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देश-विदेश के बच्चों को ऑनलाइन कहानियाँ सुनातीं हैं ‘कहानीवाली नानी’

Kahaniwali Nani Podcast

बेंगलुरु में रहने वाली 65 वर्षीया सरला मिन्नी अपने 'कहानीवाली नानी' पॉडकास्ट के ज़रिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय बच्चों की भी नानी बनी हुई हैं!

जब भी बात कहानी सुनने-सुनाने की आती है तो हम अक्सर इस कला को दादी-नानी या फिर घर के किसी बुजुर्ग से जोड़ देते हैं। हम सबके पास अपने बचपन की कोई न कोई ऐसी याद है, जिसमें दादी-नानी की ये कहानियाँ शामिल हैं। लेकिन अब वक़्त के साथ बचपन की इन यादों के मायने बदल रहे हैं। संयुक्त परिवार धीरे-धीरे एकल परिवार हो रहे हैं, बाहर के खेलों की जगह बच्चे मोबाइल को थामकर घर पर ही एक जगह खेल लेते हैं और कहानियाँ, वह तो लगता है कि इस बदलते वक़्त में कहीं खो-सी गई हैं।

हालांकि, इंटरनेट के जमाने में जैसे दूसरी चीजों को अलग रंग-रूप मिला है, वैसे ही कहानियों के सुनने और कहने का तरीका भी बदला है। पॉडकास्ट, ऑडियो स्टोरीज से आजकल काफी बच्चे जुड़ रहे हैं। लेकिन फिर भी कहीं न कहीं इस सबमें दादी और नानी की कमी तो है ही। इसी कमी को पूरा करने की कोशिश करने में जुटी हैं बेंगलुरू की सरला मिन्नी, जो आज लगभग 10 हज़ार बच्चों की ‘कहानीवाली’ नानी हैं।

हमेशा से ही कहानियाँ पढ़ने, सुनने और सुनाने की शौक़ीन रही 65 वर्षीया सरला आज अपने ‘कहानीवाली नानी’ पॉडकास्ट (Kahaniwali Nani Podcast) के ज़रिए न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय बच्चों की भी नानी बनी हुई हैं। हर हफ्ते मंगलवार और शुक्रवार को वह अपनी कहानी रिकॉर्ड करके अपने टेलीग्राम चैनल और यूट्यूब चैनल पर अपलोड करतीं हैं।

Kahaniwali Nani Podcast
Sarla Minni, Kahaniwali Nani

कैसे हुई शुरुआत:

मुंबई में पली-बढ़ी सरला मिन्नी ने ग्रैजुएशन की और फिर मोंटेसरी कोर्स भी किया। कुछ दिन उन्होंने टीचिंग भी की और फिर अपने बच्चों के पालन-पोषण में रम गईं। लेकिन इस सबके दौरान कहानियाँ हमेशा उनकी साथी रहीं। अपने घर-परिवार में सभी बच्चों के लिए वह कहानियों का पिटारा हैं। पहले अपने भाई-बहन के बच्चों को, फिर अपने बच्चों को और अब बच्चों के बच्चों को, कहानियाँ सुनाने का ज़िम्मा उनका ही रहा।

सरला मिन्नी ने द बेटर इंडिया को बताया, “हमने जो बचपन में अपनी बुआ-दादी और नानियों से लोककथाएं सुनी, वही मैं दोहराती थी। फिर अगर कहीं किसी किताब, अखबार या मैगज़ीन में कुछ पढ़ लिया तो उसे अपने ढंग से बच्चों को सुनाती थी। हमारे घर किसी के भी बच्चे आए, उनकी फरमाइश होती थी कि मैं कहानी सुनाऊं।”

यह साल 2017 की बात है, जब अचानक उनकी भांजी पारुल रामपुरिया का उन्हें एक दिन फोन आया। पारुल ने उनसे कहा कि क्या वह उन्हें कोई कहानी रिकॉर्ड करके भेज सकतीं हैं? सरला ने चंद घंटों बाद ही उन्हें एक कहानी रिकॉर्ड करके व्हाट्सअप कर दी। उनकी यह एक कहानी जहाँ-जहाँ पहुंची, हर जगह से उनके लिए तारीफें आई और साथ में एक सवाल कि क्या इस तरह से नियमित तौर पर उन्हें कहानियाँ सुनने को मिल सकती हैं?

और इस सवाल के जवाब में शुरू हुआ सरला का अपना पॉडकास्ट, कहानीवाली नानी! पहले वह व्हाट्सअप पर ही ग्रुप में अपनी कहानियाँ रिकॉर्ड करके भेजतीं थीं। इन ग्रुप्स से लोगों ने दूसरे ग्रुप्स में उनकी कहानियाँ साझा की। देखते ही देखते उनकी कहानियों के व्हाट्सएप ग्रुप बढ़ने लगे और एक दिन उनका व्हाट्सएप क्रैश हो गया।

ऐसे में, उनके बेटे ने उन्हें सुझाया कि उन्हें कोई और एप इस्तेमाल करना चाहिए। फिर पहले उन्होंने टेलीग्राम और इसके बाद, यूट्यूब पर अपना पॉडकास्ट (Kahaniwali Nani Podcast) डालना शुरू किया। फिलहाल, उनकी अपनी वेबसाइट भी है। वह बतातीं हैं कि यह सभी टेक्निकल कामों के लिए उनके बेटे ने उनकी मदद की है। “मेरा बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। जब उसने देखा कि लोग मेरी कहानियों को पसंद कर रहे हैं तो उसने मेरा बहुत हौसला बढ़ाया। मुझे ऑडियो रिकॉर्ड करना, ट्रिम करना, इसे सही से लगाना और फिर टेलीग्राम और यूट्यूब पर अपलोड करना- यह सब मेरे बेटे ने ही सिखाया है,” उन्होंने आगे कहा।

अब तक वह 350 से भी ज्यादा कहानियाँ रिकॉर्ड कर चुकी हैं और लगभग 10 हज़ार बच्चों तक पहुँच चुकी हैं।

सुनिए उनकी एक कहानी:

सरला शुरू में अपने बचपन में सुनी हुई कहानियाँ ही रिकॉर्ड कर भेजती थीं। लेकिन जैसे-जैसे ज्यादा लोगों ने उन्हें सुनना शुरू किया, उन्होंने खुद भी कहानियाँ पढ़ना शुरू किया। उनकी कहानियाँ इंग्लिश और हिंदी, दो भाषाओं में होती हैं। कहानियाँ 8 से 10 मिनट की होती हैं।

वह सबसे पहले खुद कहानियाँ चुनती हैं। इसे पढ़ती हैं और उसका अर्थ समझती हैं। फिर खुद अपने अंदाज में, अपने कुछ बदलाव के साथ कहानी की स्क्रिप्ट तैयार करती हैं। फिर इस कहानी को वह रिकॉर्ड करती हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह अपने पॉडकास्ट में किसी भी तरह के साउंड इफ़ेक्ट या एनीमेशन इस्तेमाल नहीं करतीं हैं। यह उनकी आवाज़ और कहानी सुनाने का जादू ही है कि लोग उनकी कहानियों को इतना पसंद करते हैं।

उनकी कहानियों में हिंदू माइथोलॉजी, त्योहारों से जुड़ी कहानियाँ, अलग-अलग इलाकों के किस्से, पंचतंत्र, चंपक और बहुत-सी लोककथाएं शामिल हैं। वह अलग-अलग ख़ास दिनों से जुड़ी कहानियाँ भी बच्चों के लिए तैयार करतीं हैं। सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की लोककथाएं भी वह पढ़तीं हैं और फिर इन्हीं कहानियों में से उनकी कहानियाँ बनती हैं। उनकी कहानियों में भारतीय संस्कृति की झलक आपको मिलेगी, साथ ही, वह हास्य रस भी रखतीं हैं।

“कहानियाँ सुनना बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। उनके बचपन के शुरूआती सालों में उनकी मन की क्रिएटिविटी और इमेजिनेशन को हम कहानियों के ज़रिए ही बाहर ला सकते हैं। अगर सब कुछ उन्हें स्क्रीन पर ही दिखता रहेगा तो वह खुद कैसे सोचेंगे। लेकिन अगर हम उन्हें सिर्फ सुनाएं तो वह अपने मन में कहानी के पात्रों की छवि बनाते हैं। सोचते हैं कि कहानी ऐसे ही क्यों थीं, क्या यह वैसे नहीं हो सकती थी? उनके मन में सवाल उठते हैं, जिनके हल वह ढूंढते हैं और यहीं से उनकी क्षमताओं का विकास होता है,” सरला ने कहा।

हर कोई सुनना चाहता है कहानी:

Kahaniwali Nani Podcast
Telling Stories to Kids

सरला का सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि वह ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक अपनी कहानियाँ पहुँचाना चाहती हैं ताकि किसी को भी अपनी दादी-नानी की कमी न खले। उनकी इस सोच के प्रति न सिर्फ बच्चों का बल्कि उनके माता-पिता का भी बहुत अच्छा रिस्पांस है। वह बतातीं हैं कि उन्हें देशभर से उनकी कहानियों के फीडबैक मिलते हैं। कहानियों के ज़रिए वह बच्चों में स्वस्थ खाने और पैसे बचाने के गुण भी विकसित करने की कोशिश करतीं हैं।

उन्हें अपनी ये कोशिशें सफल होती नज़र आतीं हैं जब उन्हें कई बार बच्चों के मैसेज आते हैं कि वह जंक फ़ूड नहीं खायेंगे और पैसे सही जगह खर्च करेंगे। एक रोचक फीडबैक के बारे में वह बतातीं हैं, “मुझे एक बार कश्मीर में बॉर्डर पर बसे एक गाँव से फ़ोन आया। वह महिला शयद आर्मी परिवार से जुड़ी हुई थी और उसने मुझे बताया कि वहाँ पर बच्चों के लिए कोई फॉर्मल स्कूल नहीं है। इसलिए वह सभी औरतें एक जगह बच्चों को इकट्ठा करके थोड़ा-थोड़ा पढ़ाने की कोशिश करतीं हैं। बच्चों को भाषा, नए शब्द और उनके अर्थ सिखाने में मेरी कहानियाँ उनके लिए काफी सहायक हैं। वहाँ नेटवर्क की समस्या भी है और इसलिए जब भी उन्हें नेटवर्क मिलता है तो सबसे पहले वह उनकी कहानियाँ डाउनलोड करके रखते हैं ताकि बच्चों को सुनाएं। बच्चे भी उनकी कहानियों के ज़रिए बहुत कुछ सीखते हैं।”

इसी तरह एक बार दिल्ली से एक महिला ने उन्हें मैसेज लिखा कि उनके माता-पिता नहीं है और इस वजह से उनके बच्चों को नानी का लाड-दुलार नहीं मिल पाया। लेकिन अब वह सरला की कहानियाँ बच्चों को सुनातीं हैं तो लगता है कि उनके बच्चों की भी कोई नानी है।

“लोगों से आने वाले यह मैसेज मुझे अहसास कराते हैं कि जमाना कोई भी हो लेकिन दादी-नानी और उनकी कहानियाँ हर जमाने की ज़रूरत हैं। इसलिए मैं बस ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुँचना चाहती हूँ। अगर मेरी कहनियाँ किसी एक बच्चे का भी मूड अच्छा करतीं हैं, किसी एक बच्चे को भी कोई नैतिक शिक्षा देती हैं तो इससे ज्यादा और क्या चाहिए। मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैं सिर्फ अपने बच्चों के बच्चों की ही नहीं बल्कि दुनियाभर के बच्चों की नानी हूँ,” उन्होंने हंसते हुए अंत में कहा।

बेशक, कहानीवाली नानी (Kahaniwali Nani Podcast), सरला मिन्नी के इस पहल की जितनी तारीफ की जाए कम है। वह नई पीढ़ी के बच्चों में अपने किस्से-कहानियों से रंग भर रही हैं।

अगर आप भी उनकी कहानियाँ सुनना या डाउनलोड करना चाहते हैं या फिर उनसे संपर्क करना चाहते हैं तो उनकी वेबसाइट (Kahaniwali Nani Podcast) पर जा सकते हैं।

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संपादन: जी. एन. झा


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