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33 दोस्तों ने मिलकर बदल दी बिहार की तस्वीर; 1253 स्कूलों में लगवा दिए 4,70,000 फलदार पौधे!

पौधा वितरण के दौरान यह टीम बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करती है, जिसका परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से ज़्यादा है।

फलता की यह कहानी उन 33 दोस्तों के साथ और उनकी एकजुटता की एक प्रेरक गाथा है, जो पिछले साढ़े तीन सालों से निरंतर स्कूली बच्चों को फलदार पौधे वितरित कर रहे हैं। लोगों ने उन्हें कई बार एनजीओ बनाकर कार्य करने का सुझाव दिया, लेकिन ये दोस्त मानते हैं कि इस कार्य को करने के लिए वे और उनके परिवार के सदस्य ही काफी हैं, जो लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

बिहार के नालंदा जिले में 20 प्रखंड हैं और नूरसराय भी उसी में एक प्रखंड है। यहीं ‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ नाम से ये दोस्त एक मिशन चला रहे हैं और अब तक 1253 शिक्षण संस्थानों में लगभग 4 लाख 70 हजार पौधे निःशुल्क वितरित कर चुके हैं।

 

कुछ ऐसे हुई शुरुआत 

‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ के संस्थापक राजीव रंजन भारती बताते हैं,“मैं खुशकिस्मत हूँ कि हम दोस्तों का एक बहुत अच्छा ग्रुप है। शुरू से ही मेरे घर पर सभी दोस्तों का उठना-बैठना रहा। जहां एक ओर हम गपशप करते, वहीं देश के जागरूक युवाओं की तरह देश के लिए चिंता भी करते।”

साल 2016 की बात है जब एक दिन यूँही गपशप करते-करते इन दोस्तों को लगा कि इन्हें अपने स्तर पर कुछ पौधारोपण करना चाहिए। जो 15-16 दोस्त रोज़ मिलते थे, उनसे 200 रुपये महीने लेकर पौधे खरीदने की शुरुआत हुई। इन दोस्तों ने सबसे पहले नूरसराय में सड़क किनारे, अस्पताल, थाना परिसर और अन्य जगहों पर लगभग 1000 पौधे लगाए, जिसमें कदम्ब, ग्रीन सिमर, नीम, पीपल, गुलमोहर आदि शामिल थे। यही पौधे आज 20 फिट से भी ज्यादा ऊंचे हो चुके हैं। यह काम करीब तीन-चार महीने तक चला।

फिर एक दिन बिना किसी प्लानिंग के ये लोग अमरूद के 60 पौधे ले आए।

Rajiv ranjan

राजीव बताते हैं, “एक दिन तो ये 60 पौधे यूँही पड़े रहे। फिर अगले दिन याने 16 जून, 2016 को मैंने अपनी 7 साल की बेटी के स्कूल में जाकर पूछा कि मेरे पास अमरूद के 60 पौधे हैं, क्या मैं उसे विद्यार्थियों को दे सकता हूँ? और स्कूल के प्रिंसिपल ने इजाज़त दे दी।”

ये पौधे उस दिन 60 बच्चों को बाँट दिए गए। पर इस बात की भनक लगते ही अगले दिन 700 बच्चों ने बारी-बारी प्रिंसिपल के ऑफिस में जाकर पौधे मांगे। प्रिंसिपल के कहने पर राजीव और उनके दोस्तों ने 100 और पौधे बांटे।

इन दोस्तों को तब इस बात का भी अंदाजा नहीं था कि इतनी बड़ी संख्या में फलदार पौधे कहां मिलेंगे। पर धीरे-धीरे इन लोगों ने इस मुहीम को चलाये रखने के लिए इन सारी चीज़ों की जानकारी हासिल कर ली। और बस! स्कूलों में पौधे बांटने का यह सिलसिला यही से शुरू हो गया।

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राजीव का अनुभव रहा है कि बच्चे अपने पौधों को पेड़ बनाने के लिए पूरी जान झोंक देते हैं। अपने पौधे लगाने के लिए वे ऐसी-ऐसी जगहें ढूंढ लेते हैं, जो पहले किसी की नजर में भी नहीं आई होती। ये बच्चे अपने पौधों को पेड़ बनाकर ही दम लेते हैं।

‛द बेटर इंडिया’ से बात करते हुए वे बताते हैं,“हम लोग नीम, पीपल और बरगद के पौधे देने की बजाय फलदार पौधे देते हैं, ताकि बच्चे उनसे जल्दी जुड़ जाएं। फलदार पौधे लगाते-लगाते इन्हीं बच्चों में वृक्षारोपण की भावनाएं घर कर जाएँगी और इन्हीं में से कई ‛ग्रीन लीडर’ पैदा होंगे।”

राजीव की बेटी के स्कूल में बांटे गए ये सभी पौधे आज पेड़ बन गए हैं। उस वृक्षारोपण की वजह से आज विद्यालय में 400 से अधिक पेड़ हैं और यह जिले का सबसे हरा-भरा विद्यालय परिसर है।

बाद में इसी स्कूल के डायरेक्टर भी इस मिशन से जुड़ गए। जैसे-जैसे राजीव के दूसरे दोस्तों को और दोस्तों के भी दोस्तों को इनके मिशन के बारे में पता चलता गया, वैसे-वैसे वे भी इससे जुड़ते गए और आज इस मिशन से इनके कुल 33 दोस्त जुड़े हुए हैं।

 

रास्ते में आयीं कई मुश्किलें 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी पुनीत कार्य की शुरुआत में बहुत सी बाधाएं आती हैं। इन दोस्तों के साथ भी यही हुआ। 2016 में जब इस काम की शुरुआत हुई और इन्होंने नूरसराय में पौधे लगाने का काम शुरू किया तो बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग तरह-तरह के सवाल करते थे। ‘किन योजनाओं में पौधे लगाए जा रहे हैं? कौन-कौनसे पौधे रग रहे हैं? तुम लोगों को इस सबसे क्या फायदा होगा?’ – ऐसे कई सवाल अक्सर उनसे पूछे जाते।

सबसे पहले इन लोगों ने जिस परिसर में पौधे लगाए थे, वे हफ्ते भर में गायब भी हो गए। पर इन दोस्तों ने हिम्मत नहीं हारी।

Mission Hariyali nursaray Team
‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ की टीम

कई स्कूलों में जब ये 33 सदस्य निःशुल्क पौधे देने का प्रस्ताव लेकर जाते तो उन्हें विश्वास ही नहीं होता। स्कूल मैनेजमेंट इनसे तरह-तरह के सवाल करता। उन्हें विश्वास दिलाया जाता कि कभी भी इस काम के लिए आपसे कोई रुपया नहीं लिया जाएगा, तब जाकर उन्हें अंदर आने दिया जाता। पर यह इन लोगों की लगन ही थी कि धीरे-धीरे स्थिति बदल गयी। अब लोग इन्हें जानने लगे हैं और हर जगह इनका स्वागत होता है।

“पहले तो स्कूलों में पौधे बांटने के लिए हमें मैनेजमेंट को मनाना पड़ता था, पर अब यह आलम है कि रोज किसी न किसी स्कूल से फ़ोन आता है कि हमारे यहां आकर बच्चों को पौधे वितरित कर दीजिये,” राजीव अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए बताते हैं।

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तेज़ी से बढ़ रहा है मिशन 

‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ के सभी 33 सदस्य टीम भावना से काम करते हैं। किसी को भी किसी काम के लिए कभी कहना नहीं पड़ता। पिछले 3 सालों से ये लोग एक दिन भी नहीं थककर नहीं बैठे। 70 किलोमीटर दूर वैशाली या अन्य जगहों से पौधे खरीदे जाते हैं। फिर स्कूल में बात करना कि कल हम आएंगे, पौधों को गाड़ी में लोड करना, सभी काम टीम भावना से ही हो रहे हैं। किसी भी काम के लिए एक भी लेबर नहीं लगाया गया है।

इसके अलावा आज हर महीने सभी 33 सदस्य आर्थिक सहायता स्वरूप 1000 रुपए या इससे अधिक (अपनी इच्छानुसार) देते हैं। इक्कट्ठा हुई रकम से हर महीने 20 से 25,000 पौधे खरीदकर बांटे जाते हैं।

अब तक वितरित किए गए पौधों में से 95 प्रतिशत पौधे नालंदा जिले में वितरित हुए हैं, शेष बिहार के पटना, शेखपुरा और नवादा जिलों में। झारखंड के गिरिडीह जिले की 10 स्कूलों में भी लगभग 5000 से अधिक पौधे वितरित हुए। स्कूलों के अलावा बहुत से कोचिंग संस्थानों में भी पौधे वितरित हुए हैं।

पौधा वितरण के दौरान राजीव स्कूल में बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करते हैं। उसी का परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से भी ज़्यादा है।

देश का हर नागरिक चाहता है कि वह देशहित में कुछ अच्छा काम करे, पर उसे रास्ता नहीं मिल पाता। लेकिन इन दोस्तों को इतना खूबसूरत रास्ता मिल चुका है कि उस रास्ते में इनकी भेंट रोज़ 500 से 800 नए बच्चों से होती है। हर रोज़ नया स्कूल, नई जगह होती है।

 

राजीव बताते हैं,“पौधे लेकर बच्चे इतने खुश होते हैं जितना 100 रुपये का नोट लेकर भी खुश नहीं होते। यदि प्रशासन कोई ऐसी योजना लॉन्च करें, जिसमें बच्चों को वृक्षारोपण से जोड़ा जाए तो बहुत कम समय में देश की तस्वीर बदल सकती है। देश के सारे बच्चों को फलदार पौधे देने का एक अभियान चलाया जाए तो फलों की इतनी आमद हो सकती है कि अनाज पर निर्भरता 50% तक कम हो जाए। जब स्कूल में बच्चों से यह पूछा जाता है कि क्या आपको फल खाना अच्छा लगता है तो वे हामी भरते हैं। पर जब यह पूछा जाता है कि आपको फल कब खाने को मिला है तो कुछ भी जवाब नहीं देते। इस शून्यता को फलदार पेड़ लगाकर ही बदला जा सकता है।”

राजीव और उनके दोस्तों का लक्ष्य है कि उनके जिले में 30 से 40 लाख अमरूद के पेड़ अगले 10 साल में लगें।

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आज भी एक तबका ऐसा है जो सिर्फ बीमार होने, रिश्तेदारों के आने या पूजा पाठ के दौरान ही फल खाता है। पर इस तरह इस मिशन ने इन बच्चों को एक फल क्रांति के लिए आंदोलित करने की भूमिका अदा की है।

‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ द्वारा दो निःशुल्क पौधा वितरण केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं, जहां हर रविवार को 500 पौधे वितरित किये जाते हैं। यहाँ आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा दिया जाता है। यह कार्यक्रम 15 महीने से नियमित जारी है और अब तक 30,000 से अधिक पौधों का वितरण किया जा चुका है।

इसके अलावा सरकारी विद्यालय के शिक्षकों को महोगनी के 25 पौधे हर वर्ष अपनी निजी जमीन पर उगाने के लिए दिए जाते हैं, जिसके तहत अब तक 500 शिक्षकों को पौधे दिए जा चुके हैं।

हर एक को पौधा देते हुए राजीव एक ही बात कहते हैं, “आप एक जीवन लेकर जा रहे हैं, पैसों से इसकी तुलना मत कीजियेगा। चूंकि यह एक जीवन है, इसलिए बड़ा होकर यह भी आपको जीवन देगा। “

‛मिशन हरियाली, नूरसराय’ की टीम से संपर्क करने के लिए आप उन्हें 07903375557 पर कॉल कर सकते हैं या फिर उनके फेसबुक पेज पर जा सकते हैं।

संपादन – मानबी कटोच 


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33 Friends from Nalanda, Bihar have distributed 4,70,000 fruit plants in 1273 schools of Bihar.

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