आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं, आप किसी के चहरे पर फिर से मुस्कान ला सकते हैं। आप किसी को फिर से ये दुनिया दिखा सकते हैं। जी हां अंगदान करके आप फिर किसी की जिंदगी को नई उम्मीद से भर सकते हैं। विश्व अंगदान दिवस पर आज हम आपको एक ऐसे ही मुहीम से मुखातिब कराते है जो श्रीमद राजचंद्र लव एंड केयर संस्था द्वारा चलाया जा रहा है।
अपने सामाजिक सरोकारों के लिए अनूठी पहचान बना चुके मुंबई डब्बावालों की टीम अब आम लोगों को टिफिन के साथ-साथ अंग दान पर जागरुक भी कर रही है। अंग दान पर जागरुकता के अभाव में कई तरह के मिथक समाज में फैले है। इन मिथको को तोड़ने और आम आदमी को अंग दान से जोड़ने की श्रीमद राजचंद्रन अंगदान कार्यक्रम से जुड़कर मुंबई डब्बावाले समाज को आईना दिखाने का काम कर रहे है।
कुछ माह पहले सात वर्षीय दियान उडानी की मुंबई में छुट्टिया मनाने के दौरान आकस्मिक मौत हो गयी थी। दियान की मौत से सदमे में गई उनके परिवार ने दियान की इच्छा के मुताबिक उनके अंगों को चार जरुरतमंद मरीजों को दान कर दिया गया था। ये पहल एक मिसाल के रुप में सामने आयी थी।
दियान की मां के मुताबिक, “ऑस्ट्रेलिया में ड्राइविंग लाइसेंस में ये दर्ज रहता है कि व्यक्ति ऑर्गेन डोनर (अंग दानकर्ता ) है या नहीं। उसी को पढ़कर दियान ने अंगदान की इच्छा जताई थी जिसे हम लोग पूरा कर रहे है।”
अपने नन्हे को खोने का दर्द सीने में दबाए उडानी परिवार ने निस्वार्थ भावना की मिसाल देते हुए समाज को एक नया रास्ता दिखाया था जो आगे चलकर एक आंदोलन के रुप में खड़ा हुआ। इसी आंदोलन को श्रीमद राजचंद्रन अंगदान कार्यक्रम का नाम देकर आम लोगों को अंग दान के विषय में जागरुक किया जा रहा है।
मुंबई डब्बावाले के करीब 5000 से ज्यादा लोग 2 लाख टिफिन को पूरे मुंबई में अलग अलग लोगों तक पहुंचाते है। मुंबई डब्बावाले अपनी टिफिन के लोगों को डोनेशन कार्ड देकर अंगदान के फायदे भी बता रहे है। 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस है और मुंबई डब्बावालों को अंग दान जागरुकता कार्यक्रम से जोड़कर राजचंद्र लव एंड केयर संस्था ने जन जन तक इस मुहीम को पहुंचाने का तोड़ निकाल लिया है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए मुंबई डब्बावाले के प्रवक्ता सुभाष बताते है,” हम डब्बावाले अन्न दान के लिए काफी दिनों से काम कर रहे है लेकिन अब वक्त है कि हम अंग दान को बढ़ावा देने के लिए काम करें । हमारा धर्म चाहे कोई भी हो लेकिन मरने के बाद हम दूसरों की जिंदगी बचा सकते है और हमे इस बांटने की खुशी को अपना मकसद बनाना चाहिए। सुभाष बताते है कि यह जागरुकता अभियान एक सप्ताह तक चलेगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंग दान के बारे में जागरुक किया जा सके।”
मुंबई के डब्बावाले सिर्फ दूसरों को ही अंगदान करने के लिए प्रेरित नहीं कर रहे है बल्कि 100 से ज्यादा डब्बावालों ने खुद भी अंगदान के लिए खुद को नामित किया है।

श्रीमद राजचंद्र लव एंड केयर संस्था के वालंटियर निशांत वोरा बताते है कि पिछले 2 दिनों से मुंबई डब्बावाले इस अभियान से जुड़े है और पूरे एक हफ्ते वो डोनेशन कार्ड लोगों तक पहुंचाएंगे।
निशांत बताते है, “युवाओं में अंगदान को लेकर जबरदस्त उत्साह है। सैकड़ों नोमिनेशन सिर्फ कॉलेज के युवाओं ने किए है, जो देश में बदलाव का संकेत है।”
निशांत आगे जोड़ते है कि मुंबई डब्बावाले की टीम के लोग भी बढ़ चढ़ कर अंग दान में खुद को नामांकित कर रहे है। साथ ही समाज को एक नई राह देने के लिए जागरुकता फैलाने में हमारा साथ दे रहे है।
अंगदान के लिए मृत्यु के बाद किसी के अंग को सुरक्षित रखना होता है। अंग को दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाना होता है। यह अंगदान कोई भी व्यक्ति कर सकता है। अगर परिवार की अनुमति हो तो बच्चे भी अंगदान कर सकते हैं। हालांकि कैसर, एचआईवी से पीड़ित और हेपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकते।
अंगदान की इस प्रक्रिया में अंग का दान दिल, लीवर, किडनी, आंत, पैनक्रियास, फेफड़े , ब्रैन डेड की स्थिति में ही दान संभव होता है। वहीं आंख, हार्ट वॉल्व, त्वचा, हड्डियां, स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दान कर सकते है।
अंगदान के बिना देश में हर साल 5 लाख मौत होती है। जिसमें हर साल लीवर फेल होने से 2 लाख मौत, हार्ट ट्रांसप्लांट के अभाव में 50 हजार मौत, हर साल 1.5 लाख किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। लेकिन सिर्फ 5 हजार किडनी ट्रांसप्लांट होते है। अंगदान की बड़ी संख्या में जरुरत होते हुए भी भारत में हर दस लाख में सिर्फ 0.08 डोनर ही अपना अंगदान करते है। वहीं भारत के मुकाबले अमेरिका, यूके, जर्मनी में 10 लाख में 30 डोनर और सिंगापुर, स्पेन में हर 10 लाख में 40 डोनर अंगदान करते है।
तो आईए विश्व अंगदान दिवस पर हम शपथ लें कि हम अंग दान से जुडेंगे और जरुरतमंदों का सहारा बनेंगे।
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