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8 अनोखे सस्टेनेबल होम, जो दिखाते हैं कि बिजली और पानी के बिलों को कैसे किया जाए कम

sustainable & green homes

क्या आप भी बढ़ते बिजली और पानी के बिल से परेशान हैं? हम आपकी टेंशन थोड़ी कम कर देते हैं। हम यहां देश भर में बनाए गए सस्टेनेबल घरों की एक लिस्ट लेकर आए हैं, जहां कुछ ऐसे नए तरीके अपनाए गए हैं जिससे बिजली और पानी का बिल काफी कम आता है।

अक्सर ऐसा माना जाता है कि जब हम सस्टेनेबल या ग्रीन हाउस (Green House) बनाते हैं, तो वहां कई तरह का रिस्क होता है। इतना ही नहीं कई लोग यह भी मानते हैं कि ऐसे घरों में सुविधाएं और आराम के साथ समझौता भी किया जाता है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है। आज देश भर में नई तकनीक और तरीके का इस्तेमाल करते हुए ऐसे कई सस्टेनेबल घर बनाए गए हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल भी हैं, सारी सुविधाएं भी मौजूद हैं और कई जगह तो पानी-बिजली का बिल भी नहीं भरना पड़ता है।

कई घरों में सोलर एनर्जी, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और तमाम तरह के पैसिव वेंटिलेशन और सोलर विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे इन घरों में ऊर्जा का बेहतर तरीके से इस्तेमाल होता है, चीजों का नुकसान भी कम होता है और बिल में भी कटौती होती है।

यहां हम देश भर से ऐसे आठ घरों की लिस्ट लेकर आए हैं, जहां कई अनोखी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और बिजली व पानी का बिल भी बिल्कुल नहीं या फिर नाम मात्र के लिए भरना पड़ता है। 

1. अमरेली में अनोखा घर (Green House) जहां पानी व बिजली का नहीं आता बिल

Kanubhai Karkare's Green House in Amreli
Kanubhai Karkare’s house in Amreli

अमरेली में शिक्षा विभाग के एक अधिकारी, कनुभाई करकरे ने साल 2000 में एक सस्टेनबल घर बनाया है। इस घर को डिज़ाइन भी कनुभाई ने ही किया है और इसे बनाने में 2.8 लाख रुपये का खर्च आया।

पहली नज़र में, यह घर किसी भी कंक्रीट की आम इमारत जैसा लग सकता है। लेकिन अगर इसे गौर से देखा जाए, तो इस घर में  कई तरह की अनोखी सस्टेनेबल विशेषताएं दिखाई देंगी।

क्या है अलग?

  • इस घर में 20,000-लीटर क्षमता का एक अंडरग्राउंड पानी का टैंक बनाया गया है, जो मॉनसून के समय बारिश के पानी को स्टोर करता है। आंगन में 8,000 लीटर क्षमता की एक और पानी की टंकी लगाई गई है, जिससे बागवानी और अन्य गैर-घरेलू काम किए जाते हैं। अतिरिक्त बारिश के पानी को इकट्ठा किया जाता है और इससे भूजल तालिका (underground table ) को रिचार्ज किया जाता है।
  • घर में सीवेज के पानी को रिसाइकिल किया जाता है। रिसाइकिल किया गया पानी किचन गार्डनिंग या दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  • घर में 3 kW की सोलर एनर्जी यूनिट है, जो घर की सभी बिजली की जरूरतों को पूरा करती है। अतिरिक्त बिजली, यहां के बिजली उपयोगिता कंपनी को भेजी जाती है, जहां से वह 10,000 रुपये कमाते हैं।

2. गोवा का यह घर पूरी तरह से हाइब्रिड सोलर एनर्जी से चलता है

Green House : Madhusudhan Joshi's house in Panaji
Madhusudhan Joshi’s house in Panaji

गोवा कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रोफेसर मधुसूदन जोशी के लिए सस्टेनेबल घर (Green House) बनाना केवल एक सपना नहीं था। उनके लिए यह रिन्यूएबल एनर्जी से संबंधित पाठ को व्यवहार में लाने का एक तरीका था, जो उन्होंने अपने छात्रों को पढ़ाया था। 2018 में, उन्होंने पणजी में एक सस्टेनेबल घर बनाया, जो पूरी तरह से सोलर एनर्जी से चलता है। इस घर में एक अनोखे हाइब्रिड सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है।

क्या है अलग?

  • ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम के विपरीत, वास्को-आधारित कंपनी की मदद से ‘सोलर 360’ नाम का एक हाइब्रिड सोलर एनर्जी सिस्टम स्थापित किया गया है। इस सिस्टम में, सूरज से उत्पन्न ऊर्जा को पहले बैटरी में स्टोर किया जाता है। इसके बाद, अगर यह घर की ज़रूरत से ज्यादा होती है, तो इसे ग्रिड को निर्यात किया जाता है और सरकार उत्पन्न इकाइयों की संख्या के आधार पर मुआवजे की पेशकश करती है।
  • सोलर पैनल लगाया गया है, जो छत पर 11 किलोवाट बिजली उत्पन्न कर सकता है। उत्पन्न ऊर्जा, चार 15-वोल्ट बैटरीज़ से जुड़ा हुआ है, जो आगे एक इन्वर्टर के माध्यम से घर में ऊर्जा की आपूर्ति करता है। इस सिस्टम को स्थापित करने की लागत 5,80,000 रुपये है।

3. बेंगलुरू का एक घर (Green House) जिसमें हैं बेहतरीन सस्टेनेबल सुविधाएं

Vishwanath and Chitra's green house in Bengaluru
Vishwanath and Chitra’s house in Bengaluru

साल 2019 में, विश्वनाथ और चित्रा ने मिलकर बेंगलुरु के विद्यारण्यपुरा में अपना सस्टेनेबल घर बनाया। विश्वनाथ एक सिविल इंजीनियर और अर्बन व रिजनल प्लानर हैं। जबकि चित्रा एक आर्किटेक्ट हैं। इस दो मंजिला घर को विभिन्न इको-फ्रेंडली सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया है। इसके अलावा, इस घर के लिए दोनों ने कई तकनीक अपनाई है, ताकि ऊर्जा, पानी और सामग्री जैसे प्राकृतिक संसाधनों का कम इस्तेमाल हो। 

क्या है अलग?

  • इस घर को स्टेब्लाइज्ड अर्थ ब्लॉक का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जो साइट के खुदाई के दौरान निकाली गई थीं। इसके अलावा, छत के सतह को ठंडा रखने के लिए वहां के कुछ हिस्सों पर कृषि कचरे से बनी शीट का इस्तेमाल किया है।
  • प्राकृतिक हवा और रोशनी के लिए, घर के डिजाइन में दरवाजों के बजाय खुले आर्क बनाए गए हैं। इसके अलावा, ग्राउंड लेवल पर बेसमेंट खिड़कियां बनाई गई हैं, जो अंदर की हवा को ठंडा रखती हैं और रूफटॉप गार्डन घर को ठंडा करने में मदद करता है।
  • सोलर एनर्जी से पूरे घर को बिजली मिलती है। दूसरे घरों की तुलना में इस घर के बिजली का बिल ¼ कम आता है। बैकअप के तौर पर पानी गर्म करने और खाना पकाने के लिए बायोमास हीटर भी लगाए गए हैं।
  • रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हर साल करीब एक लाख लीटर बारिश के पानी को स्टोर करने में मदद करता है। पीने और खाना पकाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी को ‘लाइफलाइन वॉटर’ कहा जाता है। यह पानी, पास के ही साफ तलाब से सीढ़ी वाले कमरे के माध्यम से आता है। यहां एक रिचार्ज कुआं भी है, जो स्टॉर्मवॉटर ड्रेन से जुड़ा है।

4. बेंगलुरू का अनोखा सस्टेनेबल घर

Rajesh and Vallari Shah's green house in Bengaluru
Rajesh and Vallari Shah’s house in Bengaluru

राजेश और वल्लारी शाह, 2007 में अमेरिका से भारत वापस आए। इन दोनों का मकसद संसाधनों के अधिक उपयोग पर निर्भरता को कम करना था। वह लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहते थे, जिससे संसाधनों पर कम निर्भरता हो। काफी सोच-विचार के बाद, उन्होंने बेंगलुरू के व्हाइटफील्ड में प्रेम और अहिंसा के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए एक ग्रीन होम बनाया।

क्या है अलग?

  • घर में 3KW की क्षमता वाले 18-सोलर पैनल सिस्टम लगाए गए हैं। माइक्रोवेव और वॉटर पंप के अलावा, बाकी उपकरण सोलर पावर से चलते हैं।
  • इस घर (Green House) में रहनेवाला परिवार अपने घर में पानी की एक-एक बूंद को सहेजता है या उसका फिर से इस्तेमाल करता है। इसलिए उन्होंने रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम भी अपनाया है। छत से बारिश का पानी पाइपों के माध्यम से आता है, जिसे एक रेत के बेड फिल्टर के ज़रिए छाना जाता है और 30,000 लीटर की क्षमता वाले तीन अंडरग्राउंड स्टोरेज टैंकों में जमा किया जाता है। यह पानी साल के नौ महीने के लिए पर्याप्त होता है और बाकि के तीन महीनों के लिए वे पब्लिक वॉटर सप्लाई का इस्तेमाल करते हैं। 
  • नीचे के बगीचे के लिए ग्रेवॉटर का उपयोग किया जाता है।
  • यहां एक फ्रंट लोडर वॉशिंग मशीन है, जिसमें आम मशीनों की तुलना में कम पानी का इस्तेमाल होता है। यहां 60 के बजाय 40 लीटर पानी का उपयोग होता है और हर बार कपड़े धुलने के बाद, ग्रेवाटर को बाथरूम में फ्लश के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

5. प्रकृति से जुड़ा सूरत का घर (Green House) 

Green House : Snehal Patel's house in Surat
Snehal Patel’s house in Surat

सूरत के मैकेनिकल इंजीनियर स्नेहल पटेल के लिए यह हमेशा एक सपना था कि वह एक ऐसा घर बनाएं, जो रोज़मर्रा की भागदौड़ से दूर हो। जब उन्होंने अपने सपनों का घर बनाया, तो उन्होंने प्रकृति के करीब घर बनाने की पूरी कोशिश की।

क्या है अलग?

  • कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए उन्होंने ऑफ-ग्रिड जाने का फैसला किया। इसलिए, घर की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 7.5 किलोवाट की क्षमता वाला एक सोलर पैनल सिस्टम स्थापित किया गया है।
  • सोलर पैनल एक एंगल पर स्थापित किया गया है और सीधा छत पर रखा गया है, इसलिए वे ज्यादा से ज्यादा सौर ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। मानसून में, सोलर उत्पादन कम हो सकता है इसलिए घर में एक विंड जनरेटर स्थापित किया गया है।
  • छत पर एक पानी का टंकी लगाई गई है, जिसमें कपड़े का फिल्टर लगा है। इस टंकी में बारिश का पानी स्टोर किया जाता है और इसका इस्तेमाल रसोई और बाथरूम के नल में किया जाता है। एक बार छत पर पानी की टंकी भर जाने के बाद, पानी एक चैनल के माध्यम से नीचे बहता है और ग्राउंड फ्लोर पर दूसरे टैंक से जुड़ जाता है, जिसमें 2 लाख लीटर पानी जमा होता है।
  • दूसरी ओर, वॉशिंग मशीन से ग्रेवॉटर मशीन के नीचे एक टैंक में एकत्र किया जाता है। एक पंप और एक पाइप लाइन की मदद से इस पानी का उपयोग घर के टॉयलेट फ्लश में किया जाता है।

6. केरल का यह घर रहता है ठंडा और बिजली बिल भी आता है कम

Amrutha Kishor's green house in Kottayam
Amrutha Kishor’s house in Kottayam

यह घर (Green House) मैंगलोर-टाइल रूफ बंगला त्रावणकोर की पारंपरिक आर्किटेक्चर से प्रेरित है। घर में बड़ी-बड़ी खिड़कियों के साथ भरपूर जगह है।

इस घर में आधुनिक डिजाइन तकनीकों के साथ, प्राकृतिक लाइट वेंटिलेशन के स्थानीय कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल किया गया है।

क्या है अलग?

  • घर में ऊंची छतें और बड़ी आकार की खिड़कियां हैं।
  • फिजिक्स के सिद्धांत के आधार पर सिढ़ियों के साथ एक विंड टावर बनाया गया है, जिसे ‘स्टैक इफेक्ट’ कहा जाता है। इसमें हवा को संचालित करने के लिए तापमान अंतर का उपयोग किया जाता है। गर्म हवा अपने लो प्रेशर विशेषताओं के कारण ऊपर उठती है। चार मुंह वाला टॉवर इस गर्म हवा को पकड़ लेता है और इसे बाहर छोड़ देता है।
  • शौचालय और कमरे के बीच एग्जॉस्ट पंखे लगाए गए हैं, ताकि वे गंध के साथ-साथ गर्म हवा को भी सोख सकें।
  • 0.6 मीटर की सामान्य शेडिंग के विपरीत संरचना के प्रत्येक तरफ छत 1.5 मीटर तक फैली हुई है। उभरी हुई छतें घर को पर्याप्त छाया देती हैं और सूरज के प्रकाश को सीधा अंदर आने से रोकती हैं।
  • छत पर मैंगलोर टाइलों का उपयोग किया गया है, जिसमें इन्सुलेशन क्षमता ज्यादा होती है और इस तरह ऊर्जा की खपत को नियंत्रण में रखा जाता है।

7. फरीदाबाद के इस अनोखे मिट्टी के घर में नहीं है एसी

Veena Lal's mud house in Faridabad
Veena Lal’s mud house in Faridabad

वीना लाल फरीदाबाद में ‘कर्मा मार्ग’ नाम का एक एनजीओ चलाती हैं। वीना ने मुंबई के रहनेवाले युवा आर्किटेक्ट, अमोल मानेकर की मदद से अपने लिए एक इको-फ्रेंड्ली घर (Green House) बनाया है। 1,800 वर्ग फुट में बना यह सस्टेनबल मड हाउस बहुत कम ऊर्जा की खपत करता है और इस घर की खास बात यह भी है कि इसमें पानी का कोई कनेक्शन नहीं है।

क्या है अलग?

  • इमारत की बाहरी संरचना को धूप में पकी हुई ईंटों से बनाया गया है, जिस पर मिट्टी का प्लास्टर किया गया है। इससे घर को इन्सुलेशन की एक अतिरिक्त परत मिलती है और यह घर को हर समय ठंडा रखने में मदद करता है।
  • घर में स्थानीय रूप से बनने वाले लाल मिट्टी की टाइलों का भी इस्तेमाल किया गया है। छत को इन टाइलों के साथ पक्का किया गया है और फर्श को बड़े पत्थरों से बनाया गया है, जो घर के आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • घर में सूखे शौचालय का इस्तेमाल होता है, जिसमें पानी या फ्लश का उपयोग नहीं होता है।
  • वीना के घर के बगल में ही उनका एनजीओ है, जो पूरी तरह से सोलर एनर्जी से चलता है। अपना घर बनाने के बाद, वीना ने दोनों बिल्डिंग के सिस्टम को एकीकृत किया है, जिससे दोनों बिल्डिंग की सारी सुविधाएं सोलर एनर्जी से चलती हैं। 

8. सोलर एनर्जी के साथ तमिल नाडु का यह घर हर महीने 70 % ऊर्जा बचाता है

Balasunda Kaushikan's house in Theni, Kerala
Balasunda Kaushikan’s house in Theni, Kerala

बेंगलुरू के एक आर्किटेक्ट बालासुंडा कौशिकन ने जीरो-वेस्ट कॉन्सेप्ट के आधार पर, तमिल नाडु के थेनी में अपने गांव में अपने सपनों का घर बनाया है। इस सस्टेनेबल घर को बनाने में 55 लाख रुपये का खर्च आया है। इसके अलावा, उनके घर में कई स्थाई प्रथाओं का पालन किया जाता है, जो ऊर्जा की खपत और पानी की बर्बादी को कम करते हैं।

क्या है अलग?

  • बायोडाइजेस्टर टैंक मानव अपशिष्ट को पानी में बदल देता है, जिसका उपयोग बागवानी के लिए किया जाता है। इसके अलावा उत्पादित मीथेन गैस का उपयोग रसोई में किया जाता है।
  • इस घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और रेन वॉटर रिचार्ज कुआं भी है। कुएं में 10,000 लीटर तक पानी जमा किया जा सकता है। टैंक से सटा एक और कुआं है, जो इससे बहने वाले अतिरिक्त बारिश के पानी को इकट्ठा करता है, जो बदले में भूजल स्तर को रिचार्ज करने में मदद करता है।
  • घर के ठीक बीच में एक बड़ा आंगन है, जहां से घर के हर कोने तक प्राकृतिक रोशनी पहुंचती है और साथ ही घर को ठंडा रखने में भी मदद करता है।
  • घर में रहने वाला परिवार, वॉशिंग मशीन, मिक्सर ग्राइंडर आदि जैसे कुछ भारी उपकरणों को छोड़कर हर चीज़ के लिए सोलर एनर्जी का उपयोग करते हैं।

मूल लेखः अंजली कृष्णन

संपादनः अर्चना दुबे

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