बिहार: रोज़गार देकर प्रवासी मजदूरों का दर्द कम कर रहे हैं पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार!

किसी को मास्क बनाने का तो किसी को रंगाई पुताई का काम सौंपा है डीएम राहुल कुमार ने

बिहार के पूर्णिया जिले के प्रवासी जब घर लौट रहे थे तो उनके मन में बस एक ही सवाल था- क्या अपने घर में हमें रोजगार मिलेगा? देश के अलग अलग हिस्सों में काम कर रहे ये लोग लॉकडाउन के दौरान अपने घर लौट रहे हैं। लौट रहे लोग पहले क्वारंटीन सेंटर में रहते हैं। ये सभी विषम परिस्थिति में लौटे हैं, अपने भविष्य को लेकर सभी चिंतित थे। 

लेकिन पूर्णिया जिला प्रशासन के अनोखे प्रयास की वजह से हुनरमंद प्रवासियों को एक भी दिन बेकार नहीं बैठना पड़ा। क्वारंटीन सेंटर में रहने के दौरान ही उन्हें काम मिल गया। वह भी ऐसा, जिनमें उनकी मास्टरी थी। 

पूर्णिया जिला के श्रीनगर प्रखंड की बात करें तो वहां के क्वारंटीन सेंटर में कोई एक दो नहीं बल्कि 73 प्रवासी ऐसे पहुंचे थे, जो टेलरिंग के मास्टर थे। पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार की पहल पर इन सबको सेंटर में ही मास्क बनाने का काम दे दिया गया। इतना ही नहीं, जो रंगाई-पुताई का काम जानते थे, उन्हें पशुशाला की रंगाई-पुताई का काम सौंप दिया गया। जिन्हें भवन निर्माण का अनुभव था, उन्हें निर्माण संबंधी जिम्मा दे दिया गया। डीएम राहुल कुमार ने लौट रहे कामगारों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं में हो रहे कार्यों में ही रोजगार का मौका ढूंढ लिया।

Purnia DM Rahul Kumar giving emplyment
पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार

अब उन्होंने करीब 1200 प्रवासियों को बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथारिटी यानी बीआईएडीए के लगभग 100 कृषि आधारित उद्योगों में रोजगार दिलाने की ठानी है।

20 हजार से अधिक की स्किल मैपिंग

पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार ने द बेटर इंडिया को बताया, जिला प्रशासन क्वारंटीन किए गए प्रवासियों की स्किल मैपिंग का कार्य कर रहा है। सभी क्वारंटीन सेंटरों में रह रहे 20 हजार से अधिक प्रवासियों की स्किल मैपिंग का कार्य पूरा हो चुका है। करीब 24 हजार को काम दिया जाना है। जिन लोगों को टेलरिंग, ड्राइविंग का कार्य दिया जा रहा है, उससे पहले उन्हें शार्ट ट्रेनिंग भी दी जा रही है, ताकि वह पूरे परफेक्शन के साथ काम को अंजाम दे सकें। इसके लिए कुछ संस्थानों की मदद भी ली जा रही है। साथ ही उन्हें काम के लिए मुद्रा लोन, बैंक से मदद दिलाई जा रही है। RSETI यानी रूरल सेल्फ एंप्लायमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के जरिए उनका सर्टिफिकेशन किया जा रहा है।

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पेंटिंग का काम करता प्रवासी मजदूर

ऐसे बनाया जा रहा है आत्मनिर्भर

राहुल कुमार के अनुसार स्किल सर्वे मैपिंग के बाद कामगारों को उन्हीं की दक्षता का कार्य देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

वह बताते हैं, बिहार में हर परिवार को चार मास्क दिए जाने की योजना है। ऐसे में पूर्णिया में करीब 30 लाख मास्क की जरूरत होगी। अकेले श्रीनगर प्रखंड में 73 प्रवासियों को मास्क बनाने का काम दिया गया है। इसी तरह अन्य क्वारंटीन सेंटरों में भी टेलरिंग में मास्टरी रखने वाले प्रवासियों के हाथों में काम होगा। ड्राइविंग में दक्षता रखने वाले 50 लोगों को ग्राम परिवहन में काम दिया जा रहा है। इसी तरह आटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग, मसाला पैकिंग, फ्लावरिंग, फारेस्ट्री में बाहर से लौट रहे मजदूरों, कामगारों, श्रमिकों को कार्य देने का काम चल रहा है।

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कूप निर्माण में जुटा श्रमिक

सरकारी योजनाओं के जरिए रोजगार

सरकारी योजनाओं के तहत जो काम बाकी रह गया है उसके जरिए  भी लौट रहे लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। राहुल बताते हैं कि लौटने वाले  प्रवासियों में  कई मिस्त्री हैं तो कुछ राजमिस्त्री, कई को भवन निर्माण का अनुभव है। ऐसे लोगों को पीएम आवास योजना, जिसके तहत टॉयलेट का बैकलाग है, आदि योजनाओं से जोड़कर उन्हें रोजगार मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। जीविका स्वयं सहायता समूह के माध्यम से भी क्लस्टर बना कर काम किया जा रहा है।

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पोखर निर्माण में जुटी महिलाएं

क्वारंटीन सेंटरों में सुविधाएं दी,  सीसीटीवी से हो रही निगरानी

राहुल कुमार हर दिन जिला के अलग अलग क्वारंटीन सेंटरों का दौरा करते हैं। उनका कहना है कि कैंप में मिड डे मील यानी एमडीएम का रसोइया भोजन बना रहा है। किसी तरह की गड़बड़ी न होने पाए, इसके लिए सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। प्रवासियों के मनोरंजन के लिए टीवी की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही उन्हें योगाभ्यास भी कराया जा रहा है, ताकि वह किसी भी प्रकार के दबाव में आपा न खोएं। स्वयं को शांत बनाए रखें। वह बताते हैं कि पूर्णिया में कुल 376 क्वारंटीन सेंटर हैं, जिनमें फिलहाल 1031 प्रवासी रह रहे हैं।

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क्वारंटीन सेंटर का निरीक्षण करते राहुल कुमार

किताबें दान करने का अभियान चलाया, पुस्तकालय बनवाए

राहुल ने इससे पहले भी कई अभियान चलाकर सराहना बटोरी है। 2020 की शुरुआत में उन्होंने किताब दान अभियान चलाया। इसके तहत लोगों से किताबें दान करने की अपील की गई। वह इसलिए ताकि इन किताबों से उन विद्यालयों में पुस्तकालय बनवाए जा सकें, जहां पुस्तकालय नहीं हैं। लोगों ने उनकी पहल के बाद दिल खोलकर किताबें दान की। इनमें हर वर्ग के लोग शामिल थे। इससे उन स्कूलों के बच्चों को मदद हुई, जिनके स्कूलों में खराब आर्थिक स्थिति के चलते पुस्तकों की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। उनकी इस पहल को बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी सराह चुके हैं।

पहले IPS, फिर IAS बनें राहुल

राहुल कुमार

डीएम राहुल कुमार बिहार के पूर्वी चंपारण के रहने वाले हैं। उनके पिता पेशे से एक शिक्षक हैं। 2010 में उन्होंने बतौर आईपीएस कार्यभार ग्रहण किया। ठीक एक साल बाद ही 2011 में वे आईएएस बने।  इनकी पहली पोस्टिंग पटना के दानापुर में बतौर एसडीएम हुई। इसके बाद वह हेल्थ डिपार्टमेंट में प्रोजेक्ट डायरेक्टर और बिहार हेल्थ सोसाइटी के एडिशनल डायरेक्टर के पद पर रहे।

डीएम के रूप में पहली पोस्टिंग गोपालगंज, तभी से चर्चा में

राहुल कुमार की डीएम के रूप में पहली पोस्टिंग गोपालगंज में हुई। इसी दौरान वह चर्चा में आए। एक विधवा के हाथों मिड डे मील का खाना न खाए जाने का मिथक तोड़ने वह खुद गोपालगंज के एक स्कूल में  गए। विधवा महिला के हाथों खाना बनवाया। फर्श पर बैठकर बड़े ही चाव से मिड डे मील सेविका का खाना खाया। इसके बाद विरोध करने वाले ग्रामीणों का मिथक टूटा।

गोपालगंज के डीएम रहते हुए राहुल कुमार ने जिला को खुले में शौच से मुक्त करने के अभियान को जन आंदोलन में बदल डाला। इसकी वजह से लोग इन्हें ‘सैनिटेशन हीरो’ पुकारने लगे। गोपालगंज के बाद उन्हें 2018 में बेगूसराय के डीएम पद का जिम्मा सौंपा गया। वहां  इन्हें नीति आयोग की ओर से बेगूसराय के समावेशी विकास के लिए ‘चैंपियन ऑफ चेंज’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। पिछले साल 2019 में उन्हें पूर्णिया का डीएम बनाया गया।

नौकरी के दौरान ही इग्नू से हिंदी साहित्य में एमए किया

राहुल कुमार का हिंदी साहित्य से बेहद लगाव है। शायद यही वजह है कि उन्होंने हिंदी साहित्य में एमए किया। वह भी इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी यानी इग्नू से। राहुल बताते हैं कि उन्होंने नौकरी के दौरान पढ़ाई की। उनके प्रिय साहित्यकार मोहन राकेश है। यह दीगर बात है कि अपनी रोज की गतिविधियों के बीच उन्हें पढ़ने का मौका बेहद कम मिल पाता है।

डीएम राहुल कुमार का कहना है कि आम जन की सेवा के लिए ही उन्होंने सिविल सर्विसेज को चुना था। अब कोरोना संक्रमण काल में उन्हें लोगों की सेवा का भरपूर अवसर मिल रहा है। उनका यह भी मानना है कि यदि सेवा की भावना मन में है तो उसके लिए पद की जरूरत नहीं होती। उसके लिए राह अपने आप निकल आती है।

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राहुल कुमार प्रयासों के चलते हाँथ में जॉब कार्ड पकड़े  श्रमिक

(डीएम राहुल कुमार से उनके मोबाइल नंबर 9473191358 पर संपर्क किया जा सकता है।)

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