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‘रजनीकांत फैन ग्रुप’ बना ‘सिविल सर्विस गुरु’, फिर हुआ UPSC ई-कोचिंग का कारवां शुरू

देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात होने के बावजूद भी सिविल सर्विस के इन अधिकारियों ने इस ग्रुप के ज़रिए छात्रों को कोचिंग देने का काम करना मुमकिन किया है। इस प्लेटफॉर्म से जुड़ने के लिए छात्र को एक इंटरनेट कनेक्शन के साथ एक लैपटॉप या एक मोबाइल फोन की ज़रूरत होती है। वे कोई भी सवाल पूछ सकते हैं साथ ही परीक्षा की तैयारी करने वाले दूसरे छात्रों से जुड़ सकते हैं और उन लोगों का मार्गदर्शन पा सकते हैं जिन्होंने परीक्षा पास कर ली है।

‘सिविल सर्विस गुरु’ के संस्थापक, बालमुरुगन ने जैसे कि मुझसे उनकी इस अनोखी पहल और रजनीकांत के बीच लिंक का ज़िक्र किया, मैं समझ गई कि कहानी काफी दिलचस्प है।

1997 बैच के एक आईआरएस, बालमुरुगन बताते हैं, “इसकी शुरुआत काफी अनौपचारिक तरीके से हुई। व्हाट्सएप पर ‘रजनी फैन ग्रुप’ बनाया गया और अधिकारियों को इस ग्रुप से जोड़ा गया। इसका मकसद ऑफिस के बाहर एक साथ समय बिताना और तनाव मुक्त होना था। बातचीत के दौरान, हमने जाना कि हममें से हर कोई यूपीएससी का सपना देखने वाले छात्रों की मदद करना चाहता था। और इस तरह  रजनी फैन ग्रुप से ‘सिविल सर्विस गुरु‘ का जन्म हुआ।”

इस बातचीत में, ‘सिविल सर्विस गुरु’ के अन्य सदस्यों के साथ, बालमुरुगन ने अपने कोचिंग प्लेटफॉर्म के बारे में बताया। साथ ही, उन्होंने सिविल सर्विस के उम्मीदवारों के लिए कुछ टिप्स भी दिए।

रजनीकांत फैन क्लब से लेकर सिविल सर्विस गुरु तक

Rajnikanth

 ‘सिविल सर्विस गुरु’ की शुरुआत करीब आठ साल पहले हुई। ग्रुप का गठन अनवरुद्दीन (IFS 1994), बालमुरुगन (IRS 1997), बालासुब्रमण्यम (IFS 1998), मणिवन्नन (IAS 1998), रविचंदर (IRTS 2001), सुधरन (IRTS 2003), एलेक्स पॉल मेनन (IAS 2006), और सलमा फहीम (2006) ने किया था।

दिलचस्प बात यह है कि देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात होने के बावजूद भी अधिकारियों ने इस ग्रुप के ज़रिए काम करना मुमकिन किया है।

बालमुरुगन बताते हैं, “लॉजिस्टिक मुद्दों से निपटने के लिए हमने वर्चुअल बनने का निर्णय लिया। लेकिन हमारे सामने एक और समस्या थी, ज्यादातर वर्चुअल क्लास में एक तरफ़ा संचार ही था। शायद ही ऑनलाइन कुछ ऐसा मौजूद था जहां वास्तविक समय में दो-तरफ़ा संचार किया जा सके।”

इसलिए ग्रुप ने फैसला किया कि वे व्हाट्सएप के ज़रिए अपनी क्लास चलाएंगे। बाद में वे एक अन्य मैसेंजर सेवा, टेलीग्राम का इस्तेमाल करने लगे ताकि उनके और छात्रों के बीच दो-तरफ़ा रीयल-टाइम संचार हो सके।

पी मणिवन्नन विस्तार से बताते हुए कहते हैं, “अब, छात्र को एक इंटरनेट कनेक्शन के साथ एक लैपटॉप या एक मोबाइल फोन की ज़रूरत होती है। वे हमसे कोई भी सवाल पूछ सकते हैं, परीक्षा की तैयारी करने वाले दूसरे छात्रों से जुड़ सकते हैं और उन लोगों का मार्गदर्शन ले सकते हैं जिन्होंने परीक्षा पास कर ली है।”

टेलीग्राम का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

टेलीग्राम एक क्लाउड आधारित “इंस्टेंट मेसेजिंगसेवा यानी संदेशों को दूसरे व्यक्ति तक फौरन पहुंचाने और प्राप्त करने वाली सेवा है। यह समझाते हुए कि ग्रुप इस सेवा का उपयोग कैसे करता है, रविचंदर कहते हैं, नामांकन करने वाले सभी उम्मीदवारों के पास टेलीग्राम अकाउंट होना ज़रूरी है। टेलीग्राम में एक ग्रुप बनाया गया है जिसमें सभी मेंटर और चुने गए उम्मीदवार मौजूद हैं। मेंटर दिन की सभी कक्षाएं चैट-मोड या/वॉइस-मोड में लेते हैं। ”

Telegram app Source: Pixaby

इसके अलावा कई विशेष ग्रुप भी बनाए गए हैं जहां मेंटर चुने गए छात्रों की गतिविधियों की निगरानी करते हैं और उन्हें ट्रैक करते हैं। क्लास का समय पहले से तय किया जाता है और इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि प्रीलिम्स आने के कम से कम तीन महीने पहले पूरा सिलेबस खत्म किया जा सके। 

यह पूछे जाने पर कि क्या मेंटर सभी विषयों को कवर करते हैं, बालमुरुगन कहते हैं, “हां। सभी विषयों को पढ़ाया जाता है। जहां तक वैकल्पिक पेपर का सवाल है, तो मार्गदर्शन के लिए उन विशिष्ट मेंटर को आमंत्रित किया जाता है जिन्होंने उस वैकल्पिक विषय को लिया था।”

सभी विषय अंग्रेज़ी भाषा में पढ़ाए जाते हैं। आमतौर पर, प्रतिदिन की क्लास दो स्लॉट में होती है। सुबह एक घंटा (सुबह 6 से 7 बजे) और शाम को डेढ़ घंटे (रात 9.30 से 11 बजे)। क्लास सोमवार से शनिवार चलती हैं। मणिवन्नन कहते हैं, “कई बार रविवार को भी विशेष कक्षाएं होती हैं।”

यह बताते हुए कि क्लास को कैसे बांटा जाता है, वह कहते हैं, “सुबह का स्लॉट छात्रों के बीच विचार-विमर्श के लिए रखा गया है। यह वह समय भी है जब छात्र तैयारी से संबंधित चीजों को पोस्ट कर सकते हैं। शाम का स्लॉट मेंटर के साथ इंटरैक्टिव सेशन होता है। ये सेशन तब लाभदायक होते हैं जब छात्र अपनी समस्याओं से जुड़े सवाल पूछते हैं (उसी के लिए डिज़ाइन की गई गूगल शीट में) और सेशन में मेंटर एक-एक करके उन समस्याओं का हल बताते हैं। हम नियमित क्लास नहीं लेते हैं लेकिन अगर छात्रों को लगता है कि उन्हें क्लास की ज़रूरत है तो हम विशेष सेशन आयोजित करते हैं।” 

इसके अलावा छात्रों को असाइनमेंट दिए जाते हैं जो उन्हें निर्धारित समय के भीतर पूरा करना पड़ता है। एक परामर्श सेशन भी है, जो छोटी टीमों में आयोजित किया जाता है, जहां 15 से 20 छात्रों को 1 या 2 मेंटर्स के साथ जोड़ा जाता है।

कैसे चुना जाता है छात्रों को?

नामांकन के लिए विज्ञापन सोशल मीडिया के माध्यम से जारी किया जाता है और लगभग 1000-1200 उम्मीदवार मेंटरशिप कार्यक्रम के लिए नामांकन करते हैं। नामांकन किए गए छात्रों में से सबसे समर्पित और ईमानदार उम्मीदवारों को चुनने के लिए एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया आयोजित की जाती है। करीब 300 छात्र चुने जाते हैं ताकि उन्हें सही रास्ता दिखाया जा सके और व्यक्तिगत मार्गदर्शन दिया जा सके।

Millions of aspirants attempt to clear the UPSC exams every year. (Source: IAS Coaching Academy Center/Facebook

रविचंदर कहते हैं, “स्क्रीनिंग प्रक्रिया वह तंत्र है जिसके माध्यम से इच्छुक उम्मीदवारों का चयन किया जाता है जो इस सख्त मेंटर प्रोग्राम को जारी रख सकें और बढ़िया प्रदर्शन कर सकें।” नामांकन लेने वाले कई छात्र या तो कहीं काम रहे होते हैं या किसी नियमित कोचिंग में भाग लेने में असमर्थ होते हैं। स्क्रीनिंग प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि छात्र अपने अन्य दायित्वों के साथ सख्त कार्यक्रम का पालन कर पाएंगे या नहीं।”

स्क्रीनिंग प्रक्रिया के दौरान, सभी उम्मीदवारों को दैनिक असाइनमेंट दिए जाते हैं, जिन्हें एक निश्चित समय के भीतर जमा करना होता है। असाइनमेंट, क्वालिटी आदि के आधार पर मेंटर असाइनमेंट का मूल्यांकन करते हैं और फिर देखते हैं कि कौन से उम्मीदवार प्रोग्राम को जारी रख सकते हैं।

बालमुरुगन कहते हैं, पिछले साल बैच में, प्रशिक्षित किए गए 250 उम्मीदवारों में से सात यूपीएससी परीक्षा को पास करने और अधिकारी बनने में कामयाब रहे हैं।

क्या है अध्ययन पैटर्न? 

पिछले कुछ वर्षों में कई छात्रों को पढ़ाने के अनुभव के साथ, रविचंदर कहते हैं, “छात्र, जो यूपीएससी को लेकर गंभीर है और परीक्षा पास करना चाहता है, उसे औसतन दो साल की जरूरत है। एक वर्ष पाठ्यक्रम को पढ़ने और रूपरेखा समझने के लिए और दूसरा वर्ष गंभीर अध्ययन करने के लिए।”

रविचंदर यूपीएससी का सपना देखने वाले उम्मीदवारों को अध्ययन के आरएजी (लाल, एम्बर, ग्रीन) पद्धति का इस्तेमाल करने की सलाह देते है। वह कहते हैं, “यहां, सिलेबस को तीन भागों में विभाजित किया गया है , जिसमें ‘रेड’ सबसे महत्वपूर्ण है। “

रेड के तहत उम्मीदवारों को पूरी गंभीरता के साथ अध्ययन करना चाहिए, एम्बर और ग्रीन सिलेबस के तहत बाकी लोगों के साथ साझा तरीके से अध्ययन किया जाता है और इस प्रकार कम समय में तैयारी की जाती है।

इच्छुक छात्रों के लिए टिप्स

ब्यूरोक्रेट्स की इस टीम ने आठ वर्षों में 300 से अधिक छात्रों का मार्गदर्शन किया है। ऐसी कई चीजें है जो उन्होंने भी मेंटर के रूप में सीखा है और जो छात्रों को सिविल सर्विस की तैयारी में मदद कर सकता है।

Representational image Source.

बालमुरुगन ने हमारे साथ कुछ खास टिप्स साझा किया है जिससे छात्रों को मदद मिलेगी।

  1. सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को एक युद्ध की तरह समझें। वह कहते हैं, “इस दुनिया में हर लड़ाई दो बार में जीती जाती है और पहली जीत दिमाग में होती है।” कार्य के लिए खुद को तैयार करें और सुनिश्चित करें कि आप इसे पूरी गंभीरता के साथ करें।
  2. पूरे आत्मविश्वास के साथ तैयारी मोड में प्रवेश करें। “जब तक आप में लड़ाई जीतने का आत्मविश्वास नहीं होगा, आप इस परीक्षा को नहीं जीत सकते।”
  3. तैयारी के दौरान, आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए, उम्मीदवारों को बहुत मेहनत की जरूरत होती है। एक अन्य संस्थापक सदस्य, मणिवन्नन कहते हैं, “आत्मविश्वास अच्छी तैयारी से आती है। अच्छी तैयारी तब होती है जब आप लगातार मॉडल पेपर में अच्छी पकड़ बनाते हैं।”
  4. छात्रों के लिए रणनीति बनाना भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह बताते हुए कि वे कैसे उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करते हैं, रविचंदर कहते हैं, “हमारी रणनीति के तीन घटक हैं – पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से जानना, कुशल विकल्प बनाना और होशियारी से पढ़ना (RAG विधि) और प्रैक्टिस टेस्ट तब तक अभ्यास करना जब तक आत्मविश्वास ना आए।
  5. एक एंकर या मेंटर खोजें जो इस चरण में आपकी सहायता करे। कोई ऐसा व्यक्ति जो बहुत वरिष्ठ और अनुभवी हो और आपको तैयारी के दौरान ज़रूरत पड़ने पर सहायता और प्रोत्साहन देने में मदद कर सके।

 इससे उन्हें क्या मिलता है?

बालमुरुगन कहते हैं, “संतुष्टि! उस समय जब हम तैयारी कर रहे थे तब एक चीज जो हमें नहीं मिल पायी थी, वह था मेंटर।” दरअसल ज्यादातर मेंटर्स जो अब टीम का हिस्सा हैं, वे छोटे शहरों से हैं, जिन्हें तैयारी करते समय खुद कोई मार्गदर्शन नहीं मिल पाया था।”

मणिवन्नन मुस्कुराते हुए कहते हैं, “यह समाज को वापस देने का हमारा तरीका है और विशेषकर उन छात्रों के लिए जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते, लेकिन वे इसके योग्य हैं। यह मार्गदर्शन जो हम देने की कोशिश कर रहे हैं वो शायद छात्रों और सिविल सर्विस के बीच का रास्ता हो सकता है।”

मूल लेख – विद्या राजा
संपादन – अर्चना गुप्ता


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