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भारत का पहला सर्टिफाइड ‘ग्रीन होम’, सोलर उर्जा से लेकर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम तक है मौजूद!

ग्रीन वन को इस तरह से बनाया गया है कि ठंडा होने के साथ-साथ इसमें गर्मी को सोखने की क्षमता भी कम की जा सके।

काफी पुराने समय से ही हमारे देश में ग्रीनइमारतें बनती रही हैं। पहले ज्यादातर घर मिट्टी के बनते थे। उन्हें चिलचिलाती गर्मी से बचाने और ठंडा रखने के लिए गोबर से लीपा जाता था। इसके अलावा चूना पत्थर और बजरी मिला कर भी कई मंज़िलों वाले घर बनाए जाते थे, जो सीमेंट के बने घरों से अपेक्षाकृत ठंडे रहते थे। तब से ले कर आज तक ग्रीन इमारतें बनाने की तकनीक ने लंबा सफर तय किया है।

वैसे, आपने कुछ प्रमाणित ग्रीन इमारतों जैसे मॉल, पुलिस स्टेशन, ऑफिस बिल्डिंग या स्मारकों के बारे में सुना होगा, पर क्या आप जानते हैं कि भारत को अपना पहला ग्रीन होम’ 2013 में मिला और वह भी SVAGRIHA (Simple Versatile Affordable – Green Rating for Integrated Habitat Assessment) द्वारा पाँच सितारा रेटिंग के साथ!

भारत का पहला प्रमाणित ग्रीन होमसाउथ दिल्ली के बीचों-बीच H-1456, चित्तरंजन पार्क में स्थित है। ग्रीन वननाम का यह चार मंज़िला घर 2,842 वर्ग फीट के दायरे में फैला हुआ है। प्रसंतो रॉय के 25 साल पुराने घर को तोड़ कर यह ग्रीन होमबनाया गया। इसे बनाने में दो साल से अधिक लग गए और लागत आई लगभग चार करोड़ रुपए।

ग्रीन वन का बाहरी दृश्य

द बेटर इंडियाने ग्रीन होम के बारे में विशेष जानकारी लेने के लिए प्रसंतो से संपर्क किया। प्रसंतो ने अपने बचपन के दोस्त व वास्तुकार नीलांजन भोवल के साथ मिल कर इस घर की न सिर्फ परिकल्पना की, बल्कि इसका निर्माण भी किया।

रॉय का करीब दो दशक तक प्रौद्योगिकी पत्रकार के रूप में एक सफल करियर था, लेकिन छह साल पहले मीडिया प्रोफेशनल और सलहकार रॉय  तकनीकी पॉलिसी के क्षेत्र में चले गए।

रॉय गुडगाँव के सेक्टर 32 में साइबरमीडिया नाम का एक टेक पब्लिशिंग फर्म चला रहे थे। बतौर पत्रकार रॉय ने ग्रीन तकनीक और इससे बनी इमारतों पर काफी कुछ लिखा है। लेकिन ग्रीन वन बनाने की प्रेरणा इन्हें आईटीसी ग्रीन सेंटर से मिली, जो तब दुनिया का सबसे बड़ा एलईईडी प्लैटिनम रेटेड ग्रीन ऑफिस बिल्डिंग हुआ करता था। यह रॉय की बिल्डिंग के बिल्कुल नजदीक था।

प्रसंतो रॉय

रॉय का कहना है कि इसे बनता हुआ देखना मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक था। उन्होंने बताया कि उनके ऑफिस के नजदीक होने के कारण इसके निर्माण के दौरान अक्सर इसे देखा करता था। उन्होंने कहा कि जब मैं प्रमाणित ग्रीन इमारतों के बारे में और खोजबीन करने लगा तब मुझे पता चला कि ऑफिस और कॉमनवेल्थ ग्रीन विलेज जैसे बड़े कॉम्प्लेक्स तो यहाँ है, पर भारत में एक भी प्रमाणित ग्रीन होम नहीं है। यहीं से ग्रीन वन बनाने का विचार इनके मन में आया।

साउथ दिल्ली वाला घर 25 वर्षीय रॉय का पैतृक निवास था। इन्होंने कई बिल्डरों से इस पुराने हो चुके घर को ग्रीन होम का रूप देने के बारे में बात की। इस दौरान इन्हें पता चला कि इन बिल्डरों में ग्रीन होम बनाने के लिए जागरूकता की कमी है।

उन्होंने बताया, मुझे कई बार बिल्डरों ने कहा कि अगर आपको एक ग्रीन होम चाहिए तो एक गोल्फ कोर्स बना सकते हैं, वह काफी हरा होता है। तभी मुझे यह बात समझ में आई।

आखिरकार इनकी खोज तब पूरी हुई, जब ये अपने बचपन के मित्र और सहपाठी  नीलांजन भोवल के दोबारा संपर्क में आए।  नीलांजन एक वास्तुकार हैं, जिनकी विशेषज्ञता पर्यावरण के अनुकूल और प्राकृतिक ऊर्जा से परिपूर्ण इमारतें बनाने में है।

दुगनी लम्बाई का बेसमेंट, जहाँ दिन के समय में प्राकृतिक उजाला रहता है

इसी समय रॉय की मित्र अभिनेत्री गुल पनाग भी महाराष्ट्र के मूलशी में एक ग्रीन फ़ार्महाउस बनाना चाहती थीं। इसके बाद रॉय, पनाग और भोवल ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट (टीईआरआई) जाने का निर्णय लिया, ताकि इन्हें इमारत के मापदण्डों और प्रमाण पाने से संबंधित औपचारिकताओं के बारे में जानकारी मिल सके।

रॉय ने बताया,मैंने यह महसूस किया था कि जब प्रमाणित ग्रीन होम बनाने की बात आती है तो जो कठिनाई लोगों को इससे रोकती है, वह इमारत बनाने पर होने वाला खर्च नहीं, बल्कि इसके पंजीकरण का खर्च है।  यह करीब 5 लाख रुपए पड़ता है।  हम टीईआरआई गए और वहाँ पहला रेटेड और प्रमाणित ग्रीन होम बनाने पर तीन घंटे चर्चा की।  हमने उनसे तेरी गृहा के सिस्टम को बदलने का अनुरोध किया। उन्होंने पूरी तरह से सहयोग किया और जो बात सामने आई, वह थी स्वगृह सिस्टम जो ग्रीन होम के लिए एक सरल रेटिंग और ऑडिट प्रक्रिया थी। इस सिस्टम के तहत ग्रीन वन इनकी पायलट परियोजनाओं में से एक बन गई।

इन तीनों ने पंजीकरण के खर्च को कम करवा कर 1 लाख रुपए करवा दिया जो आज 50, 000 रुपए हो चुकी है। जनवरी 2014 में  ग्रीन वन को स्वगृह रेटिंग की ओर से भारत का पहला प्रमाणित ग्रीन होम बनाने के लिए 5 स्टार दिए गए।  

आइए, जानते हैं इस घर की उन विशेषताओं को जो TERI की सूचीबद्ध 20 से अधिक मापदण्डों का पालन करती हैं :

घर का तीसरा फ्लोर

TERI के दिशा निर्देशानुसार, एक प्रमाणित ग्रीन होम को बनाने में ऐसी सामग्री का इस्तेमाल होना चाहिए, जिसमें कार्बन का अंश न्यूनतम हो। इसलिए ग्रीन वन के लिए आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी की ईंटों का प्रयोग नहीं हुआ है। इसकी जगह अंदर की दीवारों के लिए फ्लाई एश ईंट और बाहर की दीवारों के लिए हल्के वज़न की एसीसी ईंटों का इस्तेमाल किया गया है।

मिट्टी की ईंटों के मुक़ाबले फ्लाई ऐश और एसीसी के प्रयोग से घर 40 प्रतिशत हल्का हो जाता है। इसे बनाने में लोहे के गर्डर और आरसीसी बीम की ज़रूरत कम पड़ती है। ठोस, प्रबल और भूकंप प्रतिरोधक ये हल्की सामग्री कंक्रीट से कम मजबूत नहीं है। साथ ही, ये घर को ठंडा रखने में भी मदद करती है। इस घर में पुराने दरवाजों की चौखटों का इस्तेमाल भी हुआ है।

ग्रीन वन को इस तरह से बनाया गया है कि ठंडा होने के साथ-साथ इसमें गर्मी को सोखने की क्षमता भी कम की जा सके। घुमावदार बनावट और एक के ऊपर एक रूप में बनाए जाने के कारण यह छाया प्रदान करने के साथ ही ये अधिकतम रोशनी भी बिखेरता है।  

इस चार मंज़िल की इमारत के कुल लिविंग एरिया का 54.72 प्रतिशत दिन की रोशनी से प्रकाशित रहता है। घर के अंदर और बेसमेंट में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक रोशनी आती है।

इस घर की खिड़कियों के शीशे सोलर हीट गेन कोएफ़िशिएंट (एसएचजीसी) हैं। यह सूरज की रोशनी का अधिकतम इस्तेमाल कर के ऊर्जा की खपत में कटौती करता है, जबकि उत्तर व पूरब की खिड़कियों में डबल ग्लेज्ड पैनल गर्मी को बरकरार रखता है। पूरे घर में एलपीडी व कृत्रिम रोशनी का प्रयोग किया गया है। घर में लगे बिजली के सारे उपकरण 5 स्टार रेटेड हैं। इनसे बिजली की खपत में कमी होती है।

रॉय ने बताया,  कई बार दिन में हमें किसी भी लाइट की ज़रूरत नहीं पड़ती और पंखे का भी कम इस्तेमाल होता है। एसी 27 डिग्री में भी आरामदायक महसूस होता है।

कॉमन एरिया और सीढ़ियों में मोटर सेंसर लाइटिंग का इस्तेमाल किया गया है। इससे भी बिल में कमी होती है। हालांकि, घर पूरी तरह लीक से हट कर नहीं है।  इसमें 11 केवीए क्षमता वाले सोलर पैनल और सोलर वॉटर हीटर लगे हुए हैं।  इससे प्रति मंज़िल 2 केवीए की बचत हो जाती है। इस घर में 1500 लीटर वॉटर हार्वेस्टिंग टैंक है। इससे गंदे पानी को रीसाइकिल कर बाल्कनी में गमलों में लगे पौधों को पानी दिया जाता है। यहाँ किचन के कचरे रखने की जगह पर खाद बनाने की प्रणाली की व्यवस्था भी की गई है।

रॉय ने ऊपरी दो मंज़िलों को बेच दिया है, जिनमें अलग-अलग किरायेदार रह रहे हैं। सबसे ऊपरी मंज़िल पर रहने वालों ने छत पर एक छोटा-सा बगीचा भी बना लिया है।

जब गर्मी अपने चरम पर होती है, तब हाई सोलर रिफ़्लेक्टिव इंडेक्स व्हाइट पेंट छत और दीवारों को कुछ हद तक ठंडा रखने में मदद करता है।

रॉय बताते हैं कि किस प्रकार 5 स्टार प्राप्त इनके घर ने TERI के अलग-अलग मापदण्डों पर 96 अंक प्राप्त किए थे।

TERI द्वारा देश में पहले प्रमाणित ग्रीन होम के लिए दिया गया सर्टिफिकेट

यह आपके ग्रीन होम का पर्यावरण और मानव जाति पर पड़ रहे प्रभाव का आकलन करता है। उदाहरण के लिए, क्या किसी भी पेड़ को काटा या उखाड़ा गया या आपकी इमारत उसके चारों ओर बनाई जा रही है? अगर हाँ, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि एक नयी जगह पर उस पेड़ को लगाएँ, जहां वह पनप पाए। इसी तरह मानव पर प्रभाव का अर्थ है कि इसे बनाते समय आप अपने पड़ोस पर कैसा प्रभाव छोड़ रहे हैं या मजदूरों की सुरक्षा के लिए चश्मे, हेल्मेट और शौचालय आदि की व्यवस्था है या नहीं।

रॉय कहते हैं, “TERI ने अब एक एप्प विकसित कर लिया है और अपनी वेबसाइट पर ग्रीन होम के मापदण्डों को भी जोड़ दिया है। अगर आप पूरी तरह से ग्रीन नहीं कर सकते तो भी आप इन मापदण्डों में से कुछ को अपना कर एक ग्रीन होम की ओर कुछ कदम बढ़ा सकते हैं। अगर आपके पास पहले से घर है तो बिना किसी बड़े बदलाव के आप कैसे उसे ग्रीन बना सकते हैं, इसके लिए भी वहाँ सुझाव दिए गए हैं,  जिनसे ऊर्जा बचाई जा सके, तापमान कम हो, कार्बन फुटप्रिंट में सुधार हो आदि। आज शुरुआत से ग्रीन होम बनाने तक का खर्च छह साल पहले के मुक़ाबले काफी कम है और आप इस लागत को समय के साथ वसूल भी कर लेंगे।

अगर इस कहानी ने आपको प्रेरित किया है तो आप प्रसंतो के रॉय से pkr@pkr.in पर संपर्क कर सकते हैं।

फोटो साभार: डिजाईन कंसोर्टियम

मूल लेख: जोविटा अरान्हा 
संपादन: मनोज झा 


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