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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कुछ कही-अनकही कहानियाँ!

नेताजी के बारे में कई ऐसी बातें है जो हमने कई बार सुनी है और कई ऐसी जो हम अब भी नहीं जानते, पर उनके जीवन से जुडी कोई भी बात हो वो हमे हमेशा प्रेरणा से भर देती है! आईये जाने कुछ ऐसी ही बाते -

नेताजी के बारे में कई ऐसी बातें है जो हमने कई बार सुनी है और कई ऐसी जो हम अब भी नहीं जानते, पर उनके जीवन से जुडी कोई भी बात हो वो हमे हमेशा प्रेरणा से भर देती है! आईये जाने कुछ ऐसी ही बाते –

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक असाधारण छात्र थे। सिविल सर्विसेस की परीक्षा में वे चौथे स्थान पर आये थे।

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जलियांवाला बाग़ की घटना से वे इतने आहत हुए कि उन्होंने सिविल सर्विसेस में अपने सुनहरे भविष्य को छोड़, आज़ादी की लड़ाई लड़ने की ठान ली।

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सन् १९२१-१९४१ के दौरान, नेताजी को ११ बार विभिन्न भारतीय जेलो में कैद किया गया।

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ऑस्ट्रियन मूल की एमिली शेंकि से नेताजी का विवाह हुआ था। उन दोनों की एक बेटी भी है, जिनका नाम है अनीता बोस पाफ। अनीता जर्मनी में एक जानी मानी अर्थशास्त्री है।

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नेताजी ने जर्मनी से मैडागास्कर की यात्रा U-180 नामक एक पनडुब्बी में की थी और वहां से एक जापानी पनडुब्बी I-29 ने उन्हें जापान तक पहुँचाया।पनडुब्बी में इतनी लंबी यात्रा करना बेहद खतरनाक था और आज़ादी की लड़ाई के इतिहास में ये अद्वितीय है।

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भारत को ‘जय हिन्द’ का नारा देने वाले वीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

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भारत ही नहीं जापान में भी नेताजी का नाम बहुत अदब से लिया जाता है।२३ अगस्त २००७ को जापान के प्रधानमंत्री, शिंजो एब ने कोलकाता के सुभाष चंद्र मेमोरियल हॉल का दौरा किया था।

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“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा” का नारा देकर नेताजी ने लाखो देशप्रेमियों के दिलो में आज़ादी की मशाल जलायी थी।

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सन् 1941 में अदम्य साहस का परिचय देते हुए नेताजी भारत में अपनी नज़रबंदी से भाग निकले। वे कोलकाता से एक कार में गोमो गए और फिर वहां से ट्रेन में पेशावर पहुंचे। पेशावर (जो अब पाकिस्तान में है) से वे काबुल गए और फिर वहां से अडोल्फ़ हिटलर की मदद लेने जर्मनी पहुंचे।

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भारत को आजादी दिलाने की लड़ाई में अपना सम्पूर्ण जीवन न्योछावर करने वाले इस भारत माता के सच्चे सुपुत्र को हमारा शत शत प्रणाम !

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