“इनोवेशन करने के लिए, पहले किसी एक को कुछ अलग करना होता है, और उसके बाद दूसरे लोग उसे फॉलो करते हैं,” यह कहना है तमिलनाडु की इलेक्ट्रिक-वाहन (Electric Vehicle) उद्यमी, हेमलता अन्नामलाई का। हेमलता न सिर्फ ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं, बल्कि उन्होंने अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को सामाजिक बदलाव का ज़रिया भी बनाया है।
ऑटोमेटिव इंडस्ट्री में हेमलता कुछ प्रमुख महिला उद्यमियों में से एक हैं। एमपियर वेह्किल्स प्रा. लिमिटेड (Ampere Vehicles Pvt. Ltd) की फाउंडर और सीईओ, हेमलता ने पुरुष प्रधान माने जाने वाले इस क्षेत्र में न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई बल्कि अपनी कंपनी के ज़रिए वह देश को आगे बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। साथ ही, वह पर्यावरण का भी ध्यान रख रही हैं। उनकी कंपनी में लगभग 40% महिलाएं काम करतीं हैं, जो इस सेक्टर के लिए एक बड़ी बात है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए, हेमलता कहतीं हैं, “हमें इस धारणा को बदलना होगा कि, कुछ सेक्टर में केवल एक ही जेंडर के लोग काम कर सकते हैं। हमने इसी धारणा को बदलने की कोशिश की है। हमारी कोशिश है कि, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को जोड़ा जाए।”
कैसे हुई शुरुआत:
हेमलता का सफर साल 2007 में शुरू हुआ। जब वह उद्यमी बनने की राह पर चल चुकी थीं, और ऐसा कुछ करना चाहतीं थीं जिसका प्रभाव समाज पर भी पड़े। उस समय उन्हें, जापान से एक फ़ोन कॉल आया, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। फ़ोन कॉल उनके पति, बाला पच्यप्पा का था, जो जापान में एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने गए थे। उस कॉन्फ्रेंस में ‘टोयोटा’ के एक यूनिट हेड ने ‘इंटरनल कंबसशन इंजन युग का अंत’ विषय पर भाषण दिया। इस भाषण से प्रभावित होकर बाला ने हेमलता को फोन कर, इस बारे में चर्चा की।
अपने उद्यम से पहले बतौर कंप्यूटर इंजीनियर काम कर चुकीं हेमलता बतातीं हैं, “उस समय, वह जो कह रहे थे, उस बात को लेकर मैं संदेह में थी। लेकिन मुझे पता था कि, मैं यह कर सकती हूँ। मैं कोड्स लिखकर और सॉफ्टवेयर बेचकर थक चुकी थी और कुछ अलग करना चाहती थी। इसलिए उस बातचीत के बाद मैंने अपनी रिसर्च शुरू की। फिर दिसंबर 2007 में जेनेवा में ‘इंटरनेशनल मोबिलिटी कॉन्फ्रेंस’ में गई और इस एक ट्रिप ने मेरे विचारों को बिल्कुल स्पष्ट कर दिया कि, मैं लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन बनाना चाहतीं हूँ। साथ ही, पहले से उपलब्ध तकनीक की नक़ल करने या बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने से बेहतर मुझे लगा कि, हमें भारत की तकनीक और खोजों का फायदा उठाना चाहिए।”
लगभग 18 साल तक सिंगापुर में काम करने के बाद वह कोयंबटूर लौटीं। यहाँ साल 2008 में उन्होंने अपनी कंपनी, एएमवीपीएल (AMVPL) शुरू की। उनकी कंपनी लोगों के लिए इलेक्ट्रिक स्कूटर, साइकिल, ट्राइसाइकिल, और कचरा ढोने वाले ई-वाहन बना रही है।

एक बदलाव की कोशिश:
हेमलता का उद्देश्य ई-बाइक इंडस्ट्री के लिए एक किफायती मॉडल बनाना था, जो ट्रांसपोर्ट के सेक्टर में बदलाव लाए और साथ ही, ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए एक प्लेटफार्म बन सके। इस बारे में हेमलता कहतीं हैं, “हम चाहते हैं कि, उच्चस्तरीय टेक्नोलॉजी तक हर किसी की पहुँच हो। यहीं वजह है कि हमारा उद्देश्य, उन्नत (एडवांस्ड) और टिकाऊ (सस्टेनेबल) परिवहन को ग्रामीण और अर्ध-शहरी (सेमी अर्बन) क्षेत्रों तक ले जाना है।”
हेमलता आगे कहतीं हैं कि, वाहन बनाने के साथ-साथ, वह अन्य चीज़ों पर भी काम करना चाहतीं हैं। वह ग्रैजुएट इंजीनियर्स के लिए रोज़गार उपलब्ध करा रहीं हैं और उन्हें कुछ अलग और इनोवेटिव करने के लिए प्रेरित करतीं हैं। उनका कहना है, “आखिर क्यों 2-टियर शहरों के इंजीनियरिंग ग्रैजुएट नौकरी के लिए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, या चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में पलायन करें? इसलिए हमने अपनी कंपनी कोयंबटूर में बनाई है ताकि, यहां के ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों के टैलेंट को मौका दिया जा सके।”

हर साल हेमलता और उनकी टीम अपने रिसर्च और डेवलपमेंट क्षमता को बढ़ा रहे हैं, और इंटीग्रेटेड बैटरी व्हीकल मैनेजमेंट सिस्टम पर काम कर रहे हैं। उनकी कंपनी ने लगभग 16 पेटेंट के लिए अप्लाई किया है, जिनमें से 3 रजिस्टर हो चुके हैं।
कोयंबटूर में फ़िलहाल उनकी कंपनी, हर साल 60 हज़ार से ज़्यादा वाहन बनाती हैं।
इनोवेटिव इलेक्ट्रिक वाहन:
सोशल इनोवेशन का दृष्टिकोण रखने वाली यह कंपनी इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए, कम लागत और बिना धूएं वाले तीन पहियों (थ्री-व्हीलर) वाले वाहन बना रही है।
उनका ई-वाहन, ‘मित्र’, खासतौर पर कचरा ढोने के लिए बनाया गया है। यह वाहन दो तरह का है, एक 250 किलोग्राम क्षमता वाला और दूसरा, 450 किलोग्राम की क्षमता वाला। कंपनी ने कचरा इकट्ठा करने वालों तक अपने ई-वाहन ‘मित्र’ को पहुँचाने के लिए तमिलनाडु की कई पंचायतों के साथ टाई-अप किया है। जहाँ पारंपरिक, हाथ से चलने वाली कचरा गाड़ी की क्षमता सिर्फ 100 किलोग्राम की होती है, और इसे लाने-ले जाने में काफी मेहनत भी लगती है। वहीं, मित्र वाहन से इसकी दुगुनी क्षमता से ज़्यादा कचरा ढोया जा सकता है।

इस सिस्टम के तहत, एएमवीपीएल (AMVPL) कंपनी निजी उद्यमशीलता पर भी काम कर रही है, और कचरा इकट्ठा करने वालों को इसे अलग-अलग करके रीसायकल और रीसेल करने के लिए सशक्त कर रही है। उनके इस मॉडल पर जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) का ध्यान गया और उन्होंने राज्य के सभी ब्लॉक्स के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने का फैसला किया।
इसी तरह, उनके एक और वाहन, ‘त्रिसूल’ को कताई मिलों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

इस थ्री-व्हीलर का लक्ष्य कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उनकी उत्पादकता को बढ़ाना है। मिल के अंदर परिवहन को आसान बनाते हुए समय की बचत करना है।
यह ‘सोशल एंटरप्राइज’ हेमलता के मजबूत सिद्धांतों पर बनी है। वह कहतीं हैं, “हमने कभी नहीं चाहा कि कंपनी सिर्फ पैसे कमाने वाली फर्म बनकर रह जाए, जहाँ सामाजिक बदलाव सिर्फ ‘कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदाईत्व’ (कॉर्पोरेट सोशल रिसपोंसिबिलिटी) की सीमा के अंदर ही सिमित हो। दरअसल, हमारी कंपनी इसके बिल्कुल विपरीत है। यहाँ हर कदम, इसके सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखकर उठाया जाता है।”

इस प्रेरक महिला उद्यमी के पास, तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन के लिए एक सशक्त दृष्टिकोण है। अपने प्रयासों से, वह भारतीय महिलाओं के लिए एक सकारात्मक मिसाल कायम करना चाहती हैं। अंत में हेमलता सिर्फ यही कहतीं हैं, “सपनों और विचारों का कोई लिंग नहीं होता है। मुझे उम्मीद है हम जल्द यह बात समझ लेंगे, और एक बेहतर कल के लिए रास्ता बनाएंगे।”
उनकी कंपनी और वाहनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
संपादन – जी एन झा
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