हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘जुगनू’!

हरिवंशराय बच्चन हिंदी के ओजस्वी कवि हैं। उनकी कविताएँ अँधेरे में रोशनदान बनकर उजाले की आस जगाती हैं। गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम, इलाहाबाद में जन्मे बच्चन साहब विश्वप्रसिद्ध कृति 'मधुशाला' के रचयिता हैं। सिने स्टार अमिताभ बच्चन के पिता, हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे।

हरिवंशराय बच्चन हिंदी के ओजस्वी कवि हैं। उनकी कविताएँ अँधेरे में रोशनदान बनकर उजाले की आस जगाती हैं। गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम, इलाहाबाद में जन्मे बच्चन साहब विश्वप्रसिद्ध कृति ‘मधुशाला’ के रचयिता हैं। सिने स्टार अमिताभ बच्चन के पिता, हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे।

‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ बच्चन साहब की अद्भुत लोकप्रिय कविता है। ऐसी ही एक प्रेरणास्पद कविता आज हम आपके लिए लाए हैं…  ‘जुगनू’।

‘जुगनू’ कविता में बच्चन साहब ने रातों में टिमटिमाने वाले जुगनुओं के बारे में अवगत कराया है। जुगनू रातभर अँधेरे में टिमटिमाते रहते हैं। उनकी प्रवृत्ति ही है एक छोटा सा दीपक बने रहना। जुगनू को सन्दर्भ में लेकर बच्चन साहब एक छोटे से चिराग की अहमियत समझाते हैं। इस कविता द्वारा वे इस बताते है कि अँधेरे में एक लौ भी काफी होती है।

‘जुगनू’

अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

उठी ऐसी घटा नभ में, छिपे सब चांद औ’ तारे,
उठा तूफान वह नभ में, गए बुझ दीप भी सारे,

मगर इस रात में भी लौ लगाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

गगन में गर्व से उठउठ, गगन में गर्व से घिरघिर
गरज कहती घटाएँ हैं, नहीं होगा उजाला फिर

मगर चिर ज्योति में निष्ठा जमाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

तिमिर के राज का ऐसा, कठिन आतंक छाया है
उठा जो शीश सकते थे, उन्होनें सिर झुकाया है

मगर विद्रोह की ज्वाला जलाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

प्रलय का सब समां बांधे, प्रलय की रात है छाई
विनाशक शक्तियों की इस, तिमिर के बीच बन आई

मगर निर्माण में आशा दृढ़ाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

प्रभंजन, मेघ, दामिनी ने, न क्या तोड़ा, न क्या फोड़ा
धरा के और नभ के बीच, कुछ साबित नहीं छोड़ा

मगर विश्वास को अपने बचाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

प्रलय की रात में सोचे, प्रणय की बात क्या कोई
मगर पड़ प्रेम बंधन में, समझ किसने नहीं खोई

किसी के पथ में पलकें बिछाए कौन बैठा है?
अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

घोर अँधेरे में अगर आप छोटा सा चिराग बन सकते हैं तो जरूर प्रयास करिए। छोटी सी रौशनी से उजाले की आशा जागती रहेगी।

छोटे-छोटे प्रयासों से जीवन संवरता है। हमें आशा की एक किरण बनना चाहिए। अँधेरा कितना भी हो हम रौशनी का एक चिराग भी जला दें तो बड़ी बात है।

घोर अँधेरे में जैसे छोटा सा जुगनू टिमटिमाना नहीं भूलता, वैसे हमें भी रोशनदान बने रहने के लिए कोशिश करती रहनी चाहिए..।

featured image source-youtube

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