कहते हैं कि माता-पिता बनना दुनिया में सबसे बड़ी ख़ुशी होती है। लेकिन इस ख़ुशी के साथ- साथ बहुत-सी ज़िम्मेदारियाँ भी आती हैं। आपके बच्चे के लिए क्या सही है, क्या नहीं? आप क्या खरीदें और क्या रहने दें? यह सब सवाल अक्सर माता-पिता के मन में होते हैं।
इसी तरह, साल 2014 में माँ बनीं शालिनी संतोष कुमार की दुनिया भी बिल्कुल बदल गई। उन्होंने 7 साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया और फिर प्रेगनेंसी के दौरान एक ब्रेक लिया। शालिनी पुणे में अपने माता-पिता के पास चली गईं ताकि डिलीवरी के बाद बच्चे को संभालने में आसानी हो।
अपने बच्चे के लिए सेहतमंद खाने के विकल्प तलाशना:

शालिनी ने शुरू से ही अपने बेटे के खाने-पीने पर ध्यान दिया। उन्हें पता था कि एक बार फिर से नौकरी जॉइन करने के बाद, वह हमेशा उसे खाना बनाकर नहीं खिला पाएंगी। वह कहतीं हैं,
“मैं जानती थी कि काम के लिए भाग दौड़ के बीच मेरे बेटे को सही पोषण मिल रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित कर पाना नामुमिकन होगा। इसलिए मैंने सबसे पहले देखा कि बाज़ारों में क्या विकल्प उपलब्ध हैं।”
लेकिन उन्हें बहुत हैरानी हुई यह जानकर कि बच्चों के खाने-पीने के लिए बहुत ही कम स्वस्थ और सुरक्षित वकल्प हैं। शालिनी कुछ ऐसा ढूंढ रहीं थीं, जिसमें अनाजों का इस्तेमाल किया गया हो क्योंकि यह सुपरफूड होता है। डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि बच्चे की खुराक में यह ज़रूर शामिल करना चाहिए। लेकिन बाज़ार में बेबी फ़ूड के नाम पर प्रिज़रवेटिव से भरे हुए विकल्प ही थे।
7 सालों में यह पहली बार था जब शालिनी खुद से बहुत से सवाल पूछ रही थीं। उनके आस-पास की चीजों को सवालिया नज़रों से देख रही थीं और उनके मन में सिर्फ एक बात थी कि अब तक वह जो करती आ रही हैं, क्या वह वाकई करना चाहतीं हैं?
शालिनी कहतीं हैं कि हर रोज़ 12 से 15 घंटे काम करना और दूसरी परेशानियाँ, इन सबमें वह इतनी उलझकर रह गईं थी कि वह भूल ही गईं थीं कि क्या वे खुश हैं? लेकिन फिर उन्होंने कुछ करने की, कुछ बदलने की ठानी।
अगस्त, 2015 में उन्होंने 1 लाख रुपये की इंवेस्टमेंट के साथ ‘अर्ली फूड्स’ की शुरुआत की। यह बच्चों के लिए ऑर्गेनिक फ़ूड बिज़नेस स्टार्टअप था, जिसके ज़रिए उन्होंने अलग-अलग अनाज और सूखे मेवों को मिलकर 5 तरह के दलिया मिक्स तैयार किए। उन्होंने अपने दोस्तों और जानने-पहचानने वालों को यह बेचना शुरू किया।
अब उनकी कहानी 5 दलिया मिक्स से 25 तरह के प्रोडक्ट्स तक पहुँच चुकी है, जिनमें टीथिंग स्टिक और अलग-अलग प्रकार की कूकीज शामिल हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं के लिए भी पोषक तत्वों से भरपूर खाने के विकल्प तैयार किए हैं ताकि उन्हें सही पोषण मिले।
उनकी शुरुआत महीने के 40 ऑर्डर से हुई थी और आज उन्हें हर महीने 30 हज़ार ऑर्डर्स आते हैं!
इंजीनियर, एनालिस्ट, माँ और उद्यमी:

साल 2007 में NIT, त्रिची से मटेरियल साइंस इंजीनियरिंग करने वाली शालिनी ने कभी भी अपने व्यवसाय या फिर उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था। उन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने अपना करियर कॉर्पोरेट से शुरू किया, जहां वह डेटा एनालिटिक्स में कंसल्टेशन सर्विसेज देती थीं। साल 2012 तक उन्होंने यहाँ पर काम किया।
शादी के बाद, वह मुंबई शिफ्ट हो गईं और उन्होंने eClerx में जॉब जॉइन की। यहाँ पर भी वह एनालिटिक्स पर ही काम करतीं थीं। फिर प्रेगनेंसी के दौरान उन्होंने अपने काम से एक ब्रेक लिया।
लोगों को अक्सर लगता है कि उनके लिए काफी आसान रहा होगा अपना उद्यम शुरू करना, क्योंकि वह अपने काम लेकर बहुत ही मेहनती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। बेबी फ़ूड को मार्केट में जगह दिलाने के लिए उन्होंने बहुत-सी चुनौतियों का सामना किया।
शालिनी बताती हैं कि उद्यमी बनने के उनके इस सफ़र में उनकी माँ, विजयालक्ष्मी का अहम योगदान रहा।
“ऑर्गेनिक और हेल्दी खाने के प्रति समझ बनाने में मेरी माँ ने काफी मदद की। जब मैं छोटी थी, तबसे मेरी माँ स्थानीय बाज़ार ही जाती हैं और कुछ निश्चित दुकानों से ही घर का सामान लेकर आती हैं। मैं उनकी अकेली बेटी थी तो मैं हमेशा उनके साथ जाया करती थी,” उन्होंने आगे कहा।
उनकी माँ ने न सिर्फ रेसिपी तैयार करने में उनकी मदद की बल्कि अर्ली फ़ूड के ऑपरेशन्स में भी हाथ बंटाया।
सोच-समझकर उठाए कदम:
शालिनी ने अर्ली फ़ूड का काम अपने माता-पिता के घर से शुरू किया, जहां वह उस वक़्त रह रहीं थीं।
“घर के ग्राउंड फ्लोर को खाली करके, एक छोटी यूनिट में बदल दिया गया। मैंने दो पल्वराईज़र ख़रीदे और पड़ोस के गाँव से दो महिलाओं को काम पर रखा ताकि हम सैंपल तैयार कर सकें,” उन्होंने बताया। फ़िलहाल, शालिनी 23 ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार दे रही हैं।
इन मिक्स को तैयार करने के लिए कितनी मात्रा में क्या डालें, उसके लिए उन्होंने पुणे में बच्चों के डॉक्टरों से सलाह ली। वह बताती हैं कि डॉक्टरों ने उन्हें यह समझने में मदद की कि किस उम्र के बच्चों को क्या देना है? जैसे कि 6 से आठ महीने की उम्र के बच्चों को नट्स नहीं देने चाहिएं। लेकिन आठ महीने का होने के बाद, बच्चों की खुराक में नट्स ज़रूर मिलाएं। क्योंकि इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है।
साथ ही, उन्होंने ऐसे दुकानदार ढूंढे जो तरह-तरह के अनाज रखते हैं। बंगलुरु के एक दुकानदार से उन्होंने बात की क्योंकि उनके यहाँ सभी तरह के अनाज जैविक किसानों से आते हैं। इसलिए शालिनी ने उनसे ही अनाज खरीदना शुरू किया।
सैंपल तैयार होने के बाद उन्होंने न्यूट्रिशनिस्ट और एक फ़ूड टेक्नोलॉजिस्ट से कंसल्ट किया, जिन्होंने उनके सैंपल्स को चेक किया।
“उन्होंने हमें सही सामग्री का चयन करने, ज़ायके को संतुलित करने, और प्रिज़रवेटिव के बिना ही हमारे उत्पादों की ताज़गी बरकरार करने में मदद की,” उन्होंने बताया।
उनके इन उत्पादों की खास बात यह है कि इन्हें बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ होने वाले विकास के आधार पर बनाया गया है।
उनका स्टेज 1 बेबी फ़ूड दलिया, 6 से 8 महीने के बच्चों के लिए है और अलग-अलग तरह का है जिसमें रागी और गाजर, रागी और मूंग जैसी वैरायटी शामिल हैं। स्टेज 2 बेबी फ़ूड मिक्स, 8 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए है और इसे बनाने में रागी, बादाम और अंजीर जैसी सामग्री इस्तेमाल हुई है।
एक बार, जब उन्हें फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (FSSAI) का सर्टिफिकेट मिल गया, तब उन्होंने छोटे-छोटे ऑर्डर्स में अपने प्रोडक्ट्स को बेचना शुरू किया। ये ऑर्डर्स उन्हें व्हाट्सअप के ज़रिए मिलना शुरू हुए थे।
जब ऑर्डर्स की संख्या बढ़ने लगी तब शालिनी ने एक रिटेल वेबसाइट शुरू की।
अपने बच्चों को वह मत खिलाएं जो उनसे बड़ा है:

एक ज़रूरी बात, जिस पर शालिनी ने ध्यान दिया वह थी उनके उत्पादों की ताज़गी सुनिश्चित करना।
“मैंने कहीं पढ़ा था कि बच्चों को कभी भी ऐसा कुछ नहीं खिलाना चाहिए जो उनकी उम्र से बड़ा हो। और यह बात मेरे मन में घर कर गई,” उन्होंने कहा।
मतलब कि हमें बच्चों को बहुत ज्यादा दिन तक प्रिज़रव करके रखे जाने वाले उत्पाद नहीं खिलाने चाहिए। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने अपनी 90% बिक्री ऑनलाइन रखी, सिर्फ कुछ ही रिटेल स्टोर्स पर उनके प्रोडक्ट्स जाते हैं।
अर्ली फूड्स कभी भी अपने प्रोडक्ट्स स्टॉक करके नहीं रखता। “हम मिक्सचर तभी तैयार करते हैं, जब हमें आर्डर मिलता है। इसके बाद हम इसे कुरियर करते हैं और फिर ये ग्राहकों की जगह के हिसाब से 5 दिन से 1 हफ्ते के बीच पहुँच जाता है।”
धीरे-धीरे, ज्यादा लोगों तक पहुँचने के लिए उन्होंने और कई तरह के उत्पाद बनाना शुरू किया। 2016 में उन्होंने तरह-तरह के अनाज जैसे रागी, बाज़रा, गुड़ और सूखे मेवों को मिलाकर बिस्कुट बनाना शुरू किया।
“मेरा बेटा जैसे-जैसे बढ़ रहा था और वह सॉलिड फ़ूड खाने लगा था। मैंने सोचा कि प्रिज़रवेटिव इस्तेमाल करके बनाए गए स्नैक्स की जगह पर उसके लिए हेल्दी कूकीज अच्छे रहेंगे। फिर मैंने पुणे में एक लोकल बेकर से बात की और कुछ महीनों के एक्सपेरिमेंट्स के बाद हम एक रेसिपी तैयार कर पाए जिसमें मैदा नहीं है,” उन्होंने बताया।
शालिनी ने अपनी प्रेगनेंसी के वक़्त को याद किया जब उन्हें अलग-लग चीजें खाने की इच्छा होती थी। लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ज़्यादा हेल्दी विकल्प उपलब्ध नहीं है। इसलिए उन्होंने प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के लिए ख़ास कूकीज बनाए, जिनमें ऐसी सामग्री इस्तेमाल की गई है, जो आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम और प्रोटीन का प्राकृतिक स्त्रोत है।
पोवई में रहने वाली डॉ. सायली ने अपनी दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान यह कूकीज मंगवाए थे। उनकी मुलाक़ात शालिनी से प्री-नेटल योग क्लास में हुई थी। वह पहली ग्राहक थीं जिन्होंने अर्ली फूड्स के उत्पादों को टेस्ट किया और इसके बाद, उन्होंने कहीं और से कुछ नहीं खरीदा।
“अपने दूसरे बच्चे के समय, मैं ये कूकीज ही खाती रहती थी। उनके बच्चों के लिए जो कूकीज हैं, वह मेरे बच्चों को बहुत पसंद हैं। मेरा बड़ा बच्चा जो अभी 4 साल का होने वाला है, एक स्कूल इवेंट में उनके चॉकलेट कूकीज लेकर गया और ये वहां पर भी सबको पसंद आए।” – डॉ. सायली
चुनौती भरा सफर कैसे किया पार:
शालिनी का दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है और फिर 6:30 बजे तक वह अपने बेटे को तैयार करके स्कूल भेजतीं हैं। सुबह में अपना योगा और ब्रेकफास्ट करने के बाद, वह अपने कर्मचारियों के साथ वक़्त बिताती हैं, ऑर्डर्स देखती हैं, और क्या-क्या बनाना है इसकी सूची तैयार करतीं हैं।
एक महीने में 30 हज़ार ऑर्डर्स ला पाना इस उद्यमी के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा। उन्हें फ़ूड बिज़नेस में कोई अनुभव नहीं था। लेकिन इसके हर एक पहलू को समझना, पैकेजिंग से लेकर सर्टिफिकेशन तक, कुछ भी आसान नहीं था। वक़्त के साथ उन्होंने इस सेक्टर के उतार-चढ़ाव को समझा है।
शालिनी बताती हैं, “एक दूसरी चुनौती थी काम करने के लिए सही लोग मिलना। हमारी टीम में सभी महिलाएं गांवों से आती हैं और उनकी स्किल्स के स्तर में एक गैप है। उन्हें सही स्किल सिखाना और यह सुनिश्चित करना कि वे हमारे प्रोडक्शन प्रोटोकॉल को फॉलो करें, बहुत ही मुश्किल था। लेकिन संयम के साथ, हम उन्हें धीरे-धीरे यह सिखाने में कामयाब रहे हैं।”
शालिनी की मेहनत रंग लाई और पिछले साल उन्हें दो सम्मानों से नवाज़ा गया। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने उन्हें एक लाख रुपये के निवेश से शुरू करने और एक सफल व्यवसाय खड़ा करने के लिए सम्मानित किया। जबकि भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान ने कर्नाटक में अलग-अलग अनाज उगा रहे जैविक किसानों को आगे बढ़ाने के उनके प्रयासों को सराहा।
अपने अनुभव से, शालिनी नए उद्यमियों के लिए यही सलाह देती हैं, “छोटी शुरुआत करें और इसमें सहज रहें। पहले से एक प्लान होना अच्छी बात है लेकिन अगर आपके प्लान के अनुसार चीजें न हों तब भी परेशान नहीं होना चाहिए। एक समय में एक कदम उठाएं क्योंकि कोई जल्दी नहीं है। कभी भी प्रतिस्पर्धा से न डरें और वही करें जो आपको सही लगे। सबसे महत्वपूर्ण बात, आप जो कर रहे हैं, उससे आपको ख़ुशी मिलनी चाहिए।”
अर्ली फूड्स की आगे की क्या योजना है?
शालिनी ने बताया कि अगले तीन महीनों में, वह और 10 अलग प्रोडक्ट्स लॉन्च करने वाली हैं और ये भी सुपरग्रेन्स से ही बने होंगे। वे ब्राउन टॉप मिलेट के साथ भी एक्सपेरिमेंट कर रहीं हैं क्योंकि उन्होंने यह पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया है।
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“एक स्वस्थ खुराक के बारे में जागरूकता पर हमने हमेशा फोकस किया है। अर्ली फूड्स के माध्यम से, मैं यह संदेश देना चाहती हूँ कि बाजरा जैसे पारंपरिक अनाज आपके बच्चे और आपके परिवार के स्वास्थ्य को बहुत अच्छा रखेंगे,” उन्होंने अंत में कहा।
रैपिड फायर:
एक उद्यमी जिसने आपको प्रभावित किया
उत्तर: एलन मस्क
नयी तकनीक जो छोटे व्यवसायों का भविष्य बदल सकती है
उत्तर: ई-कॉमर्स और व्हाट्सअप
एक बात जो छोटे छोटे व्यवसायों को पनपने में मदद कर सकता है
उत्तर: गुणवत्ता
आपकी पसंदीदा किताब
उत्तर: फ़िलहाल, मैं भगवद गीता पढ़ रही हूँ।
अपने खाली समय में, मैं….
उत्तर: योगा करती हूँ और हेल्दी फ़ूड ट्रेंड्स पर रिसर्च
इस इंटरव्यू से पहले आप क्या कर रही थीं?
उत्तर: अपना सोशल मीडिया कंटेंट प्लान कर रही थी।
कुछ ऐसा, जो कॉलेज में नहीं पढ़ाते हैं लेकिन व्यवसाय चलाने के लिए ज़रूरी है
उत्तर: एकाउंटिंग और व्यवसाय चलाते समय सही मानसिकता कैसे रखें।
एक सवाल जो आप किसी को काम पर रखने से पहले हमेशा पूछती हैं?
उत्तर: वे अपने खाली समय में क्या करते हैं।
सबसे अच्छी सलाह जो अब तक आपको मिली है?
उत्तर: अपना काम करो और बाकी सब खुद हो जाएगा!
संपादन – अर्चना गुप्ता
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