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हर एक पेड़ को लोहे की कीलो और इश्तहारों से मुक्ति दिला रहे हैं अहमदाबाद के युवा!

रात दस बजे के करीब जब शहर का पूर्वी इलाका पार्टी और जश्न के माहौल में डूबा होता है ऐसे में ये युवा इस इलाके के पेड़ो पर लगे किले, इश्तहार तथा बैनर निकालने पहुँच जाते है।

गुजरात के अहमदाबाद शहर के कुछ युवाओं ने मिलकर’ हाइली एनेरजाइस्ड यूथ फॉर हेल्पिंग इंडीयंस’ (HeyHi) नामक एक संस्था की शुरुआत की है। यह संस्था, शहर भर के पेड़ो के संरक्षण के मुहीम में जुटा हुआ है।

रात दस बजे के करीब जब शहर का पूर्वी इलाका पार्टी और जश्न के माहौल में डूबा होता है ऐसे में ये युवा इस इलाके के पेड़ो पर लगे किले, इश्तहार तथा बैनर निकालने पहुँच जाते है।

यदि आप इनसे पूछे कि ये ऐसा क्यूँ करते है? तो तपाक से उत्तर आता है कि “सवाल तो ये होना चाहिए कि हम ऐसा क्यूँ न करे?”

इस दल की शुरुआत करनेवाले युवाओं में से एक रितेश शर्मा ने बताया कि पेड़ो से यदि कीले नीकल दी जाएँ तो उस पेड़ की आयु कई साल और बढ़ जाती है। लोहे के कीलो पर जंग लग जाता है जो इन पेड़ो को बीमार कर देती है और पेड़ उम्र से पहले ही सूख जाते है।

आज जहाँ पर्यावरण का संरक्षण पूरी दुनिया में चिंता का विषय बना हुआ है वहां ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर दिया जाता है। पर बड़े शहरो में नए पेड़ लगाने की जगह की कमी के कारण पहले से लगे पेड़ो को बचाए रखना बहुत ज़रूरी हो जाता है।

इस मुहीम की शुरुआत इस साल के अक्टूबर महीने में की गयी और केवल दो महीनो में इसके सदस्यों ने मिलकर 2800 पेड़ो से करीब 100 किलो कील निकाली है।

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source – facebook

सप्ताह भर यह दल रात को अपना काम करते है पर सप्ताह के अंत में छुट्टी वाले दिन ये दिन भर इसी काम में जुटे होते है। फेसबुक और व्हाट्सअप पर जगह और समय निश्चित किया जाता है और सन्देश मिलते ही तुरंत कई युवक और युवतियां इस नेक काम को अंजाम देने वहां पहुँच जाते है।

पर ये मुहीम जितनी सरल नज़र आती है उतनी सरल है नहीं। अक्सर इन युवाओं को विरोध का सामना करना पड़ता है। जिन लोगो ने अनैतिक तरीके से इन पेड़ो पर अपने इश्तेहार लगाए होते है, वे इन्हें निकालने पर नाराज़ हो जाते है। इस वजह से इन्हें अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन से ली गयी अनुमति के कागज़ हमेशा अपने पास रखने पड़ते है।

लोगो द्वारा भेजे गए तस्वीरो और अपने शोध के आधार पर HeyHI के मुताबिक़ शहर के सिर्फ पूर्वी इलाके में ही 24000 क्षतिग्रस्त पेड़ मौजूद है।

“एलडी इंजीनियरिंग कॉलेज के परिसर में हर पेड़ पर हॉस्टल या पीजी के इश्तेहार लगे होते है। यहाँ से हमने घंटे भर में औसतन 100 कीले निकाली होंगी। तीन घंटे में हम सिर्फ 14 पेड़ो पर ही काम कर पायें,” शर्मा ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया।

इन युवको ने अब 6 महीने के भीतर एक एक इलाके के पेड़ो को बचाने की ठानी है जिसके लिए इन्होने गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी देने का भी निश्चय किया है।

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