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25 साल पुराने घर को रिसायकल कर बनाया नया आशियाना, न AC की है ज़रूरत, न है बाढ़ का खतरा

I Recycled my Old House to Build Flood-Proof Eco-Friendly Home

केरल के पुरुषन एलूर ने कोच्चि के पास एलूर में एक सस्टेनबल घर बनाया है। इस घर की खासियत यह है कि यह फ्लड-प्रूफ है, यानि इसमें बाढ़ का खतरा नहीं है। इसके लिए उन्होंने अपने 25 साल पुराने कंक्रीट के घर को रिसाइकल किया, जो 2018 केरल बाढ़ के दौरान काफी क्षतिग्रस्त हो गया था।

केरल में पेरियार नदी के तट पर एक उपनगर है एलूर। लंबे समय से इस इलाके पर बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है। हालांकि, पिछले कई सालों से यह इलाका इस समस्या का सामना कर रहा है, लेकिन साल 2018 में आई बाढ़ इस इलाके के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित हुई है। पर्यावरण कार्यकर्ता और कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर, पुरुषन उस समय को याद करते हुए कहते हैं कि साल 2018 की बाढ़ ने सबकुछ अस्त-व्यस्त कर दिया और तब उन्होंने बाढ़ प्रतिरोधी घर (flood proof house) बनाने का फैसला किया।

साल 2018 की भीषण बाढ़ ने जब दक्षिणी राज्य के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित किया, तो एलूर उन क्षेत्रों में से एक था, जो बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इलाके के ज्यादातर घर पानी में डूब गए थे। इससे लोगों को संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए पुरुषन ने बताया कि इस घटना के बाद, उन्होंने एक ऐसा सस्टेनेबल घर बनाने का सोचा, जो फ्लडप्रूफ हो। पुरुषन, एलूर में ही पले-बढ़े और साल 2018 में बाढ़ में घर डूब जाने से पहले तक, करीब दो दशकों से वह अपने एक मंजिला कंक्रीट के घर में रह रहे थे।

बाढ़ में बर्बाद हो गए कई ज़रूरी दस्तावेज़

Inside view of flood proof house
Inside view of flood proof house

पुरुषन बताते हैं कि 2018 की बाढ़ में उनके घर का सारा सामान बर्बाद हो गया। वह कहते हैं, “लेकिन मुझे सबसे ज्यादा चिंता इस बात की थी कि पेरियार नदी के प्रदूषण से जुड़े, जो भी अर्काइव और दस्तावेज़ मैंने इकट्ठा किए थे, सब बाढ़ की वजह से नष्ट हो गए थे।” वह कहते हैं कि वह नहीं चाहते थे कि भविष्य में फिर ऐसा कुछ हो।

पुरुषन ने कार्बन फुटप्रिंट को कम करते हुए एक ऐसा सस्टेनबल घर (flood proof house) बनाने का सोचा, जिस पर बाढ़ का खतरा न हो। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने पुराने कंक्रीट के घर को रिसाइकल करके और सिर्फ 36 लाख रुपये खर्च कर अपना अनोखा ठिकाना बनाया है।

वह खुद कंस्ट्रक्शन क्षेत्र से जुड़े हुए थे और हमेशा से ही इको-फ्रेंड्ली चीजों और तरीकों में रुचि रखते थे। अपना घर भी वह कुछ ऐसा ही बनना चाहते थे। वह कहते हैं कि एक पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते वह एक उदाहरण और एक मॉडल स्थापित करना चाहते थे।

पर्यावरण को लेकर जो चीजें वह दूसरों को बताते थे, उसका वह वास्तविक जीवन में अभ्यास करना चाहता थे और बस इसी सोच के साथ उनके सस्टेनबल घर की नींव रखी गई।

रूम फॉर द रिवर कॉन्सेप्ट पर बना है घर (flood proof house)

Visiting area on the first floor
Visiting area on the first floor

पुरुषन के इस घर को आर्किटेक्ट गंगा दिलीप ने डिजाइन किया था। गंगा दिलीप के साथ वह पहले भी कई प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। गंगा कहती हैं कि अक्सर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि वैकल्पिक कंस्ट्रक्शन मेथड को अपनाने से आपको अपनी इच्छाओं के साथ समझौता करना पड़ता है। लेकिन यह घर इस धारणा को गलत साबित करता है। वह कहती हैं, “इस घर को बनाने के लिए किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया गया है।” 

3000 वर्ग फुट के इस घर का मुख्य आकर्षण इसका अनोखा डिज़ाइन प्लान है, जिसे ‘रूम फॉर द रिवर’ भी कहा जाता है। गंगा बताती हैं कि यह बाढ़ के दौरान इमारतों की सुरक्षा के लिए एक डच-प्रेरित डिजाइन प्लान है। इसके तहत, घर को ग्राउंड फ्लोर पर बने ऊपर उठने वाले खंभों पर बनाया गया है और ग्राउंड फ्लोर को खाली छोड़ दिया गया है। 

पुरुषन बताते हैं कि 2018 में जब घर में बाढ़ आई, तो 8.5 फीट तक पानी था, इसलिए इस बार उन्होंने अपनी पहली मंजिल को 10 फीट की ऊंचाई तक बढ़ाने का फैसला किया। अब अगर बाढ़ आती है, तो पानी आसानी से नीचे की जगह से बह सकता है और इसलिए इस कॉन्सेप्ट को ‘रूम फॉर द रिवर’ कहा जाता है।

कबाड़ दीवार’ की कहानी

Junk walls
Junk walls

ग्राउंड फ्लोर पर कॉलम और बीम स्ट्रक्चर पर पहली मंजिल बनाया गया है, जो उनके पुराने घर के मलबे से बना है। पुरुषन बताते हैं, “मेरा नया घर (flood proof house) उसी जगह पर बना है, जहां मेरा पुराना घर हुआ करता था। लेकिन पुराने घर से मेरा भावनात्मक जुड़ाव था, क्योंकि यह वह जगह थी जहां मेरे माता-पिता रहते थे और इससे बहुत सारी यादें जुड़ी हुई थीं।”

वह उन यादों को खोना नहीं चाहते थे। इसलिए अपने पुराने घर को रिसायकल करने और नए घर के साथ मिलाने का फैसला किया। उनके पुराने घर से कंक्रीट के मलबे, ईंटें, बाथरूम की टाइलें और यहां तक ​​कि अलमारी को भी पहली मंजिल को बनाने के लिए रिसायकल किया गया था।

पुरुषन कहते हैं कि यह फैसला लेना बढ़ते हुए कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की दिशा में भी एक जिम्मेदार कदम है। इस तरह, घर की पहली मंजिल की दीवारों को पूरी तरह से रिसायकल मलबे का उपयोग करके बनाया गया है, जिसमें कई प्राकृतिक सामग्रियों, जैसे- नारियल फाइबर, पुआल, चावल की भूसी के साथ-साथ सिर्फ 10 प्रतिशत सीमेंट मिलाया गया है। वह बताते हैं कि इसीलिए, इसे कबाड़ की दीवार कहा जाता है।”

इस कबाड़ की दीवार पर लकड़ी के कुछ टुकड़े भी लगाए गए हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि दीवार बनाने के लिए हर तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता है। कबाड़ की दीवार को रेत का उपयोग करके अलग-अलग हिस्सों में खुरदरा, अर्ध-खुरदरा, चमकदार आदि जैसी अलग-अलग फिनिशिंग दी गई है।

पहली मंजिल पर एक विजिटिंग रूम, डाइनिंग स्पेस, मास्टर बेडरूम और एक ओपन किचन बनाया गया है।

इस घर (flood proof house) को बनाने में किन चीज़ों का हुआ इस्तेमाल?

Purushan Eloor's house
Purushan Eloor’s house

विजिटिंग रूम का आकार काफी बड़ा है और इसमें उन लकड़ियों का उपयोग करके फर्नीचर बनाया गया है, जिनका उपयोग आमतौर पर फर्नीचर बनाने के लिए नहीं किया जाता। पुरुषन कहते हैं, घर में उनकी पसंदीदा जगह विज़िटिंग एरिया ही है।

घर में हुए लड़कियों के इस्तेमाल के बारे में बात करते हुए पुरुषन बताते हैं, “जब फ़र्नीचर की बात आती है, तो कुछ लकड़ियाँ होती हैं, जिनका हम पारंपरिक रूप से उपयोग करते हैं। लेकिन मैंने उन लकड़ियों का इस्तेमाल किया है, जो आमतौर पर फ़र्नीचर बनाने के लिए उपयोग नहीं की जातीं। मैंने विभिन्न मिलों से लकड़ियां मंगवाई और इसका इस्तेमाल अपने घर में किया।”

वह आगे बताते हैं कि पहली मंजिल का फर्श भी स्क्रैप लकड़ी के टुकड़ों का उपयोग करके बनाया गया है। ये लकड़ियों के टुकड़े अक्सर फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियां आदि बनाते समय बर्बाद हो जाते हैं। पुरुषन आगे कहते हैं कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि पूरे घर में रीसाइक्लिंग कॉन्सेप्ट का पालन किया जाए। इसलिए, उन्होंने ये सामग्रियां मंगवाई और इसका ज्यादा फायदा उठाया।

दूसरी मंजिल की बात की जाए, तो फर्श को पारंपरिक लाल ऑक्साइड मिश्रण का उपयोग करके बनाया गया है और इसे बिना पॉलिश किए छोड़ दिया गया है। पुरुषन ने बताया, “मैं अपने घर में इस्तेमाल होने वाली टाइलों की संख्या को कम करने के बारे में बहुत सख्त था। इसलिए, हमने इसे अभी रसोई और बाथरूम में इस्तेमाल किया है, क्योंकि इन जगहों पर नमी का खतरा होता है।”

साथ ही, लिविंग रूम की सीलिंग को लोहे की छड़ों के बजाय, बांस की जाली का उपयोग करके बनाया गया है और बाकी की छत के लिए आरसीसी (प्रबलित सीमेंट कंक्रीट) का उपयोग किया गया है।

बियर बोतलों से बनाई गई दिवारें

Second floor
Second floor

इसके अलावा, दूसरी मंजिल तक जाने वाली सीढ़ियों की रेलिंग भी बांस का उपयोग करके बनाई गई है और राजस्थानी प्राचीन वस्तुओं का उपयोग करके सजाई गई हैं।

दूसरी मंजिल में दो बेडरूम, लाइब्रेरी के साथ एक हॉल शामिल है। दोनों कमरों के साथ बाथरूम लगे हुए हैं। दूसरी मंजिल की दीवारों को सीमेंट के साथ मिट्टी, चावल की भूसी, नारियल के रेशे, पुआल जैसी प्राकृतिक सामग्री के मिश्रण से बनाया गया है।

पुरुषन कहते हैं, “हमारे पास बीयर की बोतलों का उपयोग करके बनाई गई दूसरी मंजिल पर दो शो दीवारें हैं और छत की ओर जाने वाली सीढ़ी को पुराने घर से मेटल की छड़ों का उपयोग करके वरली डिजाइनों से सजाया गया है।” वह कहते हैं,  खुली छत पर वह सोलर पैनल स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।

इसके अलावा, घर में दो ‘एयर कॉलम’ हैं, जो अच्छे वेंटिलेशन में मदद करते हैं और घर (flood proof house) के अंदर की गर्मी को कम करते हैं। वह आगे बताते हैं, “गर्मियों में भी घर बहुत ठंडा रहता है और हम एयर कंडीशनर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके अलावा, हमने दीवारों पर और अधिक खुली खिड़कियां और जालियों का काम किया है, ताकि पूरे दिन प्राकृतिक रोशनी मिलती रहे। ”

हालांकि इस घर को बनाने में कई चुनौतियां भी आईं। बांस के साथ काम करने में कुशल लोगों को ढूंढना बहुत मुश्किल था। लेकिन पुरुषन के पास कुछ अनुभव था, इसलिए वह काम करने वालों का सही मार्गदर्शन करने में कामयाब रहे।

मूल लेखः अंजली कृष्णन

संपादनः अर्चना दुबे

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