कब्ज से हैं परेशान? दादी का त्रिफला कब आएगा काम, पर क्या विज्ञान भी इसे मानता है?

Triphala has been used as a decades-old home remedy for chronic constipation

कब्ज ठीक करने के लिए त्रिफला आज से ही नहीं प्रयोग में लाया जा रहा। बल्कि हमारी आपकी दादी-नानी के समय से, यह इस समस्या का बेहतरीन समाधान बना हुआ है। लेकिन क्या यह सचमुच काम करता है?

कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिससे हर तीसरा व्यक्ति परेशान रहता है। फिर चाहे वह शहर में रहने वाल हो, या गांव-देहात में। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि शहरी लोगों में यह समस्या कुछ ज्यादा ही है। कब्ज ठीक करने के लिए तमाम तरह की देसी दवाइयों का इस्तेमाल भी किया जाता है। जिसमें सबसे ऊपर नाम आता है ‘त्रिफला’ (Triphala Benefits) का।

कब्ज ठीक करने के लिए यह नुस्खा आज से ही नहीं प्रयोग में लाया जा रहा। बल्कि हमारी आपकी दादी-नानी के समय से, त्रिफला इस समस्या का बेहतरीन समाधान बना हुआ है। लेकिन क्या यह सचमुच काम करता है? आइए जानें, वैज्ञानिक शोध इस बारे में क्या कहते हैं। 

स्ट्रेस और डिहाइड्रेशन से भी होती है कब्ज

हमारा पाचन तंत्र ठीक रहे और पेट से जुड़ी समस्याएं न हों, इसके लिए ढेरों देसी नुस्खे और एलोपैथिक मेडिसन पर जोर आजमाइश चलती रहती है। ऐसे में, आंतों (Guts) को हेल्दी बनाए रखना बेहद जरुरी है, वर्ना दस्त या फिर कब्ज, जैसी कोई न कोई समस्या लगी ही रहेगी।

गट हेल्थ सर्वे के अनुसार, भारत की 14 प्रतिशत आबादी पुराने कब्ज (Chronic constipation) से जूझ रही है। कब्ज की समस्या कई कारणों से होती है, जिसमें पानी कम पीना या फिर ज्यादा तनाव लेना सबसे प्रमुख कारण हैं। इससे निजात पाने का सबसे बेहतरीन उपाय है-‘त्रिफला’, जो सालों से इस समस्या से छुटकारा दिलाने के काम आ रहा है।

दादी या नानी की रसोई में आमतौर पर यह चूर्ण मिल ही जाया करता था, आपकी रसोई में भी होगा। आयुर्वेद चिकित्सा के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान भी इस नुस्खे को मानता है।

त्रिफला क्या है?

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, त्रिफला यानी तीन फल। यह एक पॉलीहर्बल दवा है, जिसे तीन फलों-आंवला, विभीतकी (बहेड़ा) और हरीतकी को मिलाकर बनाया जाता है। पहले इन तीनों को सुखाया जाता है और फिर इन्हें पीसकर पाउडर बनाया जाता है। बाद में इसे पेस्ट बनाकर पानी या फिर शहद के साथ मिलाकर खाते हैं।

इंसान की ज्यादातर बीमारियां उसके पेट से शुरू होती हैं। एलोपैथी और आयुर्वेद, दोनों ही इस बात से सहमत हैं, और इस पेट की बीमारी को दूर करने के लिए, पाचन शक्ति बढ़ाने, पेट साफ करने और शरीर को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए, त्रिफला एक असरदार दवा है।

त्रिफला में मिलाया जाने वाला आंवला, जहां विटामिन-सी से भरपूर होता है, वहीं विभीतकी (बहेड़ा) और हरीतकी में काफी मात्रा में हेल्दी एसिड पाए जाते हैं। मसलन गैलिक एसिड, टैनिक एसिड और ओमेगा थ्री फैटी एसिड ये सभी इनमें मौजूद हैं, और ये ‘गट हेल्थ’ के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। 

कब्ज पर असरदार है यह नुस्खा

Triphala is an essential medicine to promote digestion, elimination and rejuvenation.
Triphala powder made of Amla, Bibhitaki, and Haritaki

पिछले दो दशकों में किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों ने पुष्टि की है कि त्रिफला, फ्री रैडिकल स्कैवेंजिंग, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लैमेटरी, ऐनल्जीसिक और एंटी स्ट्रेस गुणों से भरपूर होता है। क्लीनिकल स्टडीज़ से पता चलता है कि इसका लैक्सेटिव प्रभाव काफी ज्यादा असरदायक है। यह हमारी भूख को बढ़ाता है और गैस्ट्रिक हाइपरएसिडिटी को कम करता है।

साल 2004 में, कब्ज की समस्या से जूझ रहे 36 व्यक्तियों पर एक अध्ययन किया गया था। जिसमें उन्हें दो हफ्ते के लिए त्रिफला चूर्ण दिया गया। इससे उनकी कब्ज की समस्या में काफी सुधार आया।  उनका पेट पहले से ज्यादा साफ होने लगा। इसने उनके बाथरूम में बिताए जाने वाले समय को भी कम कर दिया था।

एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि त्रिफला का लंबे समय तक सेवन करने से आंतों में ऐंठन कम हो जाती है, जो कब्ज़ रोगियों की आम समस्या है। जिन भी लोगों पर अध्ययन किया गया उनमें से किसी पर भी कोई साइड इफेक्ट दिखाई नहीं दिया।

आधे चम्मच से ज्यादा ना करें सेवन 

मुंबई की न्यूट्रिशनिस्ट जयश्री जैन भी मानती हैं कि पुरानी कब्ज की समस्या से जूझ रहे लोगों पर त्रिफला अच्छा काम करता है। वह हर सुबह खाली पेट आधा चम्मच चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर खाने की सलाह देती हैं।

उनका कहना है, “हालांकि इसे रात में भी खाया जा सकता है, लेकिन इसकी वजह से बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ता है, जिससे आपकी नींद में खलल पड़ेगा। बेहतर है कि दिन में ही इसे लें। अगर आप इसे रोज़ खा रहे हैं, तो आपके लिए जानना जरूरी है कि एक चम्मच से ज्यादा त्रिफला चूर्ण को पानी में न मिलाएं। इससे दस्त लग सकती है। पेट ठीक रखने के साथ-साथ ये वजन घटाने में भी मदद करता है।”

अध्ययन के अनुसार त्रिफला, दांतों में कैविटी रोकने में भी सक्षम है और इसका असर एंटीसेप्टिक क्लोरहेक्सिडीन जितना ही होता है। 

मूल लेखः- रोशनी मुथुकुमार     

संपादनः अर्चना दुबे

यह भी पढ़ेंः थोड़ा कबाड़, थोड़ा जुगाड़, कुछ इस तरह से किया अपना बगीचा तैयार

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X