पिता ने कर्ज़ लेकर बनवाया था क्रिकेट ग्राउंड, बेटी ने नेशनल टीम में सेलेक्ट होकर किया सपना पूरा!

अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने साउथ अफ्रीका की टीम के खिलाफ़ 75 रनों की शानदार पारी खेलकर सबका दिल जीत लिया है!

21 दिसंबर 2018 को राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखने वाली प्रिया पुनिया को टीम में जगह मिली।

अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने 75 रनों की शानदार पारी खेलकर सबका दिल जीत लिया है। लेकिन प्रिया की यह कामयाबी उनके साथ-साथ उनके पिता सुरेंद्र पुनिया की मेहनत और लगन का भी नतीजा है। प्रिया की इस सफलता से उनके पिता का हर संघर्ष सफ़ल हो गया है। ख़बरों के मुताबिक, सुरेंद्र पुनिया ने अपनी कुछ प्रॉपर्टी बेच कर और कुछ कर्ज़ लेकर जयपुर के पास ही 22 लाख रूपये में 1.5 बीघा जमीन खरीदी थी, ताकि वे अपनी बेटी के लिए क्रिकेट ग्राउंड बनवा सकें।

प्रिया के पिता भारतीय सर्वेक्षण विभाग में कार्यरत हैं। साल 2016 में उनका तबादला दिल्ली से जयपुर हो गया था। जब जयपुर में प्रिया ने क्रिकेट अकैडमी ज्वाइन करनी चाही, तो वहाँ के कोच ने उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि ‘एक लड़की क्या कर पायेगी?’

यह बात प्रिया के दिल को लग गयी और उन्होंने उस अकैडमी में जाना छोड़ दिया।

यह घटना तब हुई, जब भारतीय टीम के लिए प्रिया का चयन लगभग तय था, लेकिन उन्हें टीम में जगह नहीं मिली थी। इसके एक साल पहले से ही, उत्तरी ज़ोन के लिए दिल्ली के तरफ़ से खेलने वाली प्रिया का प्रदर्शन काफ़ी अच्छा था। उन्होंने अपनी टीम के लिए 95 रन बनाए थे। ‘इंडिया ए’ टीम के लिए भी वह बेहतरीन प्रदर्शन कर चुकी हैं। 2015 में टीम के लिए नहीं चुने जाने के बारे में प्रिया ने कहा, “मुझे लगा था कि मेरा चयन होगा। मुझे बुरा लगा पर मैंने उम्मीद नहीं हारी। मुझे पता था कि मेरा समय भी आएगा।”

दिल्ली के लिए खेलते हुए (साभार: फेसबुक/प्रिया पुनिया)

अपनी बेटी की मेहनत और लगन को देखते हुए सुरेंद्र ने एक क्रिकेट-पिच बनाने वाले से बात की। लेकिन उसने इस काम के लिए 1 लाख रूपये की मांग की। इसलिए, सुरेंद्र ने खुद ही क्रिकेट पिच बनाने का फ़ैसला लिया और साथ ही इसके रख-रखाव के लिए हर महीने 15,000 रूपये खर्च किये।

प्रिया का जुनून था कि वह अपने दम पर ही टीम में अपनी जगह बनाएंगी। इसलिए जब बीसीसीआई के एक अधिकारी ने उनके पिता से उनके लिए सिफ़ारिश लगाने की बात की, तो प्रिया ने साफ इंकार कर दिया। प्रिया ने कहा कि अगर इस तरह से उन्हें टीम में जगह मिलेगी तो वह खुद पीछे हट जाएँगी।

इस 22-वर्षीय खिलाड़ी ने सिर्फ़ प्रैक्टिस या फिर टीम में चयन आदि के लिए ही मुश्किलों का सामना नहीं किया है। जयपुर आने के बाद उनका स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा। उन्हें पहले पीलिया हो गया और फिर इसके तीन महीने बाद उनके हाथ का अंगूठा फ्रैक्चर हो गया था।

ऐसे में जब प्रिया का हौंसला टूटने लगा, तो उनके पिता न सिर्फ़ उनके मार्गदर्शक बने, बल्कि एक दोस्त के रूप में भी उनके साथ खड़े रहे। आज प्रिया की इस सफ़लता ने पिता और बेटी के सपनों में रंग भर दिए हैं।

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मूल लेख: रिनचेन नोरबू वांगचुक

संपादन – मानबी कटोच


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