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मिज़ोरम: हर शुक्रवार माता-पिता के साथ बाज़ार में बेचती है सब्ज़ियाँ, बोर्ड में हासिल किये 97.2%!

अपने चार भाई-बहनों में लाल्रिन्नुंगी सबसे छोटी हैं। उनके माता-पिता, लह्लिम्पुई और ज़ोथान्लौंगा सब्ज़ी बेचते हैं और हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटी ज़िंदगी में कुछ अच्छा करे।

4 मई 2019 का दिन 16 वर्षीय लाल्रिन्नुंगी के लिए बहुत ख़ास था। उस दिन घर के काम ख़त्म करने और कुछ देर पढ़ाई करने के बाद, वह बाज़ार जाने के लिए निकली।

पर उसे यह बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि यहाँ पर उसके गाँव के कई लोग उत्सुकता से उसका इंतज़ार कर रहे थे। इन लोगों ने फूलों के गुलदस्तों और बहुत सारे प्यार के साथ उसका स्वागत किया, क्योंकि आज लाल्रिन्नुंगी पूरे मिज़ोरम के लिए गर्व का प्रतीक बन चुकी है।

मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल से 15 किलोमीटर दूर स्थित गाँव नेइहबावी की निवासी लाल्रिन्नुंगी ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा में 97.2% अंक प्राप्त कर, न सिर्फ़ अपने माता-पिता बल्कि पूरे गाँव का नाम रौशन किया है। 17, 000 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए उसने इस टॉप रैंक को हासिल किया है।

फोटो स्रोत: नौशीन खान (बाएं); मिजोरम कांग्रेस (दायें)/ट्विटर

उसने हँसते हुए बताया कि जब लोगों ने उसे आकर गले लगाया, तो वह हैरान हो गयी, पर साथ ही, थोड़ा डर भी गयी थी। पर जब इन लोगों के इतने प्यार की वजह के बारे में उसे पता चला, तो वह ख़ुशी से रोने लगी।

अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटी, लाल्रिन्नुंगी के माता-पिता, लह्लिम्पुई और ज़ोथान्लौंगा सब्ज़ी बेचते हैं। वे हमेशा से चाहते थे कि उनकी बेटी ज़िंदगी में कुछ अच्छा करे, और आख़िर आज वह दिन आज वह दिन आ ही गया।

अपने पुराने स्कूल (प्रेसबाइटेरियन इंग्लिश स्कूल) में पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन के चलते, लाल्रिन्नुंगी को सैंट जोसेफ़ हायर सेकेंडरी स्कूल (बोर्डिंग स्कूल) में पढ़ने के लिए फीस में रियायत मिली।

“एक वक़्त था, जब आर्थिक तंगी की वजह से मेरे माता-पिता को मुझे अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मुझे मेरे पहले स्कूल में और कड़ी मेहनत करनी पड़ी और इस तरह से मुझे इस स्कूल में रियायत मिली। पर रिजल्ट आने के बाद, मेरे माता-पिता को बहुत से स्कूलों से मेरे एडमिशन के लिए ऑफर आने लगे,” उसने बताया।

लाल्रिन्नुंगी बोर्डिंग स्कूल जाने से पहले घर पर अपनी पढ़ाई करती थी। तब वह घर के काम भी करती थी और फिर बाज़ार में अपने माता-पिता की मदद भी। हर शुक्रवार को वह अपने माता पिता के साथ बाज़ार में सब्जियां बेचती थी।

फोटो स्रोत: राल्टे (दायें ); नंदिनी (बाएं) / ट्विटर

इस तरह कड़ी मेहनत करने वाली लाल्रिन्नुंगी के लिए बोर्डिंग स्कूल की ज़िंदगी में ढलना थोड़ा मुश्किल रहा।

“खुशकिस्मती कहें या फिर बदकिस्मती, लेकिन मैं अपनी उम्र की बाकी लड़कियों की तरह नहीं हूँ। मैं नहीं हो सकती। वे सब बिना दुनिया या फिर पैसे की परवाह किये जी सकती हैं, पर मुझे अपने सिर को झुकाकर किताबों में गड़ना पड़ता है। कभी-कभी मुझे लगता है कि अच्छा है, कम से कम मेरा पूरा ध्यान पढ़ाई पर ही रहता है, क्योंकि मेरे परिवार की स्थिति बदलना मेरे लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी है,” द बेटर इंडिया से बात करते हुए लाल्रिन्नुंगी ने कहा।

आगे चलकर वह आईएएस अफ़सर बनना चाहती हैं। “मैं चाहती हूँ कि और भी लोगों को, ख़ासकर कि मेरे जैसी लड़कियों को मौका मिले। पर यूपीएससी करने से पहले, मैं मेडिसिन में अपनी पढ़ाई पूरा करना चाहती हूँ।”

इस सफ़लता के लिए लाल्रिन्नुंगी को बधाई और भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं!

मूल लेख: अनन्या बरुआ

संपादन – मानबी कटोच 


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