2018 बैच की आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी पूजा यादव, जब तीसरी कक्षा में थीं, तो उन्होंने अपनी टीचर से कहा कि वह बड़ी होकर एक पुलिस अधिकारी बनेंगी। पूजा ने गुजरात में सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में अपना सपना पूरा भी किया। लेकिन उनका यहां तक का सफर आसान नहीं रहा।
द बेटर इंडिया के साथ बातचीत में, वह याद करते हुए कहती हैं, “आज मैं जो कुछ भी हूं, जिस भी मुकाम पर हूं, उसमें मेरे परिवार के अटूट समर्थन का बहुत बड़ा योगदान है। निजी तौर पर, मेरी प्रेरणा, पुलिस बल और जनता के बीच के बॉन्ड को मजबूत करने और विश्वास पैदा करने के तरीके खोजने की रही है।”
पूजा के पिता शहरी विकास मंत्रालय में एक क्लर्क के रूप में काम करते थे। वह अक्सर अपने अधिकारियों के बारे में बड़े सम्मान के साथ बात करते थे। पूजा कहती हैं, “मैं अपने पिता में उस आकर्षण को देखकर बड़ी हुई हूं। वह हमेशा कहते थे कि अगर अधिकारी चाहें, तो जनता के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। उनकी वह बात मेरे दिल और दिमाग पर छप गई थी।”
दिल्ली ने याद दिलाया बचपन का सपना
हरियाणा के सोनीपत की रहनेवाली पूजा ने 12वीं के बाद, बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नॉलजी आंत्रप्रेन्योरशिप एंड मैनैजमेंट (NIFTEM) से फूड टेक्नॉलजी और मैनैजमेंट में मास्टर्स किया।
जो सपना उन्होंने कक्षा 3 में देखा था, वह उनकी मास्टर डिग्री की पढ़ाई के दौरान फिर से जग उठा। पूजा कहती हैं, “दिल्ली में UPSC की तैयारी के लिए बहुत सारे कोचिंग संस्थान और केंद्र हैं। शायद इन्हें देखकर ही मेरे बचपन का वह सपना फिर से मेरी आंखों के सामने आ गया।” तब उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में बैठने का फैसला किया।
चूंकि वह अपने परिवार पर बहुत अधिक आर्थिक बोझ नहीं डालना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने छोटा-मोटा काम करना शुरू कर दिया, इनमें से एक काम था, वीकेंड के दौरान NIFTEM के रीसेप्शन पर मदद करना।
टाइम मैनेजमेंट है सफलता की कुंजी

साल 2015 में, जब पूजा मास्टर्स के फाइनल इयर में थीं, तब उन्होंने पहली बार सिविल सेवा परीक्षा (CSE) का प्रयास किया। पूजा ने बताया, “हालांकि, मैं कॉलेज में भी पूरा समय पढ़ रही थी और सीएसई की तैयारी के लिए ज्यादा समय नहीं दे पा रही थी। इसलिए मैं उस प्रयास में सफल नहीं हुई।”
लेकिन उन्होंने देखा कि कई उम्मीदवारों ने, डिग्री हासिल करने के लिए पढ़ाई करने या फुल-टाइम नौकरी करने के बावजूद सीएसई पास करने में कामयाबी हासिल की है। वह कहती हैं, “यह केवल इस बात पर निर्भर करता है कि आप समय का कितना अच्छा उपयोग करते हैं।”
पूजा ने बताया कि इस प्रयास के बाद, उन्होंने खुद को सोशल मीडिया से पूरी तरह से दूर करने का निर्णय लिया और एक कदम आगे बढ़कर अपना फोन नंबर भी बदल दिया। उनका कहना है, “मैं नहीं चाहती थी कि सीएसई की तैयारी के दौरान, किसी भी तरह से मेरा ध्यान भटके। मैं अच्छा कर रहे अपने दूसरे साथियों की फोटोज़ सोशल मीडिया पर देखकर, खुद को अयोग्य नहीं समझना चाहती थी।” उन्होंने कहा कि वह ऐसा किए बिना भी CSE में सफल हो सकती थीं, लेकिन उस समय, यही सबसे समझदारी भरा फैसला लगा।
साल 2016 में, वह अपने दूसरे प्रयास में प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा तो पास करने में सफल रहीं, लेकिन साक्षात्कार चरण को पास नहीं कर सकीं।
असलफता सच में बहुत कुछ सिखाती है
पूजा ने बताया, “साल 2016 में, मेन्स से ठीक पहले, मेरी माँ का एक्सीडेंट हो गया और उन्हें सर्जरी करवानी पड़ी। मेरा ज्यादातर समय उनकी देखभाल करने में ही बीत जाता था। कभी-कभी तो मैं अस्पताल में ही किताबें लेकर पढ़ने बैठ जाती थी। फिर जब वह घर आईं, तो मुझे घर में मदद करनी पड़ती थी और उस समय तो इंटरव्यू की तैयारी के लिए बहुत कम या बिल्कुल भी समय नहीं मिलता था।” पूजा ने कहा कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि हर प्रयास से कुछ न कुछ सीखने को मिला।
यह सिर्फ किताबी बातें नहीं हैं कि असफलता से आप बहुत कुछ सीखते हैं। ऐसा सचमुच होता है, बस आपको जरूरत होती है उसे समझने की। हम असफल होने का अफसोस करने में, उससे मिलने वाली सीख को नजरअंदाज़ कर देते हैं।
यह पूछे जाने पर कि पहले दो प्रयासों में उन्होंने क्या गलतियां कीं? वह बताती हैं, “पहले प्रयास में समय की कमी सबसे बड़ी वजह थी। मैं जैसे चाहती थी, उस तरह से सिलेबस पूरा नहीं कर पाई और इसका असर मेरे रिजल्ट में दिख रहा था।”
साल 2017 में, अपने तीसरे प्रयास में, पूजा ने तीनों चरणों को पास किया और उन्हें पुलिस सेवा आवंटित की गई। उन्होंने द बेटर इंडिया के साथ अपने तीसरे प्रयास के दौरान की कुछ रणनीतियों को साझा कियाः
प्रीलिम्स के लिए नोट्स कैसे बनाएं?

पूजा का कहना है कि उम्मीदवारों को अपनी सभी गलतियों पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अगले प्रयास में उसे ना दोहराएं। वह आगे कहती हैं, “अगर सिलेबस का कोई बड़ा हिस्सा ऐसा है, जो आपको मुश्किल लग रहा है, तो उसपर ज्याद ध्यान दें।”
उनका कहना है कि वह उन टॉपिक्स के लिए नोट्स बनाती थीं, जिनके रिवीज़न के लिए किताब की ज़रूरत नहीं थी। वह मुख्य टॉपिक को नीचे लिखकर, उससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को लगभग एक माइंड मैप की तरह तैयार करती थीं। पूजा कहती हैं, “इस माइंड मैप में परिचय, टॉपिक से जुड़े पक्ष-विपक्ष, जरूरी आंकड़े और याद रखने योग्य प्वाइंट्स होते थे। कभी-कभी, मैं कुछ टॉपिक्स पर अपने व्यक्तिगत विचार भी लिखती थी।”
पूजा, इसके बगल में एक अतिरिक्त शीट खाली छोड़ दिया करती थीं और जब भी उस टॉपिक से जुड़े करंट अफेयर्स के प्वाइंट्स सामने आते थे, तो वह डिटेल्स को नोट कर लेती थीं। इससे उन्हें पेपर के करेंट अफेयर्स सेक्शन को हल करते समय काफी मदद मिली। पूजा ने बताया, “खासतौर पर करेंट अफेयर्स के लिए, अपनी तैयारी की शुरुआत से ही नोट्स बनाना फायदेमंद होता है। एनसीईआरटी या अन्य निर्धारित किताबों से तैयारी करने के दौरान, बहुत बड़े या विस्तृत नोट्स बनाने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि पूरी की पूरी किताब ही परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती हैं।”
परीक्षा करीब हो तो क्या करें, क्या ना करें
यूपीएससी-2021 के प्रीलिम्स में केवल कुछ ही दिन रह गए हैं। ऐसे में पूजा का कहना है कि उम्मीदवारों को केवल उसी मटेरियल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो उन्होंने पहले ही पढ़ लिया है। उनका कहना है कि इस समय कोई भी नई सामग्री या किताबें ना लें। उन्होंने कहा, “कोई भी नई चीज़ पढ़ना, केवल आपको भ्रमित करेगा और परीक्षा के इतने करीब, यह आपके लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है।”
उम्मीदवारों को पिछले एक साल के सभी करंट अफेयर्स की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
वह कहती हैं, “इस समय का उपयोग अधिक से अधिक बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQ) का अभ्यास करने के लिए करें। ऐसा करने से आप प्रीलिम्स से पहले अच्छी स्थिति में रहेंगे।” इसके साथ ही पिछले वर्ष के अधिक से अधिक प्रश्न पत्रों को भी हल करें। वह कहती हैं, “इससे कॉन्सेप्ट पर आपकी समझ व पकड़ और मजबूत होगी।”
अपनी पोस्टिंग के बाद, बहुत कम समय में ही, पूजा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। चाहे वह नकली शराब बेचने वाली जगहों पर छापेमारी हो या राज्य में अवैध पदार्थों की बिक्री पर सख्ती, पूजा ‘T’ के लिए कानून का पालन करने में निडर रही हैं।” वह कहती हैं, “इन्हीं चीज़ों के लिए मैंने इस काम को चुना था और मुझे खुशी है कि मुझे यह करने को मिल रहा है।”
मूल लेखः विद्या राजा
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