कोरोना हीरोज़: गाड़ी को एम्बुलेंस बना, गाँवों के मरीज़ों को अस्पताल पहुँचा रहा है यह शख्स!

Corona Heroes Uttarakhand

"लॉकडाउन आज की ज़रूरत है लेकिन इसके दौरान अगर ज़रूरतमंद लोगों को मूलभूत सुविधाएं न मिलें तो यह हमारी हार ही होगी।"

“लॉकडाउन आज की ज़रूरत है क्योंकि अगर हमने एहतियात नहीं बरतीं तो हमारी स्थिति भी अन्य देशों की तरह हो सकती है। लेकिन इसके साथ-साथ हमारे यहाँ की बुनियादी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की भी ज़रूरत है। खाने-पीने और स्वास्थ्य सेवाएं जैसी सुविधाएं नागरिकों को न मिलें तो ये भी हमारी हार है,” यह कहना है उत्तराखंड के देवप्रयाग में भल्लेल गाँव के रहने वाले 32 वर्षीय गणेश भट्ट का।

23 मार्च, 2020 से गणेश अपने इलाके के लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपनी नैनो कार को एम्बुलेंस बना लिया है और जैसे ही उन्हें मदद के लिए किसी का फ़ोन आता है, वह तुरंत गाड़ी लेकर निकल जाते हैं। गणेश ने बताया कि अब तक उन्होंने 24 मरीज़ों को सही वक़्त पर अस्पताल पहुँचाया है, जिनमें गर्भवती महिलाओं से लेकर बच्चे तक शामिल है।

“पहाड़ों में लोगों तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचना वैसे भी बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि गांवों से शहर पहुँचने के रास्ते दुर्गम हैं और कितनी बार तो खबरें आती हैं कि अस्पताल पहुँचने से पहले ही मरीज़ की मौत हो गई या फिर सड़क पर ही किसी की डिलीवरी हो गई,” उन्होंने बताया।

Helping the needy
Ganesh Bhatt

वह आगे कहते हैं कि उन्होंने किसी मरीज़ की मदद के लिए अस्पताल में फ़ोन किया था और उन्हें एम्बुलेंस भेजने के लिए कहा। लेकिन उन्हें वहां से जवाब मिला कि उनके क्षेत्र में काम करने वाली तीनों एम्बुलेंस किसी तकनीकी समस्या के चलते नहीं आ सकतीं हैं। ऐसे में, उन्हें आइडिया आया कि क्यों न वह खुद अपनी ही गाड़ी को लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल करें।

“फ़िलहाल, आपसे बात करते हुए भी मैं अस्पताल में ही हूँ। बस अभी चंद मिनट पहले मूल्या गाँव के एक 13 साल के बच्चे को लेकर आया हूँ। उसका हाथ टूट गया है और बच्चा दर्द के मारे कराह रहा है। अभी डॉक्टर देख रहे हैं तो तसल्ली है,” उन्होंने बताया।

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गणेश ने अपनी इस पहल के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और उन्होंने अपनी गाड़ी पर भी एक स्टीकर चिपका दिया है। कोई भी आपातकालीन स्थिति में उन्हें फ़ोन कर सकता है और वह तुरंत मदद के लिए पहुँचते हैं।

उनकी इस पहल को देखकर और भी 2-3 नेकदिल लोग मदद के लिए आगे आए हैं। ये सभी ज़िम्मेदार नागरिक, मदद के लिए फ़ोन आते ही अपने काम पर लग जाते हैं।

taking patients to the hospital
Ganesh with the boy, whom he took to the hospital

लॉकडाउन के दौरान इस काम में किसी परेशानी के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि पुलिस विभाग और प्रशासन के लोग अब मेरी कार को पहचानते हैं। अगर कोई नहीं पहचान पाता तो हम उनके सभी सवालों का जवाब देते हैं और फिर गाड़ी में मरीज़ को देखकर उन्हें खुद ही अंदाज़ा लग जाता है।

“अगर आप ज़िम्मेदारी पूर्वक काम कर रहे हैं तो सभी लोग आपका साथ देंगे। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे अगर किसी के लिए कुछ करने के मौका मिला है तो मैं पीछे क्यों हटूँ। लोगों की सेवा करना मेरा सौभाग्य है।”

गणेश के मुताबिक पिछले आठ दिनों में उन्होंने शायद हज़ार किलोमीटर तक गाड़ी चला ली होगी। क्योंकि वह सिर्फ देवप्रयाग नहीं बल्कि पास के विकासखंड जैसे कीर्तिनगर के दूरगामी क्षेत्रों तक भी मदद के लिए पहुँच रहें हैं। हर दिन वह कम से कम 4 मरीज़ों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं। स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ, वह ज़रूरतमंदों तक राशन और दवाइयां भी पहुँचा रहे हैं।

“दो दिन पहले ही हमने पता चला कि कुछ मजदूर परिवारों के यहाँ राशन खत्म हो गया है। यहाँ पर NH-58 बंद होने की वजह से बहुत से इलाके शहरों से जैसे कट गए हैं। हमने मिलकर उन लोगों के लिए 25 किलो चावल, कुछ किलो दाल और तेल का इंतजाम किया। हमने इसे उस इलाके की पुलिस टीम तक पहुंचा दिया है और जल्दी ही यह उन लोगों तक पहुँच जाएगा,” उन्होंने कहा।

Helping the patients amid lockdown

यह पहली बार नहीं है जब गणेश भट किसी की मदद कर रहे हैं। देवप्रयाग में कंप्यूटर टीचिंग का इंस्टिट्यूट चलाने वाले गणेश गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। उनका उद्देश्य अपने लोगों की मदद करना है।

वह कहते हैं कि हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठ सकते। अगर हम अपने स्तर पर कुछ करने के लायक हैं तो हमने ज़रूर करना चाहिए। जब आप खुद किसी की मदद के लिए हाथ बढ़ाएंगे तो और चार हाथ आपकी मदद के लिए आ जाएंगे।

उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने इस अभियान के बारे में पोस्ट किया तो पौड़ी के एक सज्जन ने उन्हें फ़ोन करके कहा, “गणेश जी, आप बहुत नेक काम कर रहे हैं। मैं भी आपकी मदद करना चाहता हूँ, और कुछ तो मुझसे नहीं होगा लेकिन अगले तीन दिन के लिए आपकी गाड़ी के तेल का खर्च मैं उठाऊंगा। बस आपकी गाड़ी रुकनी नहीं चाहिए।”

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गणेश भट्ट कहते हैं कि इस एक फ़ोन ने उनके इरादों को और हौसला दिया। उन्होंने ठाना है कि पूरी ज़िंदगी उनकी यह मदद की मुहिम चलती रहेगी। लेकिन उन्हें इस पहल में हम सबका साथ चाहिए।

यदि आप उनकी मदद करना चाहते हैं तो उन्हें 9410530387 पर फ़ोन कर सकते हैं!

संपादन-  अर्चना गुप्ता


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