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ईमानदारी का दूसरा नाम है मुंबई के टैक्सी ड्राईवर, गदाधर मंडल !

५३ वर्षीय गदाधर मंडल मुंबई में टैक्सी चलाते है और अपनी ईमानदारी की वजह से जाने जाते है। मोबाइल फ़ोन टैक्सी में भूलने वाले ग्राहकों को गदाधर ढूंडकर फ़ोन वापस करते है इसलिये उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है। सन २००४ से लेकर २०१४ तक उन्होंने तक़रीबन १४ मोबाइल ग्राहकों को लौटाये है।

५३ वर्षीय गदाधर मंडल मुंबई में टैक्सी चलाते है और अपनी ईमानदारी की वजह से जाने जाते है। मोबाइल फ़ोन टैक्सी में भूलने वाले ग्राहकों को गदाधर ढूंडकर फ़ोन वापस करते है इसलिये उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है। सन २००४ से लेकर २०१४ तक उन्होंने तक़रीबन १४ मोबाइल ग्राहकों को लौटाये है।

जब भी गदाधर अपनी टैक्सी में किसी ग्राहक का भुला हुआ मोबाइल देखते है तब वो तुरंत उसे लौटाने के लिये निकल पड़ते है। चाहे ग्राहक उस वक्त कितना भी दूर हो या फिर गदाधर काम में व्यस्त हो, मोबाइल को ग्राहक तक पहुचाने के लिये वो कोई कसर नहीं छोड़ते

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फोटो का श्रेय: केतन रिन्दानी

गदाधर पिछले २२ सालो से टैक्सी चला रहे है। वो कहते है “जब लोग टैक्सी में मोबाइल भूलते है तब पता लगने पर तुरंत कॉल करते है। मुझे भी तब पता चलता है जब मोबाइल पर रिंग बजती है। मैं तुरंत फ़ोन उठाता हूँ और ग्राहक को उनका पता पूछता हूँ। उसके बाद मैं बताये गये पते पर चल पड़ता हूँ ताकि उन्हें मोबाइल जल्द से जल्द मिल जाये।”

सन २०१४ में एक दिन गदाधर टैक्सी के सीट कवर्स बदल रहे थे तब उन्हें दो सीटो के बीच में एक मोबाइल पड़ा हुआ मिला। १५ दिन पहले एक महिला उस मोबाइल को टैक्सी में भूल गयी थी। फ़ोन बंद था इसलिये गदाधर ने उसे चालू करके चार्ज किया। तब उन्हें पता चला कि गुम होने के पहले दो दिन में ही उस महिला ने ७८ बार कॉल किया पर मोबाइल साइलेंट मोड़ पर होने की वजह से गदाधर को पता नहीं चला। उन्होंने तुरंत उस नंबर पर फ़ोन किया। महिला पेशे से नर्स थी। वो तुरंत मोबाइल वापस लेने के लिये गदाधर से मिली।वो बताते है “फ़ोन बहुत महंगा था इसलिये वापस मिलने पर महिला को ख़ुशी हुयी। उसने इनाम के तौर पर मुझे २००० रुपये दिये और साथ में एक धन्यवाद पत्र भी दिया जिसे मैं हरदम टैक्सी में रखता हूँ।”

अगर भुला हुआ मोबाइल फ़ोन बंद होता है तो गदाधर उसे चार्ज करते है और सही नंबर पर संपर्क करके उस मोबाइल को उसके सही हक़दार तक पहूँचाते है

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गदाधर कहते है “जब भी मै भूले हुये फ़ोन वापस करता हूँ तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। कुछ लोग मुझसे हाथ मिलाते है, कुछ सलाम करते है, तो कुछ गले लगा लेते है।”

गदाधर अपनी बीवी और दो बच्चो के साथ मुंबई के सांताक्रुज़ इलाके में रहते है

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गदाधर सिर्फ आठवी कक्षा तक पढ़े है पर अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दे रहे है। उनकी बेटी HDFC बैंक में मैनेजर है और बेटा चार्टड अकाउंटेंट की पढाई कर रहा है।

अपनी ईमानदारी की वजह से गदाधर को हमेशा सकारात्मक बदलाव दिखायी देते है। सन २००४ में एक पति-पत्नी जोड़े ने गदाधर की टैक्सी में सफ़र किया। उन्हें सफ़र अच्छा लगा इसलिये गदाधर से कहा कि अगर वो उन्हें रोज सही समय पर ऑफिस पहूचा देते है तो उनके टैक्सी में वो हमेशा सफर करेंगे। पाँचवे दिन ही महिला अपना फ़ोन टैक्सी में भूल गयी। तब गदाधर ने महिला के पति को कॉल करके मोबाइल भूलने की बात की और पत्नी को बताने के लिये कहा। उसके बाद गदाधर ने उस महिला केऑफिस जाकर मोबाइल वापिस कर दिया।

गदाधर बताते है, “२००४ में मोबाइल फ़ोन की कीमतें बहुत ज्यादा थी। पति-पत्नी को इतनी ख़ुशी हुयी कि उन्होंने मुझे उनके घर पर दावत के लिये न्योता दिया। उन्होंने मेरे साथ करीब ९ साल तक सफ़र किया। उस एक घटना से मैंने सिखा कि अगर आप किसी की मदद करते हो तो वो लोग आपको सम्मान देंगे और परिवार का एक हिस्सा समझेंगे। उस दिन से जब भी कोई मेरी टैक्सी में सामान भूलता है तो मैं उसे तुरंत वापिस लौटा देता हूँ।”

आप गदाधर को उनके ईमेल mandal.goodcab@gmail.com पर लिख सखते है।

मूल लेख तनया सिंग द्वारा लिखित।
कहानी सौजन्य: केतन रिन्दानी

 

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