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एयर होस्टेस की सूझ-बुझ से टला बड़ा हादसा, नवीं मंजिल तक सीढ़ियाँ चढ़कर बुझाई आग!

पिछले साल 7 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुए एक वाकया ने दिखाया कि उनका प्रशिक्षण सिर्फ़ एयरलाइन्स और उड़ान तक ही सीमित नहीं है। बल्कि, जरूरत पड़ने पर यह प्रशिक्षण कहीं भी काम आ सकता है और यह बात जेट एयरवेज़ की एक एयर होस्टेस राधिका अहिरे ने सही साबित की है। 

भी फ्लाइट अटेंडेंट्स को ट्रेनिंग दी जाती है कि आपातकालीन स्थिति जैसे कि विमान में आग लग जाये तो क्या करें या फिर विमान में कोई तकनीकी खराबी आ जाए तो कैसे संभाले और क्या करें। हालांकि, ज्यादातर उनकी ट्रेनिंग फ्लाइट के दौरान किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए होती है।

पर पिछले साल 7 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुए एक वाकये में जेट एयरवेज़ की एयर होस्टेस, राधिका अहिरे ने यह साबित कर दिया कि उनका प्रशिक्षण सिर्फ़ एयरलाइन्स और उड़ान तक ही सीमित नहीं है। बल्कि, जरूरत पड़ने पर यह प्रशिक्षण कहीं भी काम आ सकता है।

राधिका ने देखा कि उनकी बिल्डिंग के पास वाली गोकुल पंचवटी बिल्डिंग के नौवीं मंजिल पर एक अपार्टमेंट में आग लग गयी है। उस समय वे बाहर जा रही थीं, जब उन्होंने उस घर में आग लगी देखी।

“आग शायद किसी पटाखे की वजह से लगी थी। मैं बाहर जा रही थी और तभी मैंने देखा कि उस घर के बाहर सुखाने के लिए डाले गये कपड़ों में आग लगी हुई थी और फिर आग खिड़की से अंदर भी फ़ैल गयी,” अहिरे ने द हिन्दू को बताया।

आग को फैलते देख, राधिका तुरंत उस बिल्डिंग की तरफ़ भागी और जल्दी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए नौवे माले पर पहुँची। जिस घर में आग लगी थी, उन्होंने उसका दरवाज़ा कुल्हाड़ी की मदद से खोला और नौ अग्निशामकों की मदद से आग बुझाई। फायरमैन के आने से पहले ही राधिका ने आग पर काबू पा लिया था।

इस काम में उनकी मदद उनके भाई रोहित और एक पड़ोसी महेश बेलापुरकर ने की। उन्होंने हर एक माले के अग्निशामक (Fire Extinguisher) लिये और साथ ही अपनी बिल्डिंग, दीप टावर से कुल्हाड़ी लेकर गये। हालांकि, वह अपार्टमेंट उस समय खाली था, पर अहिरे की इस सुझबुझ से एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गई। अगर अहिरे समय पर न पहुँचती, तो शायद आग पूरी बिल्डिंग में फ़ैल जाती।

“मेरी प्राथमिकता उस समय लोगों को बचाने की थी,” राधिका ने कहा

उन्होंने जेट एयरवेज़ के साथ फायर फाइटिंग की ट्रेनिंग तो ली है पर ट्रेनिंग के दौरान बनावटी आपातकाल-स्थिति होती है और असल ज़िन्दगी में इस तरह अचानक आई मुश्किल का सामना करना कोई आसान बात नहीं होती। पर अचानक आई इस मुसीबत का भी राधिका ने बहादुरी से सामना किया और अपने प्रशिक्षण को ज़ाया नहीं जाने दिया।

भले ही यह घटना पिछले साल की है। पर इस बिल्डिंग में रहने वाले लोग चाहते थे कि यह घटना सबको पता चले, ताकि भावी पीढ़ी यानी कि यहाँ रहने वाले बच्चे इससे सबक और प्रेरणा लें। इसलिए, इन सभी लोगों ने इस गणतंत्र दिवस के मौके पर राधिका अहिरे को उनकी बहादूरी के लिए सम्मानित किया।

(संपादन – मानबी कटोच)


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