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BITS पिलानी के इस छात्र ने अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा वृद्धाश्रम को दान कर, की एक खूबसूरत बदलाव की पहल!

आज की पीढ़ी इन परंपराओं को बनाये रखने के साथ साथ इनमे कुछ ऐसे बदलाव भी कर रही है जिससे समाज का भला हो। BITS, पिलानी में पढ़ रहे नमन मुनॉट ने भी ऐसे ही एक बदलाव की पहल की है। उन्होंने अपनी पहली तनख्वाह का 20 फीसदी हिस्सा वृद्धाश्रम को दान में दे दिया।

नौकरी की पहली तनख्वाह सबसे प्यारी होती है। पहली तनख्वाह का एक हम अक्सर भगवान् को अर्पित करते है। पर आज की पीढ़ी इन परंपराओं को बनाये रखने के साथ साथ इनमे कुछ ऐसे बदलाव भी कर रही है जिससे समाज का भला हो।

 

BITS, पिलानी में पढ़ रहे नमन मुनॉट ने भी ऐसे ही एक बदलाव की पहल की है। उन्होंने अपनी पहली तनख्वाह का 20 फीसदी हिस्सा वृद्धाश्रम को दान में दे दिया।

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नमन कहते हैं, “मैंने देखा है कि जैसे ही हमारे घर-परिवार में वरिष्ठ लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं, उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता। युवा उनसे कटने लगते हैं। इसके साथ,  देश में जितनी संस्थाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और बाल अधिकारों जैसे मुद्दों पर काम करती हैं, उतनी बुजुर्गों के लिए नहीं हैं। बुजुर्ग चाहे अपने परिवार के साथ रहें या वृद्धाश्रम में उनके हित में काम करने वाले लोग कम ही हैं।”

एक हॉस्पिटैलिटी ग्रुप में नमन क्रिएटिव हैड के रूप में पार्ट टाइम नौकरी करते हैं, जिससे मिली पहली तनख्वाह, उन्होंने बुजुर्गों के लिए काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्था को दान की। नमन ने SHEOWS नाम की गैर-सरकारी संस्था को दान दिया जो ‘गुरु विश्राम वृद्धाश्रम’ चलाती है।

नमन भविष्य में इन बुजुर्गों के लिए एक योजना पर काम कर रहे हैं, जिससे इन्हें रिटायरमेंट के बाद भी कुछ काम मिलता रहे।

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“इस तरह मैं उन्हें अपने लिए थोड़ी सी कमाई में साथ-साथ ये एहसास दिलाए रखना चाहता हूँ कि आप कुछ कर सकते हैं और अभी भी आप काम के हैं, आपकी जरुरत है।”

बदलते जमाने के साथ एक मुहावरा आसानी से गढ़ लिया जाता है कि युवा बुजुर्गों से दूर होते जा रहे हैं। वृद्ध जनों की हिफाजत अब उन्हें बोझ लगती है.. और भी कई सारे तमगे बिन मांगे युवा पीढ़ी के सिर मढ़ दिए जाते हैं।

लेकिन जैसा कि होता आया है, समय-समय पर ऐसी कहानियां हमारे सामने आ ही जाती हैं, जिनसे हमें इन मुहावरों पर फिर से विचार करने की जरूरत महसूस होती है। हाँ, इन कुछ कहानियों से पूरी पीढ़ी को बदलाव की नजर से नहीं देखा जा सकता, लेकिन ये कुछ कहानियां उस पीढ़ी को बदलाव का एक रास्ता तो देती ही हैं।

नमन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। अपनी जड़ों से जुड़े रहने की परंपरा का बेहतरीन उदाहरण हैं। नमन को ‘द बेटर इंडिया की ओर से शुभकामनाओं सहित नमन।

यदि आप भी अपने मेहनत के हिस्से से कुछ बेहतर पहल में सहयोग करना चाहते हैं, तो इन वृद्धाश्रमों से संपर्क कर सकते है।

मूल लेख – तान्या सिंह 


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