अचार, जिसके जार का ढक्कन खुलते ही मुंह में पानी आ जाता है। वह खुशबू, वह स्वाद, ऐसा लगता है, मानों हमारे हाथ अचार (unique pickles india) को मुंह तक का रास्ता दिखाएं, इससे पहले ही ज़ुबां खुद जार तक जाकर, इसे चख आई हो। अगर आंखें बंद हों, तब भी इसकी खुशबू से ही चटपटा सा स्वाद जीभ को मजबूर कर देता है, थोड़ा सा तो ले ही लिया जाए। भले ही ऐसा करने के बाद, दादी-नानी और मां से डांट पड़ जाए कि गीला हाथ डाल दिया, अचार खराब हो जाएंगे।
प्राचीन काल से ही अचार, भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। यह सब्जियों और फलों को नमकीन और सिरके में प्रीज़र्व करने की पश्चिमी परिभाषा से बिल्कुल परे है। संभवतः भारत के हर राज्य में अचार की कई अनूठी किस्में हैं, जो हमारे स्वाद और टेस्ट बड्स को मसालेदार और चटपटे फ्लेवर्स से भर देती हैं। निश्चित तौर पर अचार (unique pickles india) के लिए आम, नींबू और मिर्च सबसे पसंदीदा सामग्री हैं।
भारतीय अचार उन मसालों और स्वाद के सामान्य मिश्रण से परे हैं, जिनके हम आदी हैं। अचार से अपने प्यार को एक बार फिर याद करने के लिए, हमने देश के चारों कोनों से कुछ स्वादिष्ट अचार चुने हैं। जिन्हें देखकर एक बार तो आपको चखने का मन कर ही जाएगा।
मेसू अचार

भारतीय अचार में काफी कम करके आंका गया मेसू, सिक्किम के व्यंजनों का एक अभिन्न अंग है। इसे फरमेंटेड बांस के शूट्स से बनाया जाता है और इसमें एक शानदार खट्टा-एसिडिक स्वाद होता है। मेसू शब्द सिक्किम में बोली जाने वाली लिम्बु भाषा से लिया गया है। जहां ‘मी’ का अर्थ है नए बांस के शूट्स और ‘सु’ का अर्थ खट्टा है।
भूत जोलोकिया अचार

एक स्थानीय कहावत है कि असम के द घोस्ट या किंग चिली के नाम से फेमस भूत जोलोकिया का तीखापन ऐसा होता है कि इसे खाने के बाद, लोगों को लगता है कि वे मर गए हों। हालांकि इसके अचार को मरने के डर के बिना भी खाया जा सकता है। तीखे लाल मिर्च का यह अचार, बांस की टहनियों से भरा होता है, और अपने तीखे स्वाद के बावजूद, यह दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है।
लिंगड़ी का अचार

फिडलहेड फर्न, इसे हिमाचल प्रदेश में लिंगड़ी के रूप में जाना जाता है। यह, हिमाचल की रसोई में हल्के सैकरीन (Type of Artificial sugar) अचार के रूप में पाया जाता है। अचार बनाने के लिए फर्न के कोमल, मुड़े हुए नए शूट्स का प्रयोग किया जाता है। इनकी खेती नहीं की जाती है, बल्कि दूसरे फ़र्न्स प्रजाति की तरह ही शूट-अप किए जाते हैं।
करिवेपाकु उरुगई

भारतीय व्यंजनों में करी पत्ता उतना ही जरूरी है, जितना कि स्वाद के लिए नमक। करीवेपाकु उरुगई (करी पत्ते का अचार), तमिलनाडु का एक जायकेदार अचार है।
बैंगन का अचार

मेरे जानने वालों में से अधिकांश लोग ‘बैंगन’ को नापसंद करते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं, तो मुझे यकीन है कि गोवा का बेंगन का यह अचार आपकी सोच को बदल देगा। यह अचार मीठे, मसालेदार और थोड़े तीखे स्वाद का जबरदस्त मिश्रण है।
अखुनी अचार

नागालैंड में, फरमेंटेड सोयाबीन केक को ‘अखुनी’ के रूप में जाना जाता है। यहां इसका उपयोग या तो अखुनी अचार बनाने या मांस के व्यंजनों में स्मोकी टेस्ट के साथ-साथ एक स्ट्रॉन्ग और तीखा स्वाद देने के लिए किया जाता है।
आमले की लौंजी

आमले की लौंजी, आमतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में बनाई जाती है। आमले की लौंजी आंवले से बनाई जाती है। यह बेहद पौष्टिक और विटामिन सी का काफी अच्छा स्रोत होती है। साथ ही मीठे व तीखे स्वाद के कॉम्बिनेशन के कारण काफी पसंदद की जाती है।
चना मेथी अचार

देश भर में अपेक्षाकृत कम जाना जाने वाला यह अनोखा अचार, गुजरात में काफी लोकप्रिय है। इसे काबुली चने और सूखे मेथी के बीजों को, कई चटपटे मसालों के साथ मिक्स करके बनाया जाता है। फिर इसमें सरसों का तेल डालकर प्रीज़र्व कर लिया जाता है। आपको यह अचार कई अलग-अलग रूप में भी मिल जाएंगे। ज्यादातर लोग इसमें आम डालकर भी बनाते हैं।
केले के फूल का अचार

यह अचार असम से आता है और इसमें केले के फूल होते हैं, जो आयरन, कैल्शियम और अन्य मिनरल्स का एक बेहतरीन स्रोत हैं। वैसे तो, सुपरफूड केले के फूल का देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी सेवन किया जाता है। लेकिन, अचार के रूप में यह आपको असम में ही मिलेगा।
नारंगी ठोली अचार

किसने सोचा होगा कि संतरे के छिल्कों से अचार बनाया जा सकता है और वह भी इतना स्वादिष्ट! मीठा और चटपटा, यह अचार दक्षिण भारतीय रसोई में काफी आम है। इसे तैयार करना भी आसान है।
कोल्हापुरी थेचा

जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह अचार तीखी कोल्हापुरी लाल मिर्च, मूंगफली, नमक, लहसुन व हींग के मिश्रण से बनाई जाती है। कोल्हापुरी थेचा अपने तीखेपन के लिए काफी प्रसिद्ध है। लाल मिर्च के कारण, इसका स्वाद इतना गर्म होता है कि यह अचार लोगों के पसीना बहाने और उनकी जीभ को सुजा देने के लिए जाना जाता है।
कमल काकड़ी का अचार

आपने मिक्स सब्जी के अचार के जार में तो कमल के तने का एक अजीब टुकड़ा देखा होगा। यह जम्मू और कश्मीर का एक दुर्लभ अचार है, जिसमें केवल कमल के तने होते हैं। परांठे के साथ, यह अचार और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाता है।
चिंताकाया पचड़ी

वैसे तो कच्ची इमली, आंध्र और तेलंगाना के कई व्यंजनों में डाली जाने वाली सामान्य सामग्री है। लेकिन चिंतकया पचड़ी या कच्ची इमली के अचार में पूरी तरह से इसका इस्तेमाल होता है। क्योंकि जैसे इसका कच्चा, तीखा और चटपटा स्वाद आपके टेस्ट बड्स को खोल देता है, वैसे कोई और चीज़ नहीं कर सकती।
चेम्मीन अचार

अगर आपको नॉनवेज अचार पसंद है, तो निराश न हों। अगर आपको झींगा खासतौर पर पसंद है, तो यह अचार आपके लिए जैकपॉट से कम नहीं है। क्योंकि केरल के चेम्मीन अचार को मसालों के अद्भुत समायोजन के लिए बहुत पसंद किया जाता है और दुनिया भर से इसे काफी पसंद किया जाता है।
पोर्क और बांस के शूट का अचार

हम सब जानते हैं कि पोर्क पूर्वोत्तर में मुख्य रूप से खाया जाता है। क्या आपने पोर्क और बांस के शूट्स के अचार के बारे में कभी सुना है? रसदार मांस और कटे हुए कोमल बांस के अंकुर का मिश्रण, अरुणाचल प्रदेश का यह अचार आपकी ज़ुबान को एक बिल्कुल नया अनुभव देता है।
गाजर-गोभी-शलजम अचार

यह देश के उत्तरी हिस्सों में सर्दियों में बनाया जाने वाला एक प्रमुख अचार है। यह अचार गाजर, फूलगोभी और शलजम से बनाया जाता है और शायद यह देश में सबसे स्वादिष्ट अचार है। शलजम का तीखापन, गाजर की मिठास और सिरके का उपयोग करके फूलगोभी के साथ बना यह अचार, परांठे और दही के लिए सबसे अच्छा साइड डिश है।
सुंदक्कई उरुगई

दिलचस्प बात यह है कि सुंदक्कई या मटर ऑबर्जिन को सीधे अचार में नहीं बदला जाता है, बल्कि इसे परिपक्व होने तक पहले नमकीन पानी में रखा जाता है। इसे अचार का रूप, केवल खपत से ठीक पहले ही दिया जाता है, जहां इसे तड़के के साथ परोसा जाता है। तमिलनाडु का यह विशेष अचार, दही चावल के साथ काफी पसंद किया जाता है।
हरे सेब का अचार

वैसे तो, अगर जम्मू और कश्मीर के सेबों के बारें में लिखना शुरू किया जाए तो, अकेले इसपर ही एक लेख लिखा जा सकता है। लेकिन यहां के हरे सेब का अचार भी उतना ही स्वादिष्ट है। इस मीठे और तीखे, सेब के अचार को रोटी के साथ खाया जाता है या फिर आप केवल अचार भी खा सकते हैं।
टिंडोरा अचार

ईमानदारी से कहूं, तो मैंने कभी भी ऐसी प्यारी सब्जी नहीं देखी, जिसे इतने सारे लोग नापसंद करते हों। लेकिन मुझे यकीन है कि अगर उन्हें पता चलेगा कि कुंदरू या टिंडोरा के अचार का स्वाद इतना शानदार होता है, तो हर कोई इस सब्जी से प्यार करने लगेगा। यह गुजरात के सबसे प्रसिद्ध अचारों में से एक है।
कैर के अचार

कैर (राजस्थान में सूखे और उपयोग किए जाने वाले जामुन) से बना यह अचार राज्य के लिए अद्वितीय है और सर्दियों से यहां बड़ी मात्रा में बनाया व खाया जाता रहा है। खट्टे और तीखे, कैर का अचार अविश्वसनीय रूप से स्वादिष्ट होता है और इसे रोटी या चावल के साथ खाया जा सकता है।
टोपा कुलेर अचार

लगभग हर बंगाली घर में यह अचार आपको मिल जाएगा। एक बेरी, जो पश्चिम बंगाल में मूल रूप से पाई जाती है और अपने तीखे स्वाद के लिए जानी जाती है। इसमें गुड़ और मसाले मिलाकर टोपा कुलेर अचार बनाया जाता है। यह चावल-करी के साथ बहुत स्वादिष्ट लगता है।
महली उरुगई

महली या सरसापैरिला से बना, तमिलनाडु का यह अचार ऊपर बताए गए किसी भी अन्य अचार के विपरीत है। क्योंकि यह जड़ों से बना होता है और इसमें एक अलग स्वाद और सुगंध होती है। लोग अक्सर इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसे दही या छाछ के साथ मिलाते हैं, और यह मिश्रण आसानी से दो साल तक बिना खराब हुए रह सकता है।
गंडाल का अचार

पंजाब में एक सदियों पुरानी प्रथा है। यहां हर साल दिसंबर में सरसों के तेल के लिए बीज की कटाई से ठीक पहले, सरसों के साग (गंडाल) के लंबे डंठल से गंडाल का अचार बनाया जाता है।
मुलक्कड़ा पचड़ी
सहजन ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ देने वाली सब्जी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा था कि इससे अचार बनाया जा सकता है? आंध्र प्रदेश में सहजन की डंडियों से अचार बनाया जाता है, जिसे मुलक्कड़ा पचड़ी कहते हैं। इस अचार को आपको एक बार जरूर चखना चाहिए।
मूल लेखः लक्ष्मी प्रिया एस
संपादन- जी एन झा
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