आज जब पूरा देश करगिल विजय दिवस पर अपने उन रणबांकुरों को याद कर रहा है, जिन्होंने देश के इस दुर्गम इलाके में पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए अपनी जान गंवा दी थी, तो पुणे स्थित फिल्म प्रशिक्षण संस्थान ”फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया” (एफटीआईआई) भला क्यों पीछे रहता। एफटीआईआई के मुख्य गेट पर करगिल युद्ध की याद ताज़ा करा देने वाले द्रास युद्ध स्मारक का एक रियल-लाइफ रेप्लिका आम जनता के लिए लगाया गया है।
मेजर जनरल राज विजयेंद्र सिंह, वीएसएम, एमजी आर्मी सप्लाई कोर, सदर्न कमांड, पुणे ने कल इस भव्य रेप्लिका का उद्घाटन किया।

एफटीआईआई के निदेशक भूपेंद्र कैंथोला ने बताया – ”करगिल युद्ध में वीरगति प्राप्त सैनिकों को नमन करने का मौका पुणेवासियों को देने के मकसद से यह रेप्लिका लगाया गया है। यहां से आते-जाते हुए लोग एफटीआईआई के गेट के ठीक सामने रेप्लिका देखकर न सिर्फ चौंक जाते हैं बल्कि रुक कर फोटो लेते हैं, सेल्फी खींचते हैं और कई बार तो शहर घूमने आए सैलानियों के हुजूम तक संस्थान द्वारा समय-समय पर लगाए जाने वाले देश के अन्य कई स्मारकों के रेप्लिका देखने के लिए खास तौर से इस तरफ चले आते हैं।”

आपको याद दिला दें कि जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में मई-जून में पाकिस्तानी सेना नियंत्रण रेखा पार कर करगिल में कई महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा जमा चुकी थी। भारतीय सेना ने इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में इन सामरिक महत्व की चोटियों को दुश्मन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ चलाया और 60 दिनों तक चली कार्रवाई के बाद 26 जुलाई को पूर्ण विजय प्राप्त की। युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में करगिल में द्रास से करीब 6 किलोमीटर दूर एक युद्ध स्मारक का निर्माण करवाया था। द्रास देश का सबसे ठंडा और साइबेरिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा इलाका है।
द्रास से सैंकड़ों किलोमीटर दूर पश्चिम भारत में, इस युद्ध स्मारक की हुबहू प्रतिकृति अब पुणेवासियों के लिए उनके अपने शहर में मौजूद है। लॉ रोड पर स्थित देश के प्रतिष्ठित फिल्म प्रशिक्षण संस्थान एफटीटाईआई के ठीक सामने लगे इस रेप्लिका पर वे बुलंदियों के उन रखवालों को नमन कर सकते हैं जिनकी वजह से देश सुकून की नींद सोता है।

यह रेप्लिका 26 अगस्त, 2019 तक लगा रहेगा।
कैंथोला ने बताया कि अभी रेप्लिका का उद्घाटन हुए दो घंटे भी नहीं बीते थे कि इसे देखने के लिए स्थानीय लोगों और सैलानियों ने आना शुरू कर दिया था। यहां तक कि स्कूलों के प्रिंसीपलों के अनुरोध भी मिलने लगे हैं जो बच्चों को इसे दिखाने को उत्सुक हैं।

पुणे में करगिल युद्ध स्मारक का रेप्लिका एफटीआईआई की एक अनूठी पहल का हिस्सा है। दरअसल, संस्थान का आर्ट डायरेक्शन एंड प्रोडक्शन डिजाइन डिपार्टमेंट साल में दो बार – गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस तरह की अद्भुत प्रदर्शनी लगाता है। सबसे पहले अगस्त 2016 में अमृतसर के जलियांवाला बाग की प्रतिकृति यहां लगायी गई थी। इसकी लोकप्रियता से प्रेरित होकर देश के और कई राष्ट्रीय महत्व के स्मारक जैसे अंडमान की सैलुलर जेल (गणतंत्र दिवस 2017), दिल्ली का इंडिया गेट युद्ध स्मारक (स्वतंत्रता दिवस 2017), कन्याकुमारी का स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल (गणतंत्र दिवस 2018), अहमदाबाद का साबरमती आश्रम (स्वतंत्रता दिवस 2018) के रेप्लिका भी पुणेवासियों के लिए लगाए जा चुके हैं।
गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ के सिलसिले में एफटीआईआई ने दिल्ली के राजघाट (गणतंत्र दिवस 2019) का रेप्लिका तैयार किया था जो फरवरी 2019 तक लगा रहा था और आने-जाने वालों के आकर्षण का सबब बना भी बना रहा।

कैंथोला बताते हैं कि बीते तीन सालों से राष्ट्रीय पर्वों के मौके पर एफटीआईआई का आर्ट डायरेक्शन एंड प्रोडक्शन डिजाइन डिपार्टमेंट अपने हुनर का परिचय इसी तरह से देता आ रहा है। इन लाइफ-साइज़ मॉडलों को आम जनता की नज़रों में लाकर संस्थान धीरे से यह भी कह जाता है कि इसके ऐतिहासिक परिसर में सिर्फ एक्टर-डायरेक्टर या स्क्रिप्टराइटर ही नहीं तैयार होते बल्कि ऐसे हुनरमंद आर्ट डायरेक्टरों की भी पाठशाला यहां सजती है जो फिल्मों के लाजवाब सैट तैयार करने का हुनर यहां सीखते हैं।
इसी विभाग से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर आशुतोष कविश्वर की देखरेख में द्रास युद्ध स्मारक का रेप्लिका बनाया गया है। कैंथोला बताते हैं कि इस अद्भुत और रियल लाइफ रेप्लिका को शिद्दत से अंजाम देने वाले प्रोफेसर आशुतोष ने सिर्फ इंटरनेट पर द्रास वॉर मेमोरियल की तस्वीरें और वीडियो देखकर इसे बनाया है। है न, हैरानी का सबब कि द्रास स्थित इस महत्वपूर्ण स्मारक को पुणे में हु-ब-हू साकार कर देने वाले प्रोफेसर ने अपनी आंखों से साक्षात् इसे आज तक नहीं देखा है!