हर वीकेंड सड़कों की सफाई करते हैं यह इंजीनियर, 150 किलो प्लास्टिक कर चुके हैं जमा

engineer raghav dhoot is collecting plastic waste and helping in recycling plastic products

महाराष्ट्र में भंडारा के रहनेवाले, राघव पिछले तीन महीनों से अपने घर और आसपास के प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करके इसके सही प्रबंधन पर काम कर रहे हैं।

क्या आपने कभी यह सोचा है कि हमारे देश में हर दिन कितना कचरा उत्पन्न होता है? या फिर कभी अपने घर के कचरे को नियमित करने की कोशिश की है? अगर नहीं, तो अपने घर में एक एक्सपेरिमेंट करके देखें और जानने की कोशिश करें कि आपके घर से कितना प्लास्टिक कचरा जैसे चिप्स, बिस्किट के रैपर, बोतलें, सिंगल यूज पॉलिथीन आदि डस्टबिन में जाता है। 

आपकी डस्टबिन से बाहर लैंडफिल या पानी के स्रोतों में, जहां पर गीले कचरे के साथ मिलकर यह कई बार मासूम जानवरों के पेट में भी पहुँचता है। साथ ही, पर्यावरण में कई तरह से प्रदूषण का कारण भी बनता है। लेकिन अगर हर परिवार अपने कचरे की जिम्मेदारी ले तो इस समस्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। यह काम करना उतना मुश्किल नहीं है, जितना कि लगता है। आप अपनी दैनिक जिंदगी से थोड़ा-सा समय इस काम के लिए निकाल सकते हैं और अपने स्तर पर एक बड़ा प्रभाव ला सकते हैं। जैसा कि महाराष्ट्र के राघव धूत कर रहे हैं। 26 वर्षीय राघव पिछले तीन महीनों से अपने घर और आसपास के प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा करके इसके सही प्रबंधन पर काम कर रहे हैं। 

ट्रैकिंग के दौरान कचरा देखा तो कुछ करने की ठानी 

महाराष्ट्र में भंडारा के रहनेवाले राघव ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए की डिग्री की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह तांबे के बर्तन बनाने के अपने पारिवारिक व्यवसाय से जुड़ गए। वह कहते हैं, “मुझे ट्रैकिंग का शौक हमेशा से रहा है। हमारे शहर के आसपास भी ट्रैकिंग की कई जगहें हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से मैं जहाँ भी ट्रैक पर गया, वहां मैंने कचरे की समस्या देखी। लोग घूमने आते हैं लेकिन अपने पीछे ढेर सारा कचरा छोड़ जाते हैं। मुझे लगता था कि लोग ये प्लास्टिक के रैपर या बोतलें अपने साथ वापस क्यों नहीं लेकर जाते।” 

Raghav Dhoot Iscollecting plastic waste and helping in recycling plastic products
Raghav Dhoot Collecting Platic Waste

इस बारे में काफी सोचने के बाद उन्हें समझ में आया कि लोगों को समझाने से पहले उन्हें खुद कुछ करना होगा। इसलिए उन्होंने खुद से शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने अपने घर में आने वाले प्लास्टिक पर फोकस किया। उन्होंने धीरे-धीरे यह सुनिश्चित किया कि उनके घर में प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो। खासकर कि सिंगल यूज पॉलिथीन आदि का। इसके बाद, जो भी प्लास्टिक आए उसका सही प्रबंधन हो। इसलिए उन्होंने अपने घर में कचरे को अलग-अलग करना शुरू किया।

उन्होंने कहा, “यह आसान काम नहीं था। घरवालों को समझाना मुश्किल था लेकिन मैं उन्हें हर बार समझाता कि यह कैसे हमारे लिए हानिकारक है। अब घर वाले भी कचरे को अलग-अलग रखने लगे हैं। अपने घर के कचरे को इकट्ठा करने के साथ-साथ मैंने अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी कहा कि वे पॉलिथीन या प्लास्टिक का कचरा डस्टबिन में डालने की बजाय मुझे दे दें।” 

राघव हर वीकेंड पर अपने आसपास के इलाकों से प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा करते हैं। पिछले तीन महीनों में उन्होंने 150 किलो से ज्यादा कचरा इकट्ठा किया है। 

पहुंचा रहे हैं रीसायकलर्स तक 

प्लास्टिक इकट्ठा करने के साथ-साथ राघव ने सबसे पहले स्थानीय रीसायकलर्स के बारे में जानकारी इकट्ठा की। वह कहते हैं, “कुछ कचरा मैंने स्थानीय रीसाइक्लिंग यूनिट्स को दिया तो लगभग 50 किलो प्लास्टिक का कचरा मैंने पुणे के एक संगठन, ‘इकोकारी’ को भेजा है। इकोकारी प्लास्टिक का इस्तेमाल बैग, पर्स आदि बनाने में करता है। हालांकि, प्लास्टिक अलग-अलग तरह का होता है, इसलिए सभी प्लास्टिक के लिए रीसायकलर मिल पाना बहुत मुश्किल है। क्योंकि बहुत से स्थानीय रीसायकलर बड़ी मात्रा में कचरा लेते हैं।”

Plastic Waste
Collected Waste

राघव कहते हैं कि यदि रीसायकलर नहीं मिल पा रहा है तो इसका मतलब यह नहीं कि हम कचरे को यूँ ही कहीं भी फेंक दें। जब तक आपको कोई सही तरीका नहीं मिल जाता है, तब तक आप इसे अच्छे से इकट्ठा करके रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने घर के एक कोने में ही प्लास्टिक के कचरे को बोरी भरकर रख लेते हैं। सबसे अच्छी बात फ़िलहाल यह है कि पिछले तीन महीनों में कचरा इकट्ठा करने के साथ-साथ वह अपने परिवार की आदतों को बहुत हद तक बदलने में भी सफल रहे हैं। उनके घर में अब ज्यादा से ज्यादा कपडे के थैलों का प्रयोग होता है। 

“मैं नियमित रूप से अभी भी हर वीकेंड पर कचरा इकट्ठा करता हूँ। अगर कहीं ट्रैकिंग पर जाता हूँ तो वहां से भी कोशिश यही रहती है कि जितना हो सके प्लास्टिक के कचरे को कम किया जाए। लेकिन समस्या यही है कि आसानी से रीसायकलर नहीं मिलते हैं। लोगों को इस बारे में जागरूकता भी नहीं है कि वे कहाँ अपने इस कचरे को भेज सकते हैं, जहां यह सही तरीके से मैनेज हो सके। छोटे शहरों में ऐसी फैसिलिटी मिलना मुश्किल है और बड़े शहरों तक कुरियर से कचरा भेजना लोगों के लिए महंगा हो जाता है,” उन्होंने कहा। 

अंत में, वह यह अपील करते हैं कि अगर उनके शहर के आसपास से कोई रीसायकलर या संगठन जो कचरा प्रबंधन करते हैं, इस काम में उनकी मदद कर सकते हैं तो अच्छा रहेगा। यकीनन, राघव का काम काबिल-ए-तारीफ है और हमें उम्मीद है कि बहुत से लोग उनसे प्रेरणा लेंगे। आप उनसे संपर्क करने के लिए dhootraghav9@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।

संपादन- जी एन झा

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