बांस और कचरे से महज़ 4 महीने में बनाया सस्ता, सुंदर और टिकाऊ घर

घर में ग्राउंड फ्लोर को मिलाकर कुल दो फ्लोर हैं और हर फ्लोर में दो लेवल हैं। साथ ही इस निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली 90 प्रतिशत सामग्री रिसाइकल्ड है।

म सभी एक ऐसे सुंदर मकान का सपना देखते हैं जिसे हम अपना घर कह सकें। यह शायद एक ऐसी आकांक्षा है जिसके लिए हम ईमानदारी से काम करते हैं। हालांकि घर बनाने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं लेकिन आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक आदर्श घर बनाने की प्रक्रिया में आप पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाएं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, निर्माण क्षेत्र में दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन का लगभग 25 से 40 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है! रिसर्च से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के 50 प्रतिशत और लैंडफिल कचरे के 50 प्रतिशत के लिए ये निर्माण प्रक्रियाएं ही जिम्मेदार हैं।

इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र 40 प्रतिशत पेयजल प्रदूषण और 23 प्रतिशत वायु प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है।

Eco-Friendly Sustainable Home
Inside the sustainable home which is built on a bamboo structure and 90 per cent of recycled material

लेकिन, तिरुवनंतपुरम के आर्किटेक्ट आशम्स रवि, अपने घर के निर्माण में इन सभी पूर्व धारणाओं को खत्म करते हैं। टूटी हुई इमारतों की ईंट और दरवाजे इकठ्ठा करके साथ ही रिसाइकल्ड सामग्री जैसे कि बोतल आदि का उपयोग करके उन्होंने अपना ग्रीन होम बनाया है।

घर को बनाने में इको-फ्रेंडली तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है साथ ही साथ कार्बन फुटप्रिंट को न्यूनतम रखने की कोशिश की गई है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि यह घर चार महीने के भीतर बनकर तैयार हुआ था!

एक आर्किटेक्ट के रूप में अब तक उन्होंने कई टिकाऊ इमारतों का निर्माण किया है लेकिन जब अपना घर बनाने की बारी आयी तो उन्होंने इसे प्राकृतिक रंग रूप देने की कोशिश की। आशम्स रवि तिरुवनंतपुरम में COSTFORD के साथ एक आर्किटेक्ट के तौर पर काम करते हैं।

Ashams Ravi is a practising architect with COSTFORD in Thiruvananthapuram. It took him only four months to build his own home.

27 वर्षीय आशम्स बताते हैं, “2018 में केरल में बाढ़ और भूस्खलन वाली आपदा देखने के बाद मैंने तभी यह सोच लिया था कि मैं ऐसा घर बनाऊंगा जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान ना पहुंचें। हमने पिछले साल की शुरुआत में जमीन खरीदी थी और अप्रैल 2019 में निर्माण शुरू कर दिया था। अगस्त तक हमने निर्माण से जुड़े कामों को पूरा कर लिया था।”

टिकाऊ घर कैसे बनाया गया

2500 वर्ग फीट का यह घर एक 5662.8 वर्ग फुट के प्लाट पर बना है। यह बताना बहुत महत्वपूर्ण है कि वह इस बात को लेकर कितना सचेत थे कि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने घर के निर्माण की पूरी प्लानिंग की।

Eco-Friendly Sustainable Home
The view of the house from the front. It has been named, ‘Canaan’, which in the Bible means the ‘promised land’.

आशम्स बताते हैं, “जिस ज़मीन को हमने खरीदा है, वह थोड़ा ढलाव ली हुई थी मतलब कि समतल नहीं थी। इसलिए हमने मिट्टी को खोदकर पहले इसे समतल बनाया फिर निर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। इसके अलावा, प्लाट के बीच में ही एक बड़ा महोगनी का पेड़ था लेकिन इसे काटने की बजाय हमने पेड़ के चारों ओर निर्माण किया और यह अब पेड़ हमारे घर का एक हिस्सा है।

घर में ग्राउंड फ्लोर को मिलाकर कुल दो फ्लोर हैं और हर फ्लोर में दो लेवल हैं। साथ ही इस निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली 90 प्रतिशत सामग्री रिसाइकल्ड है।

उन्होंने बताया, “हमने ध्वस्त और खराब हो चुकी बिल्डिंग के मटेरियल को दोबारा इस्तेमाल करने के बारे में सोचा और इस तरह किसी और का कबाड़ हमारे लिए एक खजाना बन गया। इन जगहों से मैंने लकड़ी, मैंगलोर पैटर्न की टाइलें, ईंटें और पत्थर जैसी सामग्री हासिल की। सीमेंट का इस्तेमाल बहुत ही कम किया गया है क्योंकि खदान में चूना पत्थर के उत्पादन से लेकर सीमेंट बनने तक की प्रक्रिया में बहुत अधिक कार्बन फुटप्रिंट हो जाता है।”

Beer and alcohol bottles have been upcycled to make lampshades and walls.

घर की आधारभूत संरचना के लिए हमने बांस जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया। रिसर्च के अनुसार, स्टील की 23,000 पाउंड प्रति वर्ग इंच की तुलना में बांस की 28,000 पाउंड प्रति वर्ग इंच की टेंसाइल स्ट्रेंथ या मजबूती अधिक है। आशम्स का कहना है कि बांस खरीदने से स्थानीय जनजातियों को भी वित्तीय सहायता का लाभ मिलता है।

उन्होंने बताया, “हमने बांस के साथ बोरेक्स का इस्तेमाल किया। इसी तरह, हमने नारियल के पेड़ों के तनों को काटकर उनका इस्तेमाल किया। इन तनों का इस्तेमाल घर के खंभे बनाने में किया गया। घर के चारों ओर लैंपशेड बनाने के लिए बीयर की बोतलों का इस्तेमाल किया गया है। घर में एक पूरी दीवार ऐसे है जिसे रिसाइकल्ड बीयर की बोतलों से बनाया गया है और इसके प्लास्टर में मिट्टी और चूने का इस्तेमाल किया गया है।”

These windows have been made using discarded iron rods from construction sites with bicycyle parts incorporated in the middle

आशम्स ऐसे कई लोगों से जुड़े हुए हैं जो ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों की सामग्रियां बेचते हैं । इस वजह से वे कुछ शाही शानो शौकत चीजें पाने में भी सफल रहे जिससे उनके घर की सुन्दरता में और चार चाँद लग गए ।

वह बताते हैं, “त्रावणकोर के दीवान का महल पहले निजी स्वामित्व में था और जब बाद में इसे ध्वस्त कर दिया गया, तो मैंने इस स्थल का दौरा किया। मुझे एक बड़ा दरवाजा मिला, जिस पर लगा पेंट ख़राब हो चुका था। इसलिए मैंने उस पर बचे खुचे पेंट को हटाया और अब यह हमारे घर का मुख्य दरवाजा है। इसके अलावा, लकड़ी के फ्रेम वाली एक बड़ी खिड़की थी, उसका भी पेंट ख़राब हो चुका था। रेलिंग से जब हम लोगों ने पेंट हटाया तो पता चला कि वे पीतल के बने थे। इसलिए मैंने इसे ऐसे ही रहने दिया क्योंकि पीतल में जंग लगने का कोई खतरा नहीं है।

Eco-Friendly Sustainable Home
The house has multiple levels because the land has a slight slant and hence, there are staircases around the house. (Right) The floors with beautiful terracotta tiles

आशम्स ने तमिलनाडु में मनाए जाने वाले पोंगल वाली दौड़ में इस्तेमाल होने वाले एक बड़े से हॉर्स कार्टव्हील (पहिया) का जुगाड़ कर लिया। इस पहिए का इस्तेमाल घर की एक खिड़की के फ्रेम के रूप में किया गया है। घर के फर्श में टेराकोटा टाइल्स और ब्लैक ऑक्साइड का इस्तेमाल किया गया है। सबसे ऊपरी फ्लोर पर एक बड़ा सा हॉल है जिसका निर्माण पारिवारिक समारोहों के लिए किया गया है। इसका फर्श गाय के गोबर से बनाया गया है और उसके ऊपर बहुत कम सीमेंट में भिगोए गए बांस के स्लैब और जूट के बोरों की परत बनाई गई है।

घर के चारों ओर संरक्षण और प्रबंधन

निर्माण सामग्री और टिकाऊ सामग्री का उपयोग करने के अलावा यह भी सुनिश्चित किया गया कि घर बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक ऐसी हो जिसमें सभी संसाधनों का उचित उपयोग किया जाए।

The water tank that has been constructed in the courtyard

उदाहरण के लिए ‘रैट ट्रैप बॉन्ड’’तकनीक ही लें जिसमें दीवार के भीतर एक खोखली जगह बनाने के लिए ईंटों को सीधा लंबवत रखा गया। इस तकनीक में न केवल कम ईंटें इस्तेमाल हुई बल्कि राजगीरी की लागत भी 30 प्रतिशत तक कम हो गयी।

वह बताते हैं, “इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक थर्मल इन्सुलेटर के रूप में कार्य करता है, जिसका मतलब है कि गर्मियों के मौसम में अंदर ठंडक रहेगी और सर्दियों में गर्मी। “गर्मियों के मौसम में रात में यह 3 डिग्री तक ठंडा हो जाता है और हमें पंखा चलाने की जरुरत नहीं पड़ती है. इससे बिजली की भी बचत होती है। “

दीवार पर लगे ईंट के बारे में उन्होंने कहा कि दरअसल प्लास्टर ईमारत या दीवार की मजबूती को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं देता है इसलिए हमनें दीवारों पर प्लास्टर नहीं किया।

घर में एक बेडरूम

A bedroom in the house

घर में एक बायोडाइजेस्टर भी बनाया गया है जिसका उपयोग रसोई के कचरे को खाद बनाने के लिए किया जाता है। टॉयलेट से निकलने वाले कचरे को भी इस बायोडाइजेस्टर (सेप्टिक टैंक के बजाय) से जोड़ दिया गया है।

घर का आंगन ऐसे बनाया गया गया है जिससे हवा की आवाजाही (वेंटिलेशन) और बढ़ जाए। इस आंगन का इस्तेमाल मिलने जुलने और त्योहारों का जश्न एक साथ मनाने के लिए कर सकते हैं। चूँकि प्लाट एक तरफ थोड़ा झुका हुआ था तो आशम्स ने इसमें भी कुछ अलग करने का सोचा।

Arches and open spaces around the house ensure ventilation. While, on the right family pet Eva is hanging out and resting by the window made from a repurposed horse cartwheel

नीचे की ओर ढलान वाली जगह पर एक पानी की टंकी बनाई गई है जिससे बारिश के पानी को संरक्षित किया जा सके। मानसून के दिनों में ओवरफ्लो के कारण पानी बर्बाद ना हो इसके लिए उसमें एक निकासी छेद बनाया गया है जो वहां से पानी को बाहर खुली मिट्टी वाली जगह पर निकाल देता है और इस तरह उस हिस्से को पर्याप्त पानी मिल जाता है।

वह बताते हैं, “हमने 5 फीट का गड्ढा खोदा और इसे नेचुरल लुक देने के लिए हमने ईंटों और टूटी टाइलों को प्रयोग किया। इसे मिट्टी की 5 इंच मोटी परत से ढक दिया। फिर हमने उस पर एक ख़ास किस्म की घास और अरारोट का पौधा लगाया, जिससे एक कृत्रिम वेटलैंड बनाया जो जमीन के निचले हिस्से तक पानी पहुंचाने में मदद करता है। ”

COSTFORD का प्रभाव

Ashams and his family

युवा आर्किटेक्ट ने द सेंटर ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी फॉर रूरल डेवलपमेंट (COSTFORD) से निर्माण संबंधी तकनीक सीखा है। पिछले तीन साल से वह इस संगठन के साथ काम कर रहे हैं और अब पूर्णकालिक रूप से उनके साथ जुड़ गए हैं। 2017 के मध्य में, उन्होंने नागपट्टिनम के प्राइम कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग से स्नातक किया।

COSTFORD एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1985 में केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, सी.अच्युत मेनन, इकोनॉमिक्स एंड सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के अध्यक्ष डॉ. केएन राज, सामाजिक कार्यकर्ता टीआर चंद्रदत्त और प्रसिद्ध वास्तुकार लॉरी बेकर द्वारा की गई थी।

Beautiful patterned tile floor

वास्तुकला इस संगठन के संचालन के केंद्र में है और वे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) जैसे ग्रामीण विकास योजनाओं के तहत वंचितों के लिए स्थायी घर बनाते हैं। वे उन लोगों के साथ भी काम करते हैं जो पैसे देकर अपने घरों के डिजाईन और निर्माण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करना चाहते हैं।

ग्रीन हाउस बनाने और इससे संबंधित अन्य चीजों में आने वाली मुश्किलें

वैसे तो यह घर चार महीने में ही बन गया, लेकिन इसे बनाना इतना आसान भी नहीं था।

Instead of chopping down the tree, they made it a part of the house

वह बताते हैं, “मुझे लगता है कि प्रमुख चुनौतियों में से एक यह था कि हमने वास्तव में कागज पर कोई अंतिम योजना नहीं बनाई थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि हम लगातार उन वस्तुओं के आधार पर घर के कुछ हिस्सों को संशोधित और डिजाइन कर रहे थे जो हमें ध्वस्त हो चुके इमारतों से मिलते जा रहे थे। इसलिए हमें जो भी करना था जल्दी ही करना था। ”

इन सबके बावजूद उन्होंने एक ऐसा घर बनाया जो अब कई लोगों की नज़र में आ चुका है। इन लोगों में से एक तिरुवनंतपुरम से बाहर रहने वाले 26 वर्षीय ध्रुपद संगीतकार अरविंद मोहन थे, जो एक इको-फ्रेंडली घर बनाना चाहते थे और उन्होंने इस सिलसिले में COSTFORD से संपर्क किया। आशम्स उनके प्रोजेक्ट पर काम करने वाले मुख्य आर्किटेक्ट बन गए।

The prayer room (left). There are spaces around the house where one can sit by the window and read

एक दिन, जब अरविंद ने आशम्स के घर का दौरा किया, तो यह घर देखकर वो पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गए।

अरविंद कहते हैं, “इस घर में इस्तेमाल की गई कई चीजों और तकनीकों को उनकी बिल्डिंग के निर्माण योजना में भी शामिल किया गया है। लेकिन एक चीज जो मुझे सबसे अधिक पसंद आयी वो थी आंगन …और इसलिए मैंने उनसे कहा भी कि मुझे अपने घर में भी बिल्कुल ऐसा ही आंगन चाहिए। मेरा घर भी ध्वस्त और जर्जर हो चुकी इमारतों से मिली सामग्री का उपयोग करके बनाया गया है। मैं एक ऐसा घर चाहता था जो पर्यावरण के अनुकूल हो और प्रकृति के आसपास बना हो। मुझे खुशी है कि मैंने जो चाहा था वो अब मुझे मिल रहा है।”

Eco-Friendly Sustainable Home
The open space at the top most part of the house where family members gather and celebrate different occasions. (On the right) A hallway, around the house

आशम्स खुश हैं कि कई ग्राहकों और लोगों ने उनके इस घर में रुचि दिखाई है और उनके घर से प्रेरित हुए हैं।

वह कहते हैं, “हम कोई भी काम करने जाए, एक बात हमें याद रखनी चाहिए कि जितना हो सके पर्यावरण का ख्याल रखें और प्रकृति को कम से कम नुकसान पहुंचाएं। हमें यह याद रखना चाहिए कि धरती मां कोई ऐसी चीज नहीं है जो हमें हमारे पूर्वजों द्वारा दी गई है, बल्कि कुछ ऐसा है जिसे हमें भविष्य के लिए बचाकर रखना है। हमें ग्रह को स्वच्छ और बेहतर बनाये रखने के लिए हमें अपने लालच को छोड़ने की जरूरत है।”

Eco-Friendly Sustainable Home
A sitting area at the top which serves as a verandah

यह भी पढ़ें: घर को बनाया प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल ताकि पक्षी बना सके अपना बसेरा!

मूल लेख: अंगारिका गोगोई


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X