आज हम आपको भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) की एक ऐसी अधिकारी से रू-ब-रू करवाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने करियर में कई हाई प्रोफाइल मामले को सुलझाया है।
यह कहानी रोहिणी दिवाकर की है, जो इन दिनों चेन्नई में संयुक्त आयकर निदेशक (इन्वेस्टिगेशन) के तौर पर सेवारत हैं। इसलिए, कोई भी यह अंदाजा लगा सकता है कि उनका काम सिर्फ फाइलों को देखने और टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना है।
हालांकि, कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन एक आईआरएस अधिकारी के कार्य का दायरा इससे कहीं व्यापक है। द बेटर इंडिया से खास बातचीत के दौरान, रोहिणी अपने कई हाई प्रोफाइल इन्वेस्टिगेशन और रेड (छापेमारी) समेत अपने कैरियर के कई अनुभवों को साझा करती हैं।

रोहिणी की परवरिश कर्नाटक के दावणगेरे में हुई। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने साल 2007 में यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया लिया। रोहिणी बताती हैं कि वह अपनी आईपीएस बहन रूपा दिवाकर को अपना आदर्श और प्रेरणास्त्रोत मानती हैं। दोनों बहनों ने दायित्वों को हमेशा सर्वोपरि समझा और समाज में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बिना किसी डर के आगे बढ़ीं।
क्या है एक आईआरएस अधिकारी का कार्य
रोहिणी की पहली पोस्टिंग चेन्नई में हुई थी, जहाँ वह कुछ समय के लिए ही रहीं। इसके बाद उन्हें बेंगलुरु में तैनात किया किया गया, जहाँ वह ‘मीडिया सर्कल’ में थीं। इस दौरान उन्होंने अपने पहले सर्विलांस मिशन की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया – जिसके तहत कई जगहों पर छानबीन की जाती है – इसे छापेमारी कही जाती है।
इस कड़ी में वह बताती हैं, “इस पोस्टिंग के दौरान मैंने कन्नड़ मीडिया इंडस्ट्री के अंदर कलेक्शन, पेमेंट, अनियिमतता और टैक्स चोरी के कई मामलों को उजागर किया।”
ऐसे कई मामलों में से एक मामला लोकप्रिय कन्नड़ संगीत निर्देशक का था, रोहिणी ने इस छापेमारी को एक अंडरकवर ‘नवोदित गायिका’ के रूप में अंजाम दिया।
वह कहती हैं, “ऐसे नजारे अक्सर फिल्मों और वेब सीरीज में देखे जाते हैं और हुआ भी ऐसा ही।” एक बार जब रोहिणी परिसर के अंदर चली गईं, तो उन्होंने अपने मोर्चे को संभाला और इस छापेमारी में एक बड़ी धनराशि बरामद की।
रोहिणी बताती हैं, “इस छापेमारी के परिणामस्वरूप, कन्नड़ मीडिया द्वारा उस वर्ष सर्वाधिक टैक्स जमा किया गया।”
चूंकि, यह रोहिणी का पहला मिशन था, इसलिए वह कहतीं हैं, “जब भी आप किसी चीज को लेकर पहली कोशिश करते हैं, तो वैसे ही मुझे भी इस दिन से पहले काफी घबराहट हुई। क्योंकि, सब कुछ योजना के अनुसार हो और हम किसी भी स्तर कोई गलती न करते हुए मिशन को पूरा करें, यह यह मुझ पर निर्भर था।”
आयकर छापे के दौरान क्या होता है?
रोहिणी बताती हैं, “छापेमारी एक प्रक्रिया है और इसके लिए बेहद सावधानी से योजना बनानी पड़ती है। यह रातों-रात नहीं होता है। एक छापेमारी के लिए महीनों तक कई स्त्रोतों के जरिए साक्ष्य जुटाए जाते हैं। एक बार जब आधिकारियों को आवश्यक दस्तावेज और सबूत हाथ लग जाते हैं, तो इसका अध्ययन करते हुए मामला बनाया जाता है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो छापेमारी की योजना बनाई जाती है।”
वह आगे बताती हैं, “एक बार वरिष्ठ अधिकारियों की स्वीकृति मिल जाने के बाद हम एक तारीख तय करते हैं और इसके साथ आगे बढ़ते हैं। फिर, ऑपरेशन की जरूरतों को देखते हुए, मैन पावर को नियुक्त किया जाता है।”

बता दें कि रोहिणी की अगुवाई में कन्नड़ मीडिया इंडस्ट्री में जिस छापेमारी को अंजाम दिया गया, उससे पहले इसकी तीन महीने तक निगरानी की गई।
रोहिणी कहती हैं, “इस तरह के छापेमारी में संपत्ति का विनाश, आदि नहीं होता है। हमारे पास, टीवी सीरीज और फिल्म में इनपुट के लिए कई लोग आते हैं, लेकिन इसके जरिए छापेमारी की पूरी सच्चाई सामने नहीं आती है, जो आप फिल्मों में देखते हैं।”
इसके अलावा, रोहिणी को कर्नाटक के खनन घोटाले की जिम्मेदारी भी सौंपी गई, जो काफी संवेदनशील मामला था। इसके बारे में वह बताती हैं, “इस घोटाले में हमने करीब 1400 करोड़ रुपए की अनियमितता को उजागर किया। इसमें हम पर काफी दबाव था, लेकिन खुशी की बात है कि कई अपीलीय अधिकारियों ने मेरे आदेशों को बरकरार रखा है।”
आईआरएस रोहिणी द्वारा सुलझाए गए कई मामलों में से ये केवल दो उदाहरण हैं, जिसके जरिए उन्होंने उन लोगों के मिथकों को तोड़ा है, जो आयकर अधिकारियों धीमा और गैर-कामकाजी मानते हैं।
बदला काला धन छिपाने का तरीका
रोहिणी बताती हैं कि पहले काले धन को बक्से, शौचालय और छत पर छिपाया जाता था, लेकिन समय के साथ ये तरीके अप्रचलित हो गए हैं और कुछ नए तरीकों का चलन बढ़ा है।
वह कहती हैं, “काले धन को छिपाने के लिए अब एक नए व्यवस्थित तरीके का पालन किया जाता है। अब इसे – नकली कंपनी, हवाला और बेनामी संपत्तियों की होल्डिंग के जरिए छिपाया जाता है। इस तरह के बेहद जटिल लेनदेन की जाँच करने के लिए मामले को काफी गहराई से अध्ययन किया जाता है।”
इसके अलावा, रोहिणी बताती हैं कि इस तरह के मिशन में अधिकारियों में कोई संशय या संकोच का भाव नहीं होना चाहिए, इससे कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा आती है। ये कुछ ऐसे तत्व हैं, जो अधिकारियों में समय के साथ विकसित होते हैं।
रोहिणी के पति हैं आईपीएस अधिकारी

संयोग से, रोहिणी की शादी एक आईपीएस अधिकारी सरोज कुमार ठाकुर से हुई है। जब उनसे यह जानने की कोशिशि की गई कि क्या घर में एक आईआरएस और आईपीएस के बीच किसी तरह की कोई प्रतियोगिता होती है। तो, वह कहती हैं, “हमारे घर में हमेशा एक स्वस्थ प्रतियोगिता होती है, हम अपने हर काम को एक पेशेवर के रूप में करते हैं। हम दोनों कानून प्रवर्तन एजेंसियों का हिस्सा हैं और मुझे गर्व है कि मैं उस व्यवस्था का हिस्सा हूँ, जिसने देश के कई वित्तीय घोटालों को उजागर किया है।”
मूल लेख – (VIDYA RAJA)
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