दिल्ली सरकार का अहम फ़ैसला, अक्टूबर तक चलाई जाएँगी दिव्यांगों के अनुकूल 1,000 बसें!

दिल्ली सरकार ने राजधानी में दिव्यांग-अनुकूल बस चलवाने का फ़ैसला किया है। इस पहल के पायलट स्टडी के लिए फ़िलहाल 25 बस शुरू होंगी और ऐसी कुल 1, 000 बसें अक्टूबर के महीने तक पूरे शहर भर में दौड़ने लगेंगी। जब पूरी दुनिया में ट्विटर पर #ThingsDisabledPeopleKnow पर बात हो रही है तो यह बहुत ही अच्छा कदम है।

पिछले कुछ समय से ट्विटर पर जारी  #ThingsDisabledPeopleKnow के जरिये दुनियाभर से दिव्यांग लोग खुद से जुड़े मुद्दों और सामान्य धारणाओं के ऊपर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में, भारत में दिव्यांग लोगों के लिए एक बहुत ही सकारात्मक कदम उठाया गया है।

सार्वजानिक स्थानों पर सुविधाओं की कमी के चलते दिव्यांगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने राजधानी में दिव्यांग-अनुकूल बस चलवाने का फ़ैसला किया है। इस बस में चढ़ने और उतरने के लिए सामान्य दो दरवाजों की जगह तीन दरवाजे होंगे।

योजना के अनुसार, इस पहल की पायलट स्टडी के लिए मार्च के अंत तक 25 बसें शुरू होंगी और ऐसी कुल 1, 000 बसें अक्टूबर के महीने तक पूरे शहर भर में दौड़ने लगेंगी। दिव्यांगों के लिए इन 1, 000 बसों को मिलाकर, दिल्ली में 4, 000 नई बसें शुरू करने का निर्णय किया गया है।

आठ साल बाद; दिल्ली में बसों की संख्या बढ़ाने का कदम उठाया गया है। वर्तमान में, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के पास 5,443 सार्वजनिक बसें हैं, जबकि जरूरत के हिसाब से लगभग 11, 000 बसें होनी चाहिए। हालांकि, इनमें से केवल 3,750 बसें ही दिव्यांगों के लिए अनुकूल हैं; जो कि लो-फ्लोर सीएनजी बसें हैं।

यह देश की राजधानी में पहला इस तरह का निर्णय है; जो कि शहर को दिव्यांग-अनुकूल बनाने की दिशा में लिया गया है।

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “इन नई बसों में तीन दरवाजे होंगे- एक सामने, एक बीच में और दूसरा पीछे। और अन्य प्रकार की बसें, जिन्हें हमने आज मंजूरी दी है, वे सामान्य क्लस्टर की बसें होंगी, पर इनमें व्हीलचेयर को आसानी से चढ़ने के लिए हाइड्रोलिक लिफ्ट रहेंगीं।

सोमवार को हुई एक बैठक में दिव्यांगों के अनुकूल स्टैण्डर्ड-फ्लोर की बसों के दो प्रोटोटाइप को अंतिम रूप दिया गया। इन बसों को शुरू करने की योजना में तकनीकी समस्यायों के चलते काफ़ी देर हो रही थी। क्योंकि, बसों को स्टैण्डर्ड फ्लोर रखें या फिर लो-फ्लोर, इस पर बहुत चर्चा हुई। पर अब स्टैण्डर्ड फ्लोर बसों में हाइड्रोलिक लिफ्ट लगवाई जाएँगी। इन बसों का परिवहन विभाग द्वारा परीक्षण भी किया गया है।

बेशक, यह कदम बेहतर भारत की दिशा में है और इस तरह के फ़ैसले देश के ढांचे को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने के लिए मददगार साबित होंगें।

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