Placeholder canvas

बंगलुरु: ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए स्नैक्स पहुंचाए शहरों तक, बेचीं 20 लाख देसी कैंडी

Bengaluru Startup Go Desi

बंगलुरु में रहने वाले विनय कोठारी ने साल 2018 में अपने स्टार्टअप, गो देसी की शुरुआत की, जो आज इमली पॉप्स के लिए अच्छा-ख़ासा ब्रांड बन चुका है!

यह कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने ग्रामीण इलाके के उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। अपनी नौकरी छोड़कर इस युवा ने ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग शुरू की।

यह प्रेरक कहानी बेंगलुरू के 34 वर्षीय विनय कोठारी की है, जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए पारंपरिक और स्वस्थ स्नैक्स बेचने के लिए अपनी मार्केटिंग की नौकरी छोड़ दी। आज उनकी पहचान एक उद्यमी के तौर पर है और उनकी कंपनी, ‘गो देसी’ पूरे भारतभर में नाम कमा रही है।

साल 2017 में, विनय कोठारी वेस्टर्न घाट्स के मलनद क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए गए थे, जहाँ पहली बार उन्हें बिज़नेस आईडिया आया। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “जब हम ट्रेक से लौटकर आए तब मैंने एक चाय की टपरी पर इन कटहल की बनी बार/स्नैक को खाया। इन्हें स्थानीय कटहल से एक स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाया गया था। ये प्रेजर्वेटिव फ्री थे और स्वाद भी बहुत अच्छा था। मैं सोच में पड़ गया कि ये सब चीजें अर्बन मार्किट में क्यों नहीं मिलती।”

अगले ही दिन, उन्होंने स्थानीय लोगों से 30 किलो उत्पाद खरीदे और बेंगलुरू में चित्रकला परिषद में फ्ली मार्किट में स्टॉल लगाया। उन्होंने कहा, “हमने तीन दिनों के लिए स्टॉल बुक किया था, लेकिन हमारे उत्पाद पहले दिन की दोपहर तक बिक गए। इससे हमने अंदाज़ा लगाया कि पारंपरिक क्षेत्रीय उत्पादों की बड़ी मांग है। इसी समझ के आधार पर गो देसी की स्थापना की गई थी।”

गो देसी एक पैकेज्ड फूड ब्रांड है जिसे मार्च 2018 में विनय द्वारा स्थापित किया गया था। इसके ज़रिए वह क्षेत्रीय स्वाद से भरपूर उत्पाद बना रहे हैं।

 

Bengaluru Startup Go Desi
Vinay Kothari

विनय और उनकी टीम का उद्देश्य था कि उनके उत्पादों में लोकल स्वाद हो और इसलिए उन्हें ऐसे उद्यमी तलाशने थे जो इस तरह के स्नैक्स बना रहे हैं। इसलिए उन्होंने अपनी तलाश शुरू की और इस प्रक्रिया में देशपांडे फाउंडेशन ने मदद की। वक़्त के साथ विश्वास बढ़ा, और धीरे-धीरे गहरा हुआ क्योंकि उद्यमियों को फायदा मिलना शुरू हुआ। गो देसी के साथ काम करते हुए आज ये उद्यमी लगभग 25% मुनाफा कमा रहे हैं।

देशपांडे फाउंडेशन और कदंब सहकारी ने भी गो देसी को स्थानीय लोग खोजने में मदद की, जिससे उन्हें अपनी यूनिट्स स्थापित करने में मदद मिली। आज, उनके अधिकांश ऑपरेशन सिरसी से बाहर हैं, और कर्नाटक में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उनकी छह छोटी यूनिट्स भी हैं।

“हमारे सभी उत्पाद ‘बिल्कुल वैसे’ ही हैं, इसका अर्थ है कि ये स्नैक्स स्थानीय रूप से ऐसे स्थानीय लोगों द्वारा स्वदेशी सामग्री से बनाए जाते हैं जिन्हें स्थानीय स्वाद, फ्लेवर और सामग्री के बारे में जानकारी है, और वह गो देसी उत्पादों को एक अद्वितीय प्रामाणिकता देते हैं,” उन्होंने बताया। साथ ही वह कहते हैं कि अपने ग्राहकों को अपनी जड़ों से जोड़ने के साथ-साथ वह ग्रामीण उद्यमियों को आगे बढ़ने और उन्हें बड़े पैमाने तक पहुँचने में सक्षम बनाने में मदद करते हैं।

इस स्टार्ट-अप द्वारा इमली (इमली) पॉप्स, कटहल बार, नींबू चाट, सूखे केला, जैसे उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचाया जा रहा है।

इनमें से सबसे ज्यादा बिकने वाली इमली पॉप है। विनय का दावा है कि अब तक इनमें से 20 लाख से अधिक कैंडी बेची जा चुकी हैं। मांग इतनी अधिक है कि छह छोटी इकाइयों में से उनके पास तीन में केवल इमली पॉप का निर्माण होता है!

 

Bengaluru Startup Go Desi
Their Team

एक गृहिणी, 37 वर्षीय जेनेट ली, अपने इंस्टाग्राम फीड पर ब्राउज़ कर रही थी जब उन्होंने इमली पॉप का विज्ञापन देखा। वह कहती हैं, “मैंने शुरुआत में इन्हें इसलिए खरीदा क्योंकि इससे मुझे अपने स्कूल के दिनों की याद आ गई जब हम स्कूल के बाद इमली की गोलियां खाते थे।” एक बार जब उन्होंने कैंडी खरीदी, तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटियों को ये खूब पसंद आई, और चूंकि सामग्री प्राकृतिक हैं, इसलिए उन्होंने महसूस किया कि यह अन्य कैंडी की तुलना में स्वस्थ विकल्प है।

जेनेट को इस उत्पाद की पैकेजिंग भी काफी पसंद है।

दिलचस्प बात यह है कि जब उनसे चुनौतियों के बारे में पूछा गया, तो विनय ने बताया कि पैकेजिंग को लेकर उन्होंने कई परेशानियों का सामना किया। लेकिन उन्होंने इसे भी पार किया और एक बहुत आकर्षक पैकेजिंग तैयार की। एक और मुश्किल थी, खुदरा विक्रेताओं के पास पहुँचना और उन्हें समझाना। लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी हल किया और जैसे-जैसे उनका काम बढ़ता गया, लोग उनके उत्पादों को पसंद करने लगे।

जेनेट कहतीं हैं कि गो देसी के उत्पादों को खरीदने की एक बड़ी वजह यह भी है कि इन्हें स्थानीय उद्यमियों और महिलाओं द्वारा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में तैयार किया जाता है।

इन क्षेत्रों में अपने संचालन का विस्तार करने के लिए, विनय ने राधाकृष्ण को एक स्थानीय प्रबंधक के रूप में काम पर रखा। क्योंकि उन्हें इस इलाके के बारे में अच्छे से पता था। वह लोगों को यूनिट में काम करने के लिए भर्ती करते हैं, और उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को काम पर रखने पर ध्यान केन्द्रित किया।

35 साल की शिवम्मा, कर्नाटक के सिरसी में गो देसी की यूनिट में काम करने से पहले खेतों में मजदूरी करतीं थीं। उनके लिए चुनौतियों का सामना करना मुश्किल था क्योंकि उनके पति केवल जुलाई से सितंबर के बीच ही मूंगफली उगाते हैं, और उन्हें अन्य महीनों में उन्हें काम ढूंढना पड़ता था। वह उस समय के बारे में कहतीं है जब वह खेतों में मजदूरी करतीं थीं तो महीने में केवल 10 से 15 दिन काम मिलता था और एक दिन में केवल 150 रुपये कमातीं थीं।

 

Bengaluru Startup Go Desi
Making Candies

“मैं अब बहुत अधिक सुरक्षित महसूस करतीं हूँ। न केवल मुझे 25 दिन का गारंटी का रोज़गार मिलता है बल्कि अच्छी आमदनी भी मिलती है। मैं इस पैसे का उपयोग अपने परिवार के लिए कर सकती हूँ,” उन्होंने बताया।

महिलाओं की आमदनी सीधा उनके खातों में जाती है ताकि उनकी मेहनत की कमाई पर उनका ही अधिकार हो। यदि उनके पास खाता नहीं है, तो टीम उन्हें खोलने में मदद करती है।

यह कंपनी 3 लोगों से शुरू हुई थी, विनय, उनकी बहन रक्षा और अखिल (ऑपरेशन हेड) शामिल थे। आज उनकी टीम में 9 मुख्य सदस्य और लगभग 75 लोग हैं जो कंपनी के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं। इनमें से कुल कर्मचारियों में से कम से कम 80 फीसदी महिलाएं हैं।

विनय कहते हैं, “इसके अलावा, हम किसानों के संपर्क में भी हैं, जिनसे हम सीधे सामग्री खरीदते हैं।”

वर्तमान में, हालांकि संचालन कर्नाटक तक सीमित हैं, गो देसी दक्षिण भारत के अन्य शहरों में और उत्तर-पूर्व और मध्य भारत में विस्तार करना चाहते हैं। वह अंत में कहते हैं, “हम देखते हैं कि गो देसी एक ऐसे मंच के रूप में विकसित हो रहा है जो छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी बाजारों तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाता है। हम गो देसी को एक ब्रांड के रूप में देखते हैं, जो देसी उत्पादों को दुनियाभर में ले जा रहा है।”

‘गो देसी’ के बारे में अधिक जानने और सम्पर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें!

मूल लेख – https://www.thebetterindia.com/192419/start-up-jackfruit-snacks-online-desi-local-rural-snacks-women-imli/

संपादन: जी. एन. झा

यह भी पढ़ें: मुम्बई: माँ-बेटी की जोड़ी ने लॉकडाउन के बीच शुरू की होम डिलीवरी सर्विस, हजारों है कमाई

 


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Bengaluru Startup Go Desi, Bengaluru Startup Go Desi, Bengaluru Startup Go Desi, Bengaluru Startup Go Desi

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X