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ठान लो तो असंभव कुछ भी नहीं: 9 महीने में 48 किलो वजन कम कर छत्तीसगढ़ के ASI ने पेश की मिसाल

Police

बढ़ते वजन से परेशान छत्तीसगढ़ के ASI विभव तिवारी ने, सिर्फ नौ महीने में अपना वजन 150 किलो से 102 किलो कर दिखाया (weight loss)।

मोटापा अधिकांश बीमारियों की जड़ है। इससे उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा दिल से सम्बंधित बीमारीयां होने का खतरा बढ़ जाता है। युवा पीढ़ी भी इसका शिकार हो रही है। यही मोटापा अगर आपके रोज़मर्रा के काम में बाधा बनने लगे, तो चुनौतीयां दोगुनी हो जाती हैं। लेकिन वजन कम करना (weight loss) भी तो आसान काम नहीं है, है न? पर इंसान अगर ठान ले, क्या नहीं कर सकता। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में ASI विभव तिवारी ने।

ASI विभव तिवारी कहते हैं, “एक पुलिस वाले के जीवन में सेहत का बेहद महत्व होता है। लेकिन वह फिट न हो तो, अपने कर्तव्यों को पूरा करने में, काफी असहजता महसूस होती है।”
ASI विभव ने महज नौ महीने में कड़ी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत, अपना वजन 150 किलो से 102 किलो कर दिखाया। जिस उम्र में लोग कहते हैं कि, अब कुछ भी नया करना संभव नहीं है। उस उम्र में ASI विभव बदलाव का एक सफल चेहरा बन, लोगों को प्रेरित कर रहे है।

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एएसआई विभव तिवारी

मोटापा बन गया था कार्य क्षेत्र में चुनौती

आज से तक़रीबन नौ महीने पहले एएसआई विभव तिवारी का वजन 150 किलोग्राम था। वजन बहुत ज़्यादा होने की वजह से, उन्हें काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था। उनका मुख्य काम ट्रैफिक व्यवस्था को संभालना तथा निगरानी का है। इसलिए वह कई बार, कोरबा ज़िले के चौक-चौराहों में काम करते समय थक जाते थे। बिना गाड़ी, एक जगह से दूसरी जगह जाने में, न केवल उन्हें असहजता होती, बल्कि काफी समय भी लगता था। वह काम करते समय बेहद थक जाते थे, फिर भी काम करते रहते थे। 28 साल पहले जब उन्होंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन की, तब उनका वजन सिर्फ 60 किलो था। लेकिन समय के साथ वजन और तकलीफें बढ़ती गयीं। इससे उन्हें आसानी से चलने में भी दिक्कत होने लगी थी।

9 महीने में 48 किलो वजन घटाया

ASI विभव कई बार वजन कम करने के बारे में सोचते, लेकिन कर नहीं पाते थे। ड्यूटी के दौरान उनके सहकर्मी तथा सीनियर ऑफिसर्स भी उनसे कहने लगे थे कि, वजन कम नहीं किया, तो शारीरिक और मानसिक तकलीफें बढ़ जायेंगी। लॉकडाउन से पहले विभव ने ठान लिया कि, हर हाल में स्वस्थ्य जीवन शैली अपनाते हुए वजन कम करना ही है।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, “सबसे पहले मैंने खान-पान में पूरी तरह से नियंत्रण किया। नौ महीने तक मैंने एक बार भी होटल का खाना नहीं खाया। मैंने मिठाई और मैदे से बनी सभी चीज़ों को खाना बंद कर दिया। रोज़ बस घर का बना खाना ही खाता था। शुरू में मेरा मन नहीं मानता था, लेकिन खुद को समझाता था कि, आज का यह त्याग, मेरे कल के बेहतर स्वास्थ्य की नींव है। खाने में नियंत्रण के साथ मैं व्यायाम भी करने लगा। मैं परिणाम की चिंता किये बिना रोज़ मेहनत करता था।”

उन्होंने बताया कि, “आज मेरा वजन 102 किलोग्राम है, जो कमर पहले 54 इंच थी, आज 42 इंच हो गई है। मैं अब भी अपने खान -पान में, पूरी तरह से नियंत्रण तथा नियमित रूप से व्यायाम करता हूँ।”

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ड्यूटी के दौरान

थका लेकिन हार नहीं मानी

ASI विभव कहते हैं कि, “शुरुआती दिनों में वजन कम करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की, लेकिन परिणाम नहीं दिख रहा था। कम खाना तथा नियमित चलने से जीवनशैली पूरी तरह बदल चुकी थी। लेकिन वजन फिर भी कम नहीं हो रहा था। मैं हर रोज़ शाम को थका महसूस करता था। लेकिन मैंने कभी उदासी और नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जब लगता कि, यह कार्य असंभव है तो मैं अपनी मेहनत दोगुनी कर देता था। खुद को समझाता और अभ्यास में, पूरी मेहनत और तन्मयता से जुड़ जाता था। आप कुछ भी नया करेंगे, बेहतर बदलाव के लिए काम करेंगे, तो शुरुआती दिनों में तकलीफ हो सकती है। लेकिन हमें उदास हो कर रुकना नहीं चाहिये।”

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आईजी रतनलाल डांगी के साथ एएसआई विभव तिवारी

IG रतनलाल डांगी से मिली प्रेरणा

विभव को वजन कम करने की असल प्रेरणा, छत्तीसगढ़ के सीनियर आईपीएस आईजी रतनलाल डांगी से मिली। बेहतर काम करने के अलावा IG डांगी, सोशल मीडिया के माध्यम से, लोगों को फिटनेस की जानकारी भी देते हैं। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में वीडियो के माध्यम से, वह लोगों को एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करते हैं। आईजी डांगी ने एएसआई विभव को इस काम के लिए सम्मानित करते हुए, दो हज़ार रुपये का पुरस्कार भी दिया है।

एक पत्रकार वार्ता में आईजी डांगी कहते हैं कि, “मैं पुलिस में हूँ, पर युवाओं को प्रोत्साहित करना भी मेरा प्रमुख उद्देश्य है। मैंने ठान लिया था कि, मुझे योगा में भी दक्ष होना है, जिसके लिए मैंने काफी अभ्यास किया। नतीजा यह रहा कि मैं जो ट्रेनिंग में नहीं कर सका, उसे अब कर लेता हूँ। हम बच्चों को जो सिखाना चाहते हैं, उसे हमें खुद पहले करना होगा। क्योंकि बच्चों के लिए माता पिता ही, उनके रोलमॉडल होते हैं।”

आईजी डांगी से प्रेरणा लेते हुए, विभव ने द बेटर इंडिया को बताया कि, “हमें हर वो काम असंभव लगता है, जिसे हमने कभी किया न हो। मुझे लोग पहले कहा करते थे कि, मेरा वजन कम होना नामुमकिन है। लेकिन मुझे यह बात स्वीकार नहीं थी। जब मैंने एक्सरसाइज शुरू की, तो मुझे घुटनों में असहनीय दर्द होता था। लेकिन इस दर्द को मैंने, कभी अपने दिमाग में नहीं आने दिया। मेरे मन में वजन कम करने का जूनून था, और मैंने बिना थके, बिना रुके प्रयास जारी रखा।”

आज एएसआई विभव तिवारी हज़ारों पुलिस वालो के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, उनके इस जज्बे और मेहनत को द बेटर इंडिया का सलाम।

संपादन – प्रीति महावर

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