Placeholder canvas

घर बैठे व्हाट्सएप पर साड़ियाँ बेचकर हर महीने 1.5 लाख रूपये कमा रही हैं चेन्नई की शंमुगा!

उम्मीद की किरण तब जागी, जब उन्होंने अपनी कॉलेज की एक दोस्त को कुछ साड़ियों की फोटो खींचकर भेजी, जिसने खुद आगे बढ़ कर व्हाट्सएप पर अपने एलुमनी ग्रुप में तस्वीरें भेज दीं।

गर आज से पांच साल पहले कोई व्यक्ति चेन्नई की शंमुगा प्रिया को कोई बिज़नेस शुरू करने के लिए कहता, तो वो शायद इसे हंस कर टाल देतीं।

पर आज वही शंमुगा ‘यूनीक थ्रेड्स’ के नाम से साड़ियों का बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें वे व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विक्रेता और ग्राहकों से संपर्क बना कर रखती हैं। इनका नेटवर्क करीब 16 ग्रुप द्वारा फैला हुआ है, जिसमे 250 छोटे विक्रेता, जिनसे एक खुद माल खरीदती हैं और 86,000, ऐसे विक्रेता जुड़े हुए हैं जो इनकी साड़ियाँ आगे ग्राहकों को बेचते हैं।

इस बिज़नेस से ये हर महीने 1.5 लाख रूपये तक कमा लेती हैं और त्यौहारों के समय इस आय में और भी बढ़ोतरी हो जाती है!

पर शंमुगा के लिए यह सब बिल्कुल भी आसान नहीं था!

10 साल तक एचआर के पद पर नौकरी करने वाली शंमुगा को अपनी सास की बिगड़ती तबीयत के चलते नौकरी छोड़नी पड़ी। पर उनके नौकरी छोड़ने के कुछ अरसे बाद ही उनकी सास का निधन हो गया था।

शंमुगा का रिश्ता अपनी सास के साथ बहुत गहरा था। उनके लिए वे उनकी सगी माँ से भी बढ़कर थीं। इसलिए अपनी सास की मौत का उन्हें बहुत सदमा लगा।

शंमुगा प्रिया की सास (साभार: शंमुगा)

उनकी ज़िन्दगी जैसे रुक-सी गयी थी, पर घर के हालात कुछ ऐसे हो गये थे कि उन्हें अपनी नौकरी छोड़ कर उन सभी जिम्मेदारियों को संभालना था, जो अब तक इनकी सास संभाल रही थी। उस समय उनका बेटा तीन महीने का था और उनके पति, हरी दिल्ली में जॉब से संबंधित किसी ट्रेनिंग में व्यस्त थे।

कॉलेज से ग्रेजुएट होते ही उन्होंने नौकरी करना शुरू कर दिया था। इसलिए अब इस तरह घर में खाली बैठना उन्हें खल रहा था और इससे उनका दुःख सिर्फ़ बढ़ रहा था।

द बेटर इंडिया को वे बताती हैं, “इस दौरान मेरे पति ने मुझे बताया कि किस तरह उनकी माँ ने घर-घर घूम कर साड़ी बेचीं और उन्हें व उनके भाई-बहनों को अकेले पाला। अपने हिस्से के संघर्षो का सामना करने के बाद भी उन्होंने ध्यान रखा कि उनके बच्चों पर कोई आंच न आये। उनकी कहानी ने मुझे इतना प्रेरित किया कि मैंने भी एक कोशिश करने की ठानी।”

साल 2013 में; 30,000 रुपये की मामूली लागत के साथ शंमुगा प्रिया ने इस व्यवसाय की शुरुआत की और साड़ियाँ खरीदने के लिए स्थानीय बाज़ार के चक्कर काटने लगीं।

शंमुगा प्रिया

वे याद करती हैं, “मैंने घर पर साड़ियाँ लगायी, और पड़ोसियों को बता दिया। उन पड़ोसियों ने अपने दोस्तों और जान-पहचान वालों तक यह बात पहुंचाई। लोगो का आना-जाना जारी रहा, पर मैं देखती कि लोग घंटों तक साड़ियाँ देखते और दिन भर घर में आते-जाते रहते थे, और सिर्फ़ एक साड़ी खरीदते। यह बहुत तनावपूर्ण हो गया था और मैं अक्सर सोचती कि कहीं मैंने गलत निर्णय तो नहीं ले लिया।”

उम्मीद की किरण तब जागी, जब उन्होंने अपनी कॉलेज की एक दोस्त को कुछ साड़ियों की फोटो खींचकर भेजी, जिसने खुद आगे बढ़ कर व्हाट्सएप पर अपने एलुमनी ग्रुप में तस्वीरें भेज दीं।

शंमुगा प्रिया गर्व से बताती हैं, “एक सप्ताह के भीतर, मेरे घर पर रखा पूरा माल बुक हो गया था। मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैंने अपना पहला पैकेज कूरियर किया था। व्यापार करने का यह तरीका बहुत नया था, पर मेरे लिए यह ‘क्लिक’ कर गया और फिर मैंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।”

फिर उन्होंने घर बुला कर कपड़े दिखाने का सिलसिला बंद कर दिया और साड़ियों की बिक्री केवल व्हाट्सएप द्वारा करने लगी। उनसे कई ऐसे ग्राहकों ने भी संपर्क किया जो उनकी साड़ियों को आगे बेचना चाहते थे। इस प्रस्ताव को शंमुगा ने ख़ुशी- ख़ुशी स्वीकार कर लिया।

वे बताती हैं, “इनमें से अधिकतर गृहणी, कॉलेज के विद्यार्थी या कई छोटे स्तर के व्यापारी थे, जो मेरी साड़ियों को बेच कर कुछ अच्छा कमाना चाहते थे। मेरे हित में जो बात काम कर रही थी, वह थी मेरे कपड़ों की विशिष्टता, जिसे मैं खुद चुनती और स्टाइल करती थी।”

कई ग्राहकों से बात करने के बाद उन्होंने ‘यूनिक थ्रेड्स’ को एक व्यापक मंच देने का फैसला किया और फिर 8 मार्च 2013 को यह फेसबुक पर भी आ गया।

साभार: शंमुगा प्रिया

इस कदम से उनकी बिक्री काफ़ी बढ़ गयी और उन्होंने फेसबुक पर ही ‘री सेलर’ ग्रुप भी बनाया, जिसमे आज 86,000 सदस्य हैं!

वे बताती हैं कि इन ग्रुप्स में लोग किसी विशेष स्टाइल के लिए आग्रह करते हैं या फिर आपस में संपर्क करते हैं। हर एक तरीके से उनका नेटवर्क बढ़ता है। उन्हें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और नीदरलैंड से भी आर्डर मिले हैं।

जहाँ पहले शंमुगा प्रिया स्थानीय दुकानों से साड़ियाँ खरीदती थी, अब उन्हें सीधा उत्पादकों से लेने की ज़रूरत महसूस होने लगी।

उन्होंने आगे बताया, “इससे मुझे यात्रा करने और उत्पादकों से मिलने का मौका मिला। इसके साथ ही मैंने अलग-अलग तरह के कपड़ों के बारे में और साड़ी बिक्री के व्यवसाय के बारे में बहुत कुछ जाना। मैं तह-ए–दिल से मानती हूँ कि थोक विक्रेताओं ने मुझे बहुत सहयोग दिया क्योंकि आम तौर पर वे आगे से इतने सहायक नहीं होते और इससे नए उद्यमियों के लिए मुश्किल होती है। पर मेरे मामले में इनके मार्गदर्शन ने अहम् भूमिका निभायी है।”

इनकी कहानी इतनी प्रसिद्ध हुई कि व्हाट्सएप ने इस पर एक शोर्ट फिल्म भी बनायी है, आप यहाँ देख सकते हैं।

व्हाट्सएप के प्रेसिडेंट से मुलाक़ात

ऑनलाइन मार्किट के चलते बिज़नेस में पिछल कुछ सालों में तेज़ी आई है, पर साथ ही प्रतिद्विन्दी भी बहुत हैं। शंमुगा प्रिया मानती है कि उनकी यूएसपी उनके कपड़ों का सबसे अलग होना है, जो कई बार ‘ट्रेंडसेटर’ बन जाते हैं।

वे बताती हैं, “ उदाहरण के लिए, आज कलमकारी की मांग दुनिया भर में है। पर जब हमने शुरुआत की थी, तब ऐसा नहीं था। मैं मानती हूँ कि हमारे प्रोडक्ट्स और साथ ही लोगों द्वारा इनकी सराहना, इस सबने हमारे हित में काम किया है।”

वर्तमान में, शंमुगा प्रिया के पास 6 लोगों का स्टाफ है और वे कोवुर में इनके घर के फर्स्ट फ्लोर से काम करते हैं। सारी साड़ियाँ और अन्य सामान यहाँ इकठ्ठा होते हैं और यहीं से पैक कर के भेजे जाते हैं। आमतौर पर ये प्रतिदिन कम से कम 80 साड़ियाँ बेचती हैं और त्योहारों में यह गिनती दुगनी हो जाती है।

कई लोगो ने उन्हें सलाह दी है कि शंमुगा प्रिया को व्हाट्सएप से आगे बढ़ना चाहिए और बेहतर बिज़नेस के लिए व्यापक रूप से इसे बढ़ाना चाहिए। पर वे कहती हैं कि बिज़नेस के नज़रिए के साथ उन्होंने शुरुआत की ही नहीं थी।

शंमुगा के घर में ही स्टोर

अंत में वे बताती है, “मुझे लगता है कि सब कुछ एकदम सामने होना ही ज़रूरी नहीं है। बिज़नेस को इस तरह से भी चलाया जा सकता है, जैसा कि यूनीक थ्रेड्स ने पांच सालों में साबित किया है।”

शंमुगा प्रिया का दृढ़ विश्वास, कड़ी मेहनत और अपने काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने ही उनके बिज़नेस को ऊँचाईयों तक पहुँचाया है।

फेसबुक पर यूनीक थ्रेड्स से जुड़ने के लिए क्लिक करें। आप उनके व्हाट्सएप नंबर 9710402535 पर भी उनसे संपर्क कर सकते हैं!

मूल लेख: लक्ष्मी प्रिया
संपादन: निशा डागर


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X