आज दिन -प्रतिदिन हमारे पर्यावरण की हालत बिगड़ती चली जा रही है। पर्यावरण में हुए असंतुलन के कारण कभी बाढ़, कभी सूखा, कभी अत्यधिक गर्मी, कभी अत्यधिक सर्दी, इसके अलावा ग्लेशियर का पिघलना, ब्लैक होल जैसी समस्याएं उत्पन्न हो गई है। ऐसे में राधिका आनंद जैसी पर्यावरण प्रेमी हो तो निश्चय ही हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
दिल्ली में रहने वाली 52 वर्षीय गृहिणी राधिका एक साल में अब तक एक लाख दस हजार फलो के पेड़ लगा चुकी हैं। इनमें आम, इमली, जामुन और कटहल के पेड़ शामिल हैं, जो उत्तर भारत, राजस्थान और महाराष्ट्र के आर्मी क्षेत्रों में लगाए गए हैं। इस कार्य को पूरा करने के लिए राधिका ने कुछ अपनी पूंजी और कुछ अपने मित्रों से आर्थिक सहायता प्राप्त की है और अब आर्मी भी उनके साथ है।
राधिका एक पूर्व एयरफोर्स कर्मी की बेटी हैं। उन्हें बचपन से ही पर्यावरण के सन्दर्भ में कार्य करने का शौक था।
अपने इस काम को आगे बढाते हुए उन्होंने, लगभग 20 साल पहले ‘प्लान्टोलॅाजी’ नाम की एक संस्था की स्थापना की। इस संस्था ने पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार और अनेक सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर कई वर्कशॅाप्स किये। इन्होने भारतीय युवाओं से विशेष तौर पर पर्यावरण की रक्षा करने और एक मजबूत एवं स्वस्थ इकोसिस्टम बनाये रखने के उद्देश्य से बातचीत करने के कार्यक्रम भी रखे। 2006 से अब तक वह दिल्ली सरकार की साझेदारी में 500 वर्कशाप कर चुकी हैं।
इस समय ‘प्लान्टोलॅाजी’ संस्था अपने मिशन ‘फलवान’ के अन्तर्गत फल उत्पादन करने वाले वृक्षों को लगा रही है। उनकी वेबसाइट के अनुसार,”यह आन्दोलन आने वाली पीढ़ी को सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने और ज्यादा हरियाली एवं आक्सीजन विकसित कराने के उद्देश्य से है।
अपने मिशन की सफलता के लिए राधिका ने आर्मी के साथ साझेदारी कर ली है और आर्मी भी पौधों की रक्षा में उनकी सहायता कर रही है। वर्कशाप के दौरान उन्हें जितना भी धन मिलता है, उसे वह अपने वृक्षारोपण कार्यक्रम में लगा देती हैं।
अगले साल तक राधिका की दो लाख पौधे लगा देने की योजना है। पौधों की ये भारी मात्रा शहीद हुए जवानों की स्मृति में ‘सेन्टर फॅार आर्म्ड फोर्सेस हिस्टोरिकल रिसर्च (CAFHR)’ के कार्यक्रम ‘इण्डिया रिमेम्बर्स’ के अन्तर्गत लगाये जाएंगे।
राधिका के इस प्रशंसनीय कार्य की जानकारी जैसे-जैसे लोगों तक पहुँच रही है, भारी मात्रा में लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं और इस वजह से इस कार्य के प्रति उनकी शक्ति, साहस एवं समर्पण बढ़ता ही जा रहा है।
All pictures: Facebook
यदि आपको ये कहानी पसंद आई हो या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें contact@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter (@thebetterindia) पर संपर्क करे।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: