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नवजात शिशुओ को अब सिर्फ एक छोटा सा ब्रेसलेट पहना कर बचाया जा सकता हैं!

भारत में हर साल हाइपोथरमिया से कई बच्चों की मौत होती है। यह ब्रेसलेट रेगुलर टेम्परेचर मॉनिटरिंग सिस्टम से बच्चों के शरीर के तापमान पर नजर रखेगा। इससे समय रहते बच्चों को हाइपोथरमिया से बचाया जा सकेगा।

भारत में हर साल हाइपोथरमिया से कई बच्चों की मौत होती है। यह ब्रेसलेट रेगुलर टेम्परेचर मॉनिटरिंग सिस्टम से बच्चों के शरीर के तापमान पर नजर रखेगा। इससे समय रहते बच्चों को हाइपोथरमिया से बचाया जा सकेगा।

दिव्या के बच्चे की, जन्म के चार हफ्तो बाद ही, निमोनिया से मौत हो गई थी। उनकी दूसरी बच्ची ऋतिक्षा अपरिपक्व शिशु (प्री-मेच्योर बेबी) थी। १० दिन तक नियोनेटल इंटेन्सिव केयर यूनिट में देखरेख करने के बाद ऋतिक्षा को एक ब्रेसलेट पहनाकर घर भेजा गया।

एक रात ब्रेसलेट में अलार्म बजने लगा। इस अलार्म का मतलब था कि ऋतिक्षा हाइपोथरमिया के स्टेट में जा रही थी। कंबल से अच्छी तरह से ढकने के बाद भी जब अलार्म बंद नहीं हुआ तो दिव्या उसे अस्पताल ले गईं। ऋतिक्षा को हाईपोथरमिया था। अगर सही वक्त पे डायग्नोज नहीं किया जाता तो ऋतिक्षा की जान जा सकती थी।

ऋतिक्षा आज पूरी तरह स्वस्थ है। उसके स्वास्थ्य का सारा श्रेय “बेम्पू हाईपोथरमिया अलर्ट डिवाइस” को जाता है।

बेम्पू टेम्परेचर मॉनिटरिंग डिवाइस है यानी यह शरीर के तापमान पर निगरानी रखता है। इसके अन्दर एक थरमोमीटर लगा है जिससे बच्चे के शरीर के  तापमान पर निगरानी रखी जाती है। इसे ब्रेसलेट की तरह बच्चे की कलाई पर बाँध दिया जाता है। अगर बच्चे का तापमान ठीक है तो हर ३० सेकेन्ड में नीली लाईट चमकती है। वरना डिवाइस से अलार्म बजने लगता है।

अलार्म का मलतब है कि बच्चा हाइपोथरमिया के पहले स्टेज में है।

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अलार्म बजने पर बच्चे को तुरंत गर्म रखने की कोशिश होनी चाहिए। सही वक्त पर पता चल जाने से बच्चे का सही इलाज हो पाएगा।

बेम्पू डिवाइस ७ दिन तक २४ घंटे काम करता है। बेम्पू का आविष्कार २०१३ में रतुल नारायण ने किया था।

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रतुल ने स्टैनफोर्ड से बायोमेकैनिकल इंजिनीयरिंग से ग्रैजुएशन और मेकैनिकल इंजिनीयरिंग से मास्टर्स करने के बाद ८ साल अलग अगल कंपनियों में काम किया। अपने आविष्कार का जमीनी तौर पर इस्तेमाल करने के लिए वो भारत वापस आ गए। यहाँ रिसर्च करने पर उन्होंने पाया कि ज्यादातर बच्चों का इलाज इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि शुरूआती समय में उनके तापमान पर  ठीक से निगरानी नहीं रखी जाती।

हाइपोथरमिया का सबसे ज्यादा रिस्क नवजात बच्चों और कम वजन वाले बच्चों को होता है। बेम्पू डिवाइस सबसे नाज़ुक  समय यानि, शुरूआत के २८ दिनों में उन्हें हाइपोथरमिया से बचाने के लिए बनाया गया है।

२००० रूपए में मिलने वाला बेम्पू डिवाईस भारत भर में १५० अस्पतालों में उपलब्ध है।

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नवम्बर २०१४ में रतुल को हाइपोथरमिया अलर्ट डिवाइस के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से अनुदान भी मिला है।

बेम्पू आर्डर करने के लिए यहाँ क्लिक करे। या फिर इनकी टीम से संपर्क करे।

मूल लेख तान्या सिंह द्वारा लिखित 

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