पति-पत्नी ने नौकरी छोड़, बनाया हाईटेक फार्म, हर दिन उगाते हैं 8000 किलो सब्जियां

Simply Fresh

हैदराबाद के सचिन दरबरवार ने अपनी पत्नी श्वेता दरबरवार के साथ मिलकर ‘सिंपली फ्रेश’ की स्थापना की है, जहाँ QR कोड प्रणाली से ग्राहक हर बार उपज खरीदने से पहले इसकी जांच कर सकता है।

हैदराबाद के रहने वाले सचिन और श्वेता दरबरवार ने 2013 में ‘सिंपली फ्रेश’ (Simply Fresh) की स्थापना की थी। सिंपली फ्रेश लोगों तक ताजी सब्जियां पहुंचाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आधुनिक तकनिक का इस्तेमाल किया जाता है। यहां हाइड्रोपोनिक्स के माध्यम से हरेक पौधे तक, भरपूर पोषक तत्व पहुंचाने का विशेष ख्याल रखा जाता है। यह ब्रांड ग्राहकों तक कीटनाशक मुक्त पैदावार पहुंचाने का वादा करता है।

हैदराबाद में जन्मे और पले-बढ़े सचिन दरबरवार पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। सचिन ने न्यूजीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया में करीब 18 साल काम किया और फिर वापस हैदराबाद आने का फैसला किया।

द बेटर इंडिया के साथ बात करते हुए सचिन कहते हैं कि भारत में उनका बचपन काफी खूबसूरत रहा है। विदेश में रहते हुए भी, अपने देश लौटने की बात उनके दिल में कहीं ना कहीं हमेशा से रही। वह कहते हैं, “मेरे दिमाग में केवल एक सवाल हमेशा घूमता था कि भारत लौटने के बाद आखिर करना क्या है?” उन्हें अपने अगले वेंचर तक पहुंचने में थोड़ा समय लगा। साल 2013 में सचिन ने अपनी पत्नी श्वेता के साथ मिलकर, हैदराबाद के शमीरपेट में ‘सिंपली फ्रेश’ (Simply Fresh) की स्थापना की। जैसा कि नाम से पता चलता है, इस ब्रांड का लक्ष्य अपने ग्राहकों को पोषक तत्वों से भरपूर तथा केमिकल और कीटनाशकों से मुक्त भोजन प्रदान करना है।

फ़ार्म-टू-फ़ोर्क वेंचर में सचिन को एक चीज़ ने सबसे ज़्यादा आकर्षित किया, जिसे ‘टॉकिंग टू द प्लांट’ (पौधों से बात) कहा जाता है। यहां, पौधों की वृद्धि के हर चरण की निगरानी की गई, पोषक तत्वों की आपूर्ति दर्ज की गई और इसके आसपास का वातावरण नियंत्रित किया गया।

इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए, सचिन ने वनस्पतिविदों (बॉट्निस्ट), प्रोफेसरों और कृषि-क्षेत्र से जुड़े अन्य लोगों के साथ काम करना शुरू कर दिया। सचिन कहते हैं कि उन्होंने सक्रिय रूप से पौधों द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों को डिकोड करने पर काम किया। जैसे- ग्रीनहाउस में, पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों से प्रत्येक पौधे पर क्या प्रतिक्रिया होती है और जो पोषक-तत्व इन्हें दिए जा रहे हैं, उनसे पौधों पर क्या असर होता है आदि।

वह कहते हैं कि काम के सिलसिले में उन्होंने एक प्रोजेक्ट किया और तब उन्हें कृषि क्षेत्र में तकनीक का उपयोग करने की क्षमता का एहसास हुआ। वह ऑस्ट्रेलिया में लंबे समय तक रहे, जहां तकनीक का बहुत ज्यादा महत्व है। इसलिए, किसी नए काम में तकनीक को इस्तेमाल करने के विचार ने, उन्हें काफी आकर्षित किया। वह कहते हैं, ” कृषि और तकनीक को मिला कर बेहतर उत्पादन प्राप्त करने का लक्ष्य था और इसी लक्ष्य के साथ हमने 2013 में कंपनी शुरू की। ”

भारत में काम की शुरुआत

Simply Fresh
सिंपली फ्रेश हाईटेक फार्म

2013 में, सचिन और श्वेता ने लगभग 10 एकड़ जमीन पर ‘सिंपली फ्रेश’ (Simply Fresh) की शुरुआत की। श्वेता कहती हैं कि इसे उन्होंने एक प्रयोग की तरह शुरु किया। वह कहती हैं कि वे देखना चाहते थे कि क्या इससे कोई व्यावसायिक सफलता हासिल की जा सकती है या नहीं? श्वेता ऑस्ट्रेलिया के सुपरमार्केट के बारे में बात करते हुए बताती हैं कि वहां की सबसे बड़ी खासियत, ग्राहकों को ताजी सब्जियां प्रदान करना है। वह आगे बताती हैं कि सब्जियां इतनी हरी और ताजी होती थी कि उन्हें देख कर ही मन में लालच आ जाता था। उन्होंने महसूस किया कि भारत में ऐसी गुणवत्ता वाली सब्जियां नहीं मिलती हैं। श्वेता बताती हैं कि सिंपली फ्रेश (Simply Fresh) शुरु करने के पीछे का लक्ष्य, इसी तरह की गुणवत्ता वाली और ताजी सब्जियां प्रदान करना था।

क्या उनका कृषि क्षेत्र से कोई संबंध है? यह पूछे जाने पर सचिन कहते हैं, “मेरे दादा एक किसान थे, जिनके पास काफी जमीन थी। लेकिन मेरे पिता इस रास्ते पर नहीं गए। मुझे लगता है कि यह मेरे डीएनए में ही कहीं था।” भारत में अपना ऑपरेशन शुरू करने से पहले, इस दंपत्ति ने ऑस्ट्रेलिया में एक प्रोटोटाइप स्थापित किया और वहां की सफलता को देखते हुए, उन्होंने भारत में अपना पहला प्रोजेक्ट शुरू किया। चार एकड़ जमीन पर खेती शुरू करने के साथ, सचिन कहते हैं, “हमने लगभग 150 किस्मों की सब्जियां, शाक-जड़ी-बूटियाँ तथा पौधे उगाए हैं और सुपरमार्केट, होटल और हैदराबाद के आसपास के विभिन्न निगमों को इनकी आपूर्ति कर रहे हैं।”

पौधों की समझ और रूपरेखा

Simply Fresh
हर पौधे की होती है निगरानी

श्वेता कहती हैं कि उन्होंने 14 प्रकार के लैटस, 10 अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियां, टमाटर, शिमला मिर्च, काली मिर्च और विभिन्न माइक्रोग्रीन उगाने से शुरुआत की। वह कहती हैं कि, “पौधों के बीज बोने से लेकर फसल की कटाई होने तक, हमने बेहद सावधानी से पौधों की रूपरेखा तैयार की और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को समझने की कोशिश की।” सचिन आगे बताते हैं कि जैसे जन्म से बच्चे की पोषण संबंधी ज़रूरतें बदलती हैं, वैसे ही पौधों को भी अपने जीवनकाल के दौरान विभिन्न पोषक तत्वों की जरूरत होती है।

सचित बताते हैं कि कुल मिलाकर, पौधे 12 विभिन्न पोषक तत्व ग्रहण करते हैं और उनके विकास पर निर्भर करता है कि उन्हें किन पोषक तत्वों की जरुरत है। इस बारे में विस्तार से बताते हुए सचिन कहते हैं कि “जैसे गर्मियों में, हम तैलीय और चिकने भोजन से दूर रहना पसंद करते हैं, वैसे ही पौधों को भी गर्मियों में अलग चीजे देनी पड़ती हैं। खेती से जुड़ी सभी बातों को समझने के लिए हम तकनीक की मदद लेते हैं।” वह आगे कहते हैं कि, “हम अपने खेतों को ‘दुरुस्त खेत’ (Precision Farm) कहते हैं क्योंकि, हमने खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ खेती के लिए आर्टिफिशिअल इंटेलिजेंस के साथ हाइड्रोपोनिक्स को जोड़ा है।” सचिन के फार्म में लैटस, बेल की फसलें, शाक-जड़ी-बूटियाँ और माइक्रोग्रीन आदि सब्जियां उगाई जाती हैं।

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अपने फार्म में सचिन और श्वेता

इस क्षेत्र में सफलता मिलने के बाद सचिन और श्वेता ने न्यूट्रास्यूटिकल्स (पौष्टिक औषधीय) क्षेत्र में हाथ आजमाने के बारे में सोचा, जहां दवाओं के लिए पौधे उगाए जाते हैं। सचिन कहते है, “हमने देखा कि इस क्षेत्र के भीतर ही एक समस्या थी और भरोसेमंद कच्चा माल मिलना मुश्किल था। खरीदे जा रहे अधिकांश कच्चे माल जंगलों और आदिवासी क्षेत्रों से लिए जा रहे थे।” इसी कारण हर बैच, एक-दूसरे से अलग होता था और इसने उद्योग के लिए एक समस्या पैदा कर दी। औषधीय पौधों में, जिस पैरामीटर की निगरानी की जाती है, उसे ‘एल्कलॉइड्स’ (Alkaloids) कहा जाता है, जो पौधों में स्वाभाविक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ हैं तथा इसका अपना एक औषधीय महत्व है।

यह सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है कि औषधीय उपयोग के लिए उगाए जाने वाले पौधों में कोई केमिकल, कीटनाशक और भारी धातुएं नहीं हों। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अंतिम उत्पाद, किसी भी तरह से दूषित नहीं है। श्वेता कहती हैं, “इसने हमें बड़ा दायरा दिया और 2017-2018 में हमने औषधीय पौधों का उत्पादन शुरू किया।” उन्होंने खेत में हल्दी, अदरक, अश्वगंधा और सफेद मूसली उगाना शुरु किया।  

इसके बाद 2018 में, सिंपली फ्रेश (Simply Fresh) $20 मिलियन जुटाने में सफल रहा और अर्जुनपटला, सिद्दीपेट में 150 एकड़ की जमीन पर आधुनिक सुविधाओं के साथ अपनी खेती का विस्तार किया। सचिन बताते हैं कि खेत में प्रतिदिन लगभग आठ हजार किलोग्राम उत्पादन करने की क्षमता है, जो 22 एकड़ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नियंत्रित ग्रीनहाउस में प्रत्येक वर्ष 29,20,000 किलोग्राम से ज्यादा है। कंपनी में 170 लोग काम करते हैं तथा लगभग 70 प्रतिशत कार्यबल स्थानीय क्षेत्र और उसके आसपास से आता है। सचिन और श्वेता दोनों को ही काफी गर्व है कि उन्होंने ऐसा खेत बनाया है, जहां आधुनिक तकनीक की सहायता से काम किया जाता है।

व्यवसाय के कुछ दिलचस्प पहलुओं में एक ‘QR कोड’ आधारित पैकेजिंग शामिल है, जिससे प्रोडक्ट पर नजर रखने में सहायता मिलती है।

Simply Fresh
हाईटेक फार्म की एक झलक

सचिन कहते हैं, दवा कंपनियों के साथ काम करने में, हमने पाया कि दवा कंपनी वालों को एक बढ़िया स्तर की निगरानी की ज़रूरत थी। जैसे- पौधों को किसने बोया था, जब इनकी बुआई हुई तब कैसी जलवायु परीस्थितियां प्रचलित थीं, किसने इन्हें संभाला, इन्हें किसने काटा, कब काटा, इनका वजन क्या था, आदि। इन सब का जवाब देने के प्रयास में, हमने एक QR आधारित सिस्टम पेश किया।”

हालांकि, ऐसी कई कंपनियां हैं जो जैविक, स्वच्छ और ताजा फल-सब्जियां देने का दावा कर रही हैं, सिंपली फ्रेश (Simply Fresh) ने क्यूआर कोड प्रणाली पेश की है ताकि ग्राहक हर बार उपज खरीदने से पहले इसकी जांच कर सकें। सचिन कहते हैं कि उन्होंने ग्राहकों तक पहुंच खुली रखी है। वह बताते हैं कि फार्म से निकलने वाले हरेक पैकेट पर एक क्यूआर कोड होता है, जिसे ग्राहक अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए वेबसाइट पर स्कैन कर सकते हैं। वह आगे बताते हैं, जो वादा कंपनी कर रही है, उस पर खरा उतरने में सक्षम होना, हमारे इको-सिस्टम (पारिस्थितिकी तंत्र) का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम देखते हैं कि कई ग्राहक इसका इस्तेमाल करते हैं।

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मूल लेख: विद्या राजा

संपादन – प्रीति महावर

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