जानिए कैसे 14 साल के ऋषभ की एक पहल ने बचाया 70 लाख लीटर पानी

बेंगलुरु के 9वीं कक्षा के छात्र, 14 वर्षीय ऋषभ प्रशोभ, पिछले दो सालों से जल-संरक्षण पर काम कर रहे हैं और एक साल में वह 70 लाख लीटर पानी बचाने में सफल हुए हैं।

अनुमान है कि भारत की जनसंख्या साल 2050 तक 1.6 बिलियन (160 करोड़) हो जाएगी। इसका मतलब यह भी है कि प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता घटने की संभावना है। आईसीएआर (ICAR) की एक रिपोर्ट बताती है कि 2025 तक भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1,465 क्यूबिक मीटर तक घटने का अनुमान है और 2050 तक यह घटकर 1,235 क्यूबिक मीटर रह जाएगी। यदि ये आंकड़े 1,000 क्यूबिक मीटर से कम हो जाते हैं, तो भारत को ‘जल तनाव से ग्रसित देश’ घोषित कर दिया जाएगा।

ऐसी नौबत न आए, इसलिए नेशनल एकेडमी फॉर लर्निंग, बेंगलुरु में 9वीं कक्षा के 14 वर्षीय छात्र ऋषभ प्रशोभ ने ‘जल मिशन’ शुरू किया है और एक साल में 70 लाख लीटर पानी बचाया है।

लेकिन यह उन्होंने कैसे किया? 

इसका जवाब है दो होटल, अपने स्कूल और अपनी हाउसिंग सोसाइटी के नलों में ‘एरेटर’ लगाकर। 

एरेटर छोटे ‘मैकेनिकल डिवाइस’ होते हैं, जिसे नल में फिट किया जाता है। ये हवा को पानी से मिलाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि नल से आने वाले पानी का प्रवाह स्थिर रहे, फिर प्रेशर चाहे जैसा भी हो। जो नल प्रति मिनट 15 लीटर पानी की सप्लाई करते हैं, उनमें अगर एरेटर लगाया जाए तो यह पानी की सप्लाई को छह लीटर प्रति मिनट तक कम कर देता है। ये डिवाइस एक महीने में 1,274 लीटर पानी बचा सकते हैं।

Save Water
Rishabh Prashobh using a tap fitted with an aerator.

जमीनी स्तर पर समझा समस्या को:

साल 2019 में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त संगठन, ‘1मिलियन फॉर 1बिलियन’ (1M1B) द्वारा आयोजित एक सामाजिक पहल में ऋषभ ने भाग लिया। यहाँ उन्होंने पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों का अध्ययन किया। वह एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, जहाँ उन्हें पर्यावरण से जुड़े किसी एक मुद्दे को समझकर, उसे हल करने के लिए समाधान प्रस्तुत करना था। 

वह बताते हैं, “मैंने वायु प्रदूषण जैसे बहुत से मुद्दों पर पढ़ा, लेकिन पानी की कमी एक ऐसी समस्या थी, जिसे मैंने बेंगलुरु में खुद देखा है। मैंने देखा है कि बहुत से तालाब सूख रहे हैं और बहुत से घरों में भी पानी की समस्या से जुड़ी ख़बरें मिलती रहती हैं।” उन्होंने लगभग तीन महीने यही तय करने में लगाए कि वह पर्यावरण से जुड़े किस मुद्दे पर काम करेंगे। 

जमीनी स्तर पर इस समस्या को समझने के लिए, ऋषभ ने बेंगलुरु के कई संगठनों, एक्टिविस्ट और जल-संरक्षकों से बात की। उन्होंने समझा कि बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ, पानी की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन इसकी आपूर्ति मांग से काफी कम है। इसलिए, इस समस्या का एक ही हल है कि पानी की खपत को कम किया जाए। 

ऋषभ कहते हैं, “घरेलू स्तर पर, पानी की खपत को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि पानी के नल में एरेटर की फिटिंग की जाए। आमतौर पर, हमारी रसोई की सिंक और बाथरूम में लगे नल से प्रति मिनट 6 लीटर पानी निकलता है और एरेटर द्वारा इसे 3 या 4 लीटर तक कम कर सकते हैं।”

दिया समस्या का समाधान:

जुलाई 2019 में, ऋषभ ने इन ‘एरेटर’ का परीक्षण किया ताकि वह देख सकें कि ये कितने कारगर हैं। उन्होंने बेंगलुरु में अपनी दादी के घर में एक एरेटर लगाया। वह अपने घर में एरेटर नहीं लगा पाए क्योंकि उनकी बिल्डिंग में, 17 घरों के पानी का बिल इकट्ठा आता है। जिसे सबमें बांटा जाता है। ऐसे में, वह पानी में हो रही बचत और बिल में कटौती का सही अनुमान नहीं कर पाते। 

उन्होंने बताया, “सिर्फ एक एरेटर की फिटिंग के एक महीने बाद ही हमने दादी के घर के पानी के बिल में 30% तक की कटौती देखी। पहले उनका बिल लगभग 340 रुपये आता था लेकिन यह घटकर 250 रुपये हो गया।” उन्होंने अपने घर पर एरेटर की कार्यक्षमता भी जाँची। 

वह बताते हैं, “मैंने बिना एरेटर लगाए नल से एक सामान्य आकार की बाल्टी पानी से भरी। फिर उसी नल में एरेटर लगाने के बाद बाल्टी भरी। मैंने देखा कि दोनों बार में, एक मिनट में बाल्टी में कितना पानी भरता है और अच्छी बात यह है कि दोनों ही बार, पानी की मात्रा में ज़्यादा अंतर नहीं था।”

उन्होंने अगस्त 2019 में, अपनी ‘हाउसिंग सोसाइटी’ के ‘रेजिडेंट्स एसोसिएशन’ से संपर्क किया और यह समाधान दिया। उन्होंने अपनी दादी के घर का पानी का बिल सबको दिखाया। उन्हें सभी लोगों से बात करने का मौका मिला और लोगों ने उनकी बात को समझते हुए, यह समाधान अपनाने का फैसला किया। 

हर एक अपार्टमेंट में दो एरेटर फिट किये गए। एक किचन के नल में, दूसरा बाथरूम के वॉश-बेसिन के नल में। प्रत्येक घर ने एरेटर के लिए पैसे दिए, जिसकी कीमत लगभग 300 रुपये प्रति यूनिट थी। ऋषभ कहते हैं, “एक साल के भीतर ही सोसाइटी में पानी की खपत कम हो गई और उन्होंने 20 लाख लीटर पानी बचाया।”

इसके बाद, अगस्त 2019 में ही ऋषभ ने केरल के कोचीन में दो मैरियट होटलों से संपर्क किया और वहाँ के जनरल मैनेजर को अपना आइडिया बताया। वह कहते हैं, “होटल के मैनेजर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील थे। उन्होंने दोनों होटल के सभी बाथरूम में एक एरेटर लगवाने का फैसला किया। एक साल में ही दोनों होटलों ने लगभग 50 लाख लीटर पानी की बचत की।”

Save Water with just one technique
Rishabh presenting his idea to a representative at Marriott hotels.

नवंबर 2019 में, उन्होंने अपने स्कूल ‘नेशनल एकेडमी फॉर लर्निंग’ की प्रिंसिपल इंदिरा जयकृष्णन से संपर्क किया। वह भी इस विचार से प्रभावित हुईं। वह कहती हैं कि 2017 में, उन्होंने छात्रों को बिजली, कागज बचाने तथा अपनी कक्षाओं और सामान्य क्षेत्रों में इनडोर पौधे (घर के अन्दर लगाने वाले पौधे) उगाने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए ‘ग्रीन एनएएफएल’ पहल शुरू की थी। ऋषभ के विचार ने स्कूल की पहल को और आगे बढ़ाया है।

वह कहती हैं, “जब ऋषभ मेरे पास यह प्रस्ताव लेकर आए और मुझे बताया कि इससे स्कूल को कैसे फायदा होगा, तो मैं प्रभावित हुई और तुरंत इस बात से सहमत हो गई। उन्होंने हमें एरेटर खरीदने में मदद की और प्लंबर ने हर दूसरे सिंक में एरेटर फिट कर दिया। कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद होने के कारण, एक साल में क्या बदलाव हुआ, यह हम नहीं माप सकते हैं। लेकिन, यह निश्चित रूप से पानी की खपत को कम करने की दिशा में एक अच्छा कदम था।”

साल 2021 में, ऋषभ अपनी इस पहल को और अधिक स्कूलों, होटलों, शहर भर के सिनेमाघरों और मॉल्स तक पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं। उनका उद्देश्य, शहर में एक करोड़ लीटर पानी बचाने में मदद करना है।

मूल लेख: रौशनी मुथुकुमार

संपादन- जी एन झा

यह भी पढ़ें: एक IRS के 10 वर्षों के प्रयासों से गाँव को मिला सड़क-स्कूल, पढ़िए यह प्रेरक कहानी

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Save Water, Save Water, Save Water, Save Water, Save Water

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X