगर उन्हें जाना भी होता तब भी पुलिस उनके लिए उचित परिवहन की व्यवस्था करती ताकि उन्हें पैदल न चलना पड़े।
लेकिन ऐसे बहुत से मजदूर हैं, जिन पर उनके गाँव में रह रहे परिवार की ज़िम्मेदारी है। उनके लिए वे हर महीने पैसे भेजते हैं। लेकिन अब कोई काम और आमदनी नहीं है। ऐसे में, SHO और उनकी टीम ने वहाँ के स्थानीय एमएलए और एमपी से मजदूरों के परिवारवालों को ज़रूरी सामान मुहैया कराने की अपील की है।
“साथ ही, राज्य सरकारों ने भी इन लोगों का ध्यान रखने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। अब तक, सभी निवासियों ने वॉलंटियर कर खाना बांटने में सहयोग किया है। अब हमें ऐसे कई वॉलंटियर्स की ज़रूरत है जो सैनिटाइज़र, फेस मास्क और दस्तानें बांटे।” उन्होंने अंत में कहा।
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मूल लेख: रिनचेन नोरबू वांगचुक
संपादन – अर्चना गुप्ता
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