भारतीय रेलवे ने पिछले 150 वर्षों में बहुत से मुकाम हासिल किए हैं। पहले सामान्य इंजन ट्रेन से इलेक्ट्रिक ट्रेन तक का सफ़र तय किया गया और अब रेलवे धीरे-धीरे सौर ऊर्जा की मदद से ‘ग्रीन रेलवे’ भी बन रही है। इतने सालों से भारतीय रेलवे ने आम जन के हित के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
हाल ही में, एक और खास पहल भारतीय रेलवे ने की है और वह है किसान रेल की शुरुआत। इसकी घोषणा फरवरी 2020 के बजट में की गई थी और 7 अगस्त 2020 को पहली किसान रेल की शुरुआत हुई। इसके बाद, दूसरी किसान रेल 9 सितंबर 2020 को चली। किसान रेल चलाने के पीछे का उद्देश्य है किसानों की मदद। किसान रेल के मध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादों, सब्ज़ी और फल आदि को बड़े शहरों के बाज़ार की मंडियों तक आसानी से भेज सकते हैं।
देश की वित्त मंत्री, निर्मला सीतारमण ने इस बारे में अपने भाषण में कहा था, “भारतीय रेलवे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत किसान रेल चला रहा है। इसके लिए एक्सप्रेस ट्रेन और माल गाड़ी में रेफ्रीजेरेट कोच होंगे। इसके ज़रिए जल्दी खराब होने वाले उत्पाद, जिनमें दूध, मीट और मछली भी शामिल हैं, ट्रांसपोर्ट किए जाएंगे।”
सही भंडारण और सही ट्रांसपोर्टेशन न मिलने के कारण किसानों की समस्या बढ़ जाती है। इसके साथ ही, देशभर में खाद्यान्न की बर्बादी होती है। इसका एक उदहारण हम लॉकडाउन के दौरान देख ही चुके हैं, जब ट्रांसपोर्टेशन न होने से किसान अपने माल को मंडियों तक नहीं पहुंचा पाए और न जाने कितने ही टन फल और सब्ज़ियाँ खराब हो गए। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही किसान रेल योजना पर काम शुरू हुआ। किसान रेल के ज़रिए किसान कम समय में मंडियों तक अपना कृषि उत्पाद भेज पाएंगे वह भी शीत भंडारण में।
क्या है किसान रेल:

किसान रेल योजना के अंतर्गत अब तक देश में दो किसान रेल की शुरुआत हुई है। पहली किसान रेल, महाराष्ट्र के देवलाली स्टेशन से रवाना हुई और बिहार के दानापुर स्टेशन तक चलाई गई है। यह भारत की पहली किसान रेल है। वहीं, भारत की दूसरी किसान रेल और दक्षिण भारत की पहली किसान रेल, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर से दिल्ली के आदर्श नगर तक चलाई गई है।
किसान रेल: देवलाली से दानापुर:
महाराष्ट्र के देवलाली से शुरू होने वाली यह रेल बिहार के दानापुर पहुंचेगी और रास्ते में चार राज्यों, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ेगी। किसान रेल इन दो स्टेशनों के बीच लगभग 1519 किमी का सफर करीब 32 घंटे में तय करेगी।
देवलाली से चलने के बाद यह ट्रेन नासिक रोड़, मनमाड़, जलगांव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मणिकपुर, प्रयागराज, पं दीनदयाल उपाध्याय नगर और बक्सर से दानापुर में रुकेगी। किसान रेल ताजी सब्जियों, फलों, फूल, प्याज तथा अन्य कृषि इन उत्पादों को गंतव्य तक पहुंचाने का काम करेगी। यह रेल साप्ताहिक है। हालांकि, उम्मीद है कि हार्वेस्टिंग के महीनों के दौरान रेल की गतिविधि तेज कर दी जाएगी।
सबसे अच्छी बात यह है कि इस खास रेल का किराया भी माल गाड़ी के किरायों जैसे ही होगा।
खंडवा से दानापुर- Rs 3148/- प्रति टन
बुरहानपुर से दानापुर- Rs 3323/- प्रति टन
भुसावल से दानापुर- Rs 3459/- प्रति टन
जलगांव से दानापुर- Rs 3513/- प्रति टन
मनमाड से दानापुर- Rs 3849/- प्रति टन
नासिक रोड से दानापुर- Rs 4001/- प्रति टन
देवलाली से दानापुर- Rs 4001/- प्रति टन
सबसे अच्छी बात यह है कि किसानों के लिए कोई न्यूनतम मात्रा तय नहीं की गई है। अगर कोई किसान 50-100 किलो का पार्सल भी भेजना चाहता है तो वह भी भेज सकता है। यह किसान रेल हर शुक्रवार को देवलाली से दानापुर के लिए और हर रविवार को दानापुर से देवलाली के लिए चलेगी।
किसान रेल: अनंतपुर से आदर्श नगर, दिल्ली तक:
अनंतपुर से आदर्श नगर, दिल्ली तक चलने वाली यह रेल 2150 किमी के सफ़र को लगभग 40 घंटों में तय किया करेगी। पहली रेल 9 सितंबर 2020 को चली और मात्र 36 घंटों में दिल्ली पहुँच गई। इसमें 332 टन कृषि उत्पाद थे, जिन्हें नागपुर और दिल्ली के बाज़ारों के लिए भेजा गया।
अनंतपुर जिले के आईएएस गंधम चंद्रुडू बताते हैं कि अनंतपुर को आंध्र-प्रदेश का ‘फ्रूट बाउल’ कहा जाता है। हर साल लगभग 58 लाख टन फलों का उत्पादन यहां होता है। इनमें से लगभग 80% उत्पादों को राज्य के बाहर ही मार्किट किया जाता है। पहले इन्हें रोडवेज़ की मदद से भेजा जाता था, जिसमें उत्पादों के खराब होने की सम्भावना काफी ज्यादा होती थी। लेकिन किसान रेल की मदद से सभी उत्पाद कम समय में बाजारों तक पहुंचेंगे।
ऐसा नही है कि पहले ट्रेन के माध्यम से कृषि उत्पाद नहीं भेजे जाते थे। लेकिन पहले सिर्फ किसी एक ही उत्पाद को किसी स्पेशल ट्रेन से भेजा जा सकता था जैसे केला। लेकिन किसान रेल मल्टी कमोडिटी ट्रेन है, जिसमें अनार, केला, अंगूर आदि जैसे फल और सब्जियाँ जैसे कि शिमला मिर्च, फूलगोभी, ड्रमस्टिक्स, गोभी, प्याज, मिर्च आदि का ट्रांसपोर्टेशन किया जा सकता है।
अनंतपुर में चोलासमुद्रम गाँव के रहने वाले किसान वेंकटेशुलू 20 एकड़ ज़मीन पर खेती करते हैं। वह आम, तरबूज, खरबूज और पपीता आदि उगाते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि पहले वह अपने फलों को कोलकाता, नागपुर आदि भेजते थे। तब उनका माल ट्रक में जाता था।
“ट्रक में माल को भेजने का सबसे बड़ा नुकसान था कि यह 4 से 5 दिन में पहुँचता था। वहीं अगर दिल्ली के बारे में सोचे तो ट्रक से और भी ज्यादा समय लगे। लेकिन अभी हमने जब किसान रेल से आम का स्टॉक दिल्ली भेजा तो मात्र 36 घंटे में पहुँच गया। इससे बाज़ार में ताज़ा फल पहुंचे और ग्राहकों को अच्छे फल खाने को मिले हैं,” उन्होंने बताया।
इसके साथ ही, वेंकटेश ने एक और ज़रूरी बात बताई, उन्होंने कहा कि खेतों से स्टेशन तक फलों के ट्रांसपोर्टेशन के बारे में भी सरकार और प्रशासन को कुछ करना होगा। ट्रेन से ट्रांसपोर्टेशन जल्दी और सस्ता है लेकिन खेतों से स्टेशन तक पहुँचने का ट्रांसपोर्टेशन उन्हें महंगा पड़ा।
“हालांकि, यह अभी शुरुआत है। आगे हम किसान मिलकर भी इस बारे में कोई समाधान अवश्य ढूंढेंगे। फिलहाल ख़ुशी इस बात की है कि हमारे लिए उत्तर-भारत का मार्किट खुल गया हैं, क्योंकि अनंतपुर में जो आम 50 रुपये किलो हम बेच रहे हैं उसका दिल्ली में हमें 80 रुपये किलो के हिसाब से मूल्य मिल रहा है। बाकी फलों के मूल्य में भी काफी अंतर है। इसलिए हमें किसान रेल से भविष्य में काफी उम्मीदें हैं,” वेंकटेशुलू ने कहा।
इन किसान रेलों के लिए भारतीय रेलवे ने 9 रेफ्रिजरेटर बोगियों की फ्लीट कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री से खरीदी है। एक रेफ्रिजरेटर पार्सल वैन की क्षमता 17 टन है। इसके साथ ही, 98 रेफ्रिजरेटर रेल कंटेनर भी खरीदे गए हैं। एक रेक में 12 टन/कंटेनर क्षमता वाले 80 कंटेनर होंगे। भारतीय रेलवे ने फल-सब्जियों की लोडिंग-अनलोडिंग हेतु भी पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस के अंतर्गत चार कार्गो सेंटर, गाजीपुर घाट (उत्तर-प्रदेश), न्यू आजादपुर (आदर्श नगर, दिल्ली), लासलगांव (महाराष्ट्र) और राजा का तालाब (उत्तर-प्रदेश) में बनाये जाएंगे।
भविष्य में, भारतीय रेलवे की योजना एक एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक सेंटर बनाने की है, जिसे हरियाणा के सोनीपत में बनाया जाएगा।
किसान रेल के अलावा, किसान उड़ान योजना की भी घोषणा की गई है। हालांकि, अभी यह शुरू नहीं हुई है। इसके ज़रिए, कृषि उत्पादों को एयरवेज के रास्ते बाज़ारों तक पहुँचाया जाएगा।
किसान रेलों की शुरुआत के अलावा, भारतीय रेलवे ने कर्नाटक के हुबली में एक रेल म्यूजियम भी स्थापित किया है। इस म्यूजियम के जरिए लोगों को रेलवे के गौरवशाली इतिहास और विकास की यात्रा के बारे में पता चल सकेगा। आप तस्वीरों में इस म्यूजियम को देख सकते हैं। बहुत जल्द ही इसे आम लोगों के लिए भी खोल दिया जाएगा!
यह भी पढ़ें: Assam Police Recruitment 2020: असम पुलिस में निकली 36 भर्तियाँ, 60, 500 रुपये तक होगा वेतन
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: