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IIT कानपुर का कमाल! अब मिट्टी के बर्तनों में आसानी से साफ होगा पानी

IIT Kanpur's Nano Adsorbent Help Clay Pots To Clean Polluted Water

IIT कानपुर के रिसर्चर डॉ. अर्चना रायचूर और डॉ. नीरज सिन्हा ने एक नैनो एडजोर्बेंट का आविष्कार किया है, जो मिट्टी के बर्तनों में जमा पानी से दूषित पदार्थों को निकालता है।

कानपुर में गंगा नदी के किनारे रहनेवाले कई लोग फंगस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले त्वचा रोग और अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। IIT Kanpur के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की साइंटिस्ट फेलो डॉ. अर्चना रायचूर कहती हैं, “लोग अक्सर घर के काम और खुद के लिए दूषित पानी का इस्तेमाल करते हैं और इस तरह के त्वचा रोगों का मुख्य कारण दूषित पानी ही है और इसी परेशानी के हल है Nano Adsorbent.”

डॉ. अर्चना को इस मुद्दे का पता कानपुर के ग्रामीण इलाकों के दौरे के दौरान लगा। वह कहती हैं कि उन्होंने साल 2019 में लगभग चार महीनों के लिए गांवों का दौरा किया और महसूस किया कि कई गांववाले, खासतौर पर महिलाएं जिन्होंने पानी के संपर्क में अधिक समय बिताया, वे सबसे ज्यादा संक्रमित थीं।

उन्होंने आगे कहा कि महिलाएं बर्तन धोने, घर के काम और खेती में ज्यादा समय बिताती हैं। इसलिए, इस समस्या को फौरन हल करने की जरूरत थी।

IIT Kanpur की डॉ. अर्चना का कहना है कि वहां रहनेवाले लोग इलाज के लिए डॉक्टर के पास गए, लेकिन बीते कुछ सालों में, इस संक्रमण पर न तो दवाओं का कोई असर हो रहा था और न ही लोगों के स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा था। साफ पानी मुहैया कराकर समस्या के मूल कारण का समाधान करना बेहद जरूरी हो गया था।

अब बिना बिजली साफ हो सकेगा पानी

लगभग दो साल के रीसर्च के बाद, IIT Kanpur के डॉ. अर्चना और डॉ. नीरज सिन्हा ने एक नैनो एड्ज़ॉर्बेंट (सोख लेना) की कल्पना की, जो एंटीबायोटिक और मेटल रेसिस्टेंट बैक्टीरिया को चुनिंदा रूप से हटाने में असरदार है। अनोखे फिजिओकेमिकल गुणों वाला इनोवेटिव मेटेरियल, पानी से मेटैलिक और एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट बैक्टीरिया (एआरबी) को निष्क्रिय करने और अलग करने में इस एड्ज़ॉर्बेंट (Nano Adsorbent) को सक्षम बनाता है।

डॉ. अर्चना बताती हैं कि हाल के दिनों में दवाओं, फार्मास्यूटिकल्स और अन्य जहरीले पदार्थों के कारण पानी ज्यादा खराब हो रहा है। इनोवेटिव नैनो एड्ज़ॉर्बेंट, पानी साफ करने को आसान बनाता है और बाजार में मौजूद दूसरे वॉटर प्यूरीफायर्स में सीरम और एंजाइम, जंग और नॉन रिसायकलेविलिटी के कारण आने वाली परेशानियों से भी बचाता है।

डॉ. अर्चना कहती हैं, “यह इनोवेशन नया है और इसे पानी के फिल्टर की मौजूदा झिल्ली में या मिट्टी के बर्तनों या दूसरे पानी के कंटेनरों में अलग से इस्तेमाल किया जा सकता है। पानी के फिल्टर महंगे हैं और हर कोई उसे नहीं खरीद सकता। लेकिन इनोवेटिव नैनो एड्ज़ॉर्बेंट (Nano Adsorbent) को बिजली की जरूरत नहीं होती और यह 99 प्रतिशत तक पानी को शुद्ध कर सकता है।

“इस तरह के इनोवेशन, समय की जरूरत”

IIT Kanpur nano adsorbent filter
Nano adsorbent

डॉ. अर्चना ने बताया कि पानी को साफ करने का तरीका वैसे ही काम करता है, जैसे कंकड़, रेत, ह्यूमस, एक चट्टान को एक के ऊपर एक करके प्राकृतिक पानी फिल्टर होता है। डॉ. अर्चना बताती हैं, पानी को टॉप लेयर में डाला जाता है, जो प्रक्रिया के अंत तक गंदगी को रिसता और फ़िल्टर करता है। नैनो एड्ज़ॉर्बेंट (Nano Adsorbent), पानी में रहनेवाले दूषित धातुओं जैसे आर्सेनिक और अन्य बैक्टीरिया को भी खत्म करता है।

IIT Kanpur के डॉ. नीरज कहते हैं कि नैनो एड्ज़ॉर्बेंट एक समान क्यूबिकल है और कई विशेषताओं के साथ आता है। यह पर्यावरण के अनुकूल, मल्टीलेयर्ड, बैक्टेरिसिडल, रियूजेबल है और मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के इनोवेशन समय की जरूरत हैं।

इन Nano Adsorbent कीमत है काफी कम

नीरज कहते हैं कि गांववालों में देखा गया एंटिमाइक्रोबायल रेसिसटेंस (एएमआर), एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, इस बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज करना भी किसी खतरे से कम नहीं है। जब पैरासाइट, बैक्टीरिया, फंगस और वायरस, दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, तो रोगियों में इलाज का असर नहीं होता है।

बाजार में मिलने वाले अन्य वॉटर फिल्टर्स (Nano Adsorbent) की तुलना में इसकी कीमत लगभग 40 प्रतिशत सस्ती होने का अनुमान है। डॉ. अर्चना कहती हैं, “तीन कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है, जो व्यावसायीकरण के लिए हमारे साथ सहयोग करना चाहते हैं।”

IIT Kanpur की टीम को उम्मीद है कि उनके इनोवेशन से बड़े पैमाने पर लोगों को फायदा होगा।

मूल लेखः हिमांसु नित्नावरे

संपादनः अर्चना दुबे

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