हेमंत करकरे : 26/11 में शहीद हुए यह बहादुर अफ़सर, 7 साल तक रहे थे रॉ के सिपाही!

मुंबई हमले में शहीद हुए पुलिस अफसर हेमंत करकरे का जन्म 12 दिसंबर 1954 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने सिविल सर्विस ज्वाइन की और 'रॉ' के लिए भी काम किया। 2008 के 26/11 हमले में यह बहादुर अफसर शहीद हो गया था।

तारीख: 26/11/2008
इस एक दिन ने न सिर्फ़ मुंबई को बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था। एक दिन, जिसने हमसे बहुत कुछ छीना पर यही एक दिन हमें बहुत कुछ सिखा भी गया, जिसे भारत की आने वाली हर एक पीढ़ी याद रखेगी।

इसी मुंबई हमले में शहीद हुए पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे का नाम आज भी सबके दिलों में बसा हुआ है। हेमंत करकरे का जन्म 12 दिसंबर 1954 को महाराष्ट्र के नाग्पुर्र शहर में हुआ था। अपने तीन बहन-भाइयों में करकरे सबसे बड़े थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वर्धा के चितरंजन दास स्कूल में हुई थी।

साल 1975 में उन्होंने विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। सिविल सर्विस में आने से पहले उन्होंने यूनीलीवर कंपनी के लिए नौकरी भी की थी। साल 1982 में वे आईपीएस अधिकारी बने। करकरे ने महाराष्ट्र में चंद्रपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी काम किया था।

नारकोटिक्स विभाग में तैनाती के दौरान उन्होंने एक विदेशी ड्रग्स माफिया को गिरगांव चौपाटी के पास मार गिराया था।

इतना ही नहीं इस जाबांज अफ़सर ने ऑस्ट्रिया में 7 साल भारत के ‘रॉ’ संगठन के लिए भी काम किया था।

हेमंत करकरे

महाराष्ट्र के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर के बाद इनको साल 2008 में एंटी-टेररिज्म स्क्वाड का चीफ़ बनाया गया था। मालेगाँव बम विस्फोट मामले की छानबीन में भी करकरे ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि, कोई न कोई उन पर उनके काम के विरोध में दबाव बनाता ही रहता, पर करकरे को अपना काम पूरा करना बखूबी आता था।

वे हमेशा आम आदमी की परेशानियों से प्रभावित होते थे। बताया जाता है कि पुलिस फ़ोर्स ज्वाइन करने के पीछे की वजह भी लोगों की सेवा ही थी। वे अपने डिपार्टमेंट में सभी छोटे-बड़े लोगों का ध्यान रखते थे। उन्होंने पुलिस के स्टाफ ड्राईवरों के लिए खास तौर पर एक रेस्ट रूम भी बनवाया था ताकि वे लोग भी आराम कर सकें।

यह भी पढ़ें: सिर्फ एक शहीद की विधवा नहीं, एक सच्ची देशभक्त भी थी कविता करकरे!

इतना ही नहीं वे पारदर्शिता और सच में विश्वास रखते थे। कभी भी कुछ भी सही बोलने से वे बिल्कुल भी नहीं हिचकते थे। वे हमेशा कहा करते थे कि वे जो कुछ भी बोलते हैं सब ‘ऑन द रिकॉर्ड’ होता है न कि ‘ऑफ द रिकॉर्ड।’ मतलब कि वे कभी भी बिना सोचे-समझे नहीं बोलते।

साल 2008 के मुंबई हमलों में जहाँ मुंबई पुलिस ने अपना जाबांज अफ़सर खोया तो देश ने एक काबिल अधिकारी खो दिया था।

श्रद्धांजलि

26 नवम्बर 2008 को हेमंत करकरे रात को दादर में अपने घर पर खाना खा रहे थे कि तभी उन्हें एक फ़ोन आया और उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन पर आतंकी हमले की ख़बर मिली। करकरे ने टीवी चला कर न्यूज़ चैनल देखा। यह देखते ही वे तुरंत अपने ड्राईवर के साथ निकल गये।

वे अपनी टीम के साथ यहाँ पहुंचे, लेकिन तब तक कसाब और उसके साथी आगे बढ़ चुके थे। करकरे को पता चला कि अब कसाब ने कामा हॉस्पिटल को अपना निशाना बना रखा है, तो उन्होंने बिना एक पल गंवाए अस्पताल का रुख किया।यहाँ पहुंचकर करकरे और उनकी टीम ने रणनीतिक तौर से आतंकवादियों को पकड़ने की योजना बनाई। एक टीम ने कामा अस्पताल में पीछे से प्रवेश किया तो कुछ लोग मुख्य द्वार से आगे बढ़े।

कामा अस्पताल के बाहर रंग भवन के पास पुलिस की टीम का आतंकवादियों से सामना हुआ। पुलिस को देखते ही अजमल कसाब ने भागने की कोशिश की लेकिन इंस्पेक्टर अशोक कामते की गोली उसे लग गयी। कसाब अकेला आतंकी था जिसे जिन्दा पकड़ा गया।

कसाब के गिरते ही उसका साथी इस्माइल भी बाहर आ गया और उसने पुलिस पर गोली बरसाना शुरू कर दिया। इस मुठभेड़ में हेमंत करकरे के साथ-साथ अशोक कामते और विजय सालसकर भी शहीद हुए।

उनकी इस शहादत को भारत सरकार ने अशोक चक्र से सम्मानित किया। ये हेमंत करकरे जैसे ही बहादुर लोग थे जिनकी वजह से मुंबई से आतंक का साया मिटाया जा सका।

शहीद हेमन्त करकरे के अंतिम दर्शन

द बेटर इंडिया पुलिस अफ़सर हेमंत करकरे और उन सभी साहसी लोगों को सलाम करता है, जो उस दिन बहादुरी से लड़े और जिनकी लड़ाई आज भी जारी है।

#IndiaRemembers #MumbaiAttacks


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X