कोविड-19 के मरीजों की लगातर बढ़ती संख्या और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बीच, बहुत से नेक लोग हम सबके लिए प्रेरणा बनकर उभर रहे हैं। हरेक शहर में लोग अपने-अपने स्तर पर, मरीजों की और उनके परिजनों की मदद करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। मुंबई में रहने वाला सलधाना परिवार भी इन्हीं नेक लोगों की फेहरिस्त में शामिल है।
लगभग दो हफ्ते पहले, 54 वर्षीय पैसकल सलधाना को होली मदर स्कूल, मालवणी के प्रिंसिपल रफ़ीक सिद्दीकी का फोन आया। फोन पर सिद्दीकी बहुत परेशान थे और उन्होंने पैसकल से पूछा कि क्या वह ऑक्सीजन सिलेंडर दे सकते हैं? क्योंकि उनके स्कूल की एक शिक्षिका (शबाना मलिक) के पति की हालत, कोविड-19 बीमारी के कारण बहुत ही गंभीर हो गई थी। उन्हें तुरंत ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी।
पैसकल और सिद्दीकी की दोस्ती लगभग एक दशक पुरानी है। पैसकल बताते हैं, “प्रिंसिपल को मेरी पत्नी रोज़ी की हालत के बारे में पता था और वह जानते थे कि हम हमेशा एक अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर घर में रखते हैं। इसलिए, उन्होंने मुझे फोन किया और मदद के लिए पूछा।”
उनके फोन करने के तुरंत बाद, 51 वर्षीया रोज़ी ने बिना अपनी तबियत के बारे में सोचे, ऑक्सीजन सिलेंडर देने के लिए कहा। इस तरह, किसी अजनबी से मिली मदद की वजह से, एक मरीज की जान बच गयी।
सलधाना परिवार मुंबई के मालवणी चर्च इलाके में रहता है। पैसकल शादी और स्कूल के इवेंट्स में डैकोरेशन (साज-सज्जा) का काम करते हैं। वहीं, रोज़ी खुद 16 सालों तक बोरीवली के सेंट ज़ेवियर स्कूल में शिक्षिका रही हैं। लेकिन पाँच साल पहले, उन्हें अपनी किडनी में खराबी के बारे में पता चला और तब से वह नियमित रूप से डायलिसिस पर हैं। इस बीमारी का असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा और उनका वजन भी काफी कम हो गया।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए रोज़ी कहती हैं, “एक साल की डायलिसिस के बाद ही, मेरा वजन 68 किलो से 28 किलो हो गया। मुझे बिस्तर पर ही रहना पड़ा, क्योंकि अगर मैं जरा भी इधर-उधर घूमती तो मेरी पल्स रेट गिर जाती। मेरी इम्यूनिटी भी गिर गयी, जिस वजह से मुझे संक्रमण का खतरा बढ़ गया। कई बार मुझे पैरालिसिस एटैक और हैमरेज का सामना करना पड़ा और कुछ महीनों के लिए मैं कोमा में भी चली गई थी। जिसके कारण, हमें घर पर ही जरूरी चिकित्सा सुविधा तथा बुनियादी ढांचा स्थापित करने और आपात स्थिति के दौरान, ऑक्सीजन सिलेंडर रखने के लिए दो करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।”
लेकिन, फिर भी यह बीमार महिला मुश्किल समय में दूसरों की मदद करना चाहती थी। पर, कहानी यही खत्म नहीं होती है। दूसरे राज्यों की तरह ही, महाराष्ट्र भी ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। इसलिए जरूरतमंदों को ऑक्सीजन सिलेंडर देकर, उनकी मदद करने के लिए रोज़ी ने अपने सभी सोने के गहने बेच दिए।
‘मरने से पहले मैं कई और लोगों की मदद करना चाहती हूँ’
लोगों को जब उनसे मिली मदद के बारे में पता चला, तो और भी कई मरीजों के परिजन पैसकल को फ़ोन करने लगे। पैसकल कहते हैं, “कुछ लोग मुझसे पूछ रहे थे कि वे मुझसे सिलेंडर खरीद सकते हैं, तो कुछ लोग विनती कर रहे थे कि अगर हम उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर मुफ्त में दे सकें, क्योंकि वे इन्हें खरीदने में असमर्थ हैं।”
रोज़ी के गहने बेचकर इस दंपति को 80 हजार रुपए मिले। इसके बाद, उन्होंने अपने दोनों बेटों- एंसेल्म और शलोम की मदद से सप्लायर्स के बारे में पता किया और ऑक्सीजन सिलेंडर लेना शुरू किया। इस परिवार ने अब तक छह लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था कर, उन तक पहुँचाया है। उन्हें लगातार लोग मदद के लिए फोन कर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने और चार ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए ऑर्डर दिए हैं।
उनके छोटे बेटे शलोम (27) कहते हैं, “हमारे आर्थिक साधन भी सीमित हैं। हमने 80 हजार रुपये ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने, रीफिल करने और उन्हें ट्रांसपोर्ट करने में खर्च किए हैं। इसके अलावा, हमें अपनी माँ की दवाओं और रोज़मर्रा के अन्य खर्चों के लिए भी पैसों की जरूरत पड़ती है। अब मेरे पिताजी अपने ऑफिस की कुछ चीजों को बेच रहे हैं, ताकि हमारा घर चल सके।”
रोज़ी कहती हैं, “मुझे नहीं पता कि मैं कब तक जीवित रहूंगी। लेकिन, जाने से पहले मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करना चाहती हूँ। इसलिए, मैंने पैसकल को अपने सभी सोने के गहने बेचने के लिए कहा, ताकि हम जरूरतमंद लोगों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद सकें।”
आप भी जरूरतमंदों तक मुफ्त ऑक्सीजन पहुँचाने में, सलधाना परिवार की मदद कर सकते हैं। अगर आप रोज़ी और पैसकल की आर्थिक मदद करना चाहते हैं, तो आप यहाँ पर दान कर सकते हैं-
अकाउंट होल्डर का नाम (Name of the account holder) – Pascol Cajetan Saldhana
बैंक का नाम (Name of the bank) – Bank Of India
अकाउंट नंबर (Account number) – 018710110002533
IFSC Code – BKID0000001
मूल लेख: रोशनी मुथुकुमार
संपादन- जी एन झा
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