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केरल के एक बस कंडक्टर द्वारा बनाये एक फेसबुक ग्रुप से मिल रहा है हज़ारो को जीवन दान !

आजकल हमारी वास्तविक दुनिया, आभासी दुनियां यानी इंटरनेट पर सरकती जा रही है। सामाजिक चर्चाओं से लेकर अहम् आन्दोलनों के उभरने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रहने लगी है। सोशल मीडिया पर कई बार आरोप लगता है कि इसमें सामाजिक जैसा कुछ है ही नहीं। लेकिन ये कहानी आपको दुबारा सोचने पर मजबूर कर देगी। आप भी सोचेंगे कि सोशल मीडिया पर वक़्त की बर्बादी ही नहीं हम वक़्त का सबसे मूल्यवान काम ले सकते हैं।

जकल हमारी वास्तविक दुनिया, आभासी दुनियां यानी इंटरनेट पर सरकती जा रही है। सामाजिक चर्चाओं से लेकर अहम् आन्दोलनों के उभरने में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रहने लगी है। सोशल मीडिया पर कई बार आरोप लगता है कि इसमें सामाजिक जैसा कुछ है ही नहीं। लेकिन ये कहानी आपको दुबारा सोचने पर मजबूर कर देगी। आप भी सोचेंगे कि सोशल मीडिया पर वक़्त की बर्बादी ही नहीं हम वक़्त का सबसे मूल्यवान काम ले सकते हैं।

 

केरल राज्य परिवहन बस के कंडक्टर विनोद हमेशा से कमजोर और जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहते थे। नौकरी के साथ साथ समाज के लिए कुछ करने के विचार ने उन्हें सोशल मीडिया के सामाजिक प्रयोग के निष्कर्ष पर पहुंचा दिया। विनोद ने फैसला किया कि सोशल मीडिया को सामाजिक सरोकार से जोड़ेंगे। और 2011 में उन्होंने फेसबुक पर एक पेज बनाकर लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया। इस पेज का नाम रखा- ‘We Help’। विनोद की मेहनत रंग लाई और लोगों ने उनके इस विचार को खूब सराहा और साथ ही जुड़ते चले गये। आज पांच सालों में इस फेसबुक पेज ने समाज के लिए बहुत कुछ किया है।

 

आश्चर्य की बात ये है कि ये न तो कोई संस्था है न कोई संगठन। इनका न तो कहीं कोई कार्यालय है न कोई रजिस्ट्रेशन! ये सिर्फ फेसबुक और व्हाट्स एप पर जुड़े रहते हैं ।ये लोग समाज के हर जरुरी मुद्दे पर मदद के लिए तैयार खड़े रहते हैं।

 

शुरुआत में इस पेज का मकसद समाज के हर तबके के लिए हर संभव मदद करना रहा, लेकिन धीरे धीरे रक्तदान इस ग्रुप का प्राथमिक काम हो गया और आज इन्हें ‘ब्लड डोनर्स केरला‘ (BDK) के नाम से पुकारा जाता है।

 Image source:  Facebook
सबसे बड़ी बात है कि फेसबुक पेज की इस पहल ने उस पीढी को जोड़ा है, जो आभासी दुनियां में तब्दील होती जा रही है। इस पीढ़ी पर हमेशा आरोप लगता है, कि ये समाज से दूर जा रहे हैं। लेकिन इस पेज से जुड़े बहुत से युवा स्वेच्छा से रक्तदान ही नहीं करते बल्कि समाज के हित में तत्पर खड़े रहते हैं।

 

इस ग्रुप में टेलीकोम इंजीनियर जिष्णु राज, बिजनेसमेन अनीश अशरफ, वकालत के पेशे से अरुणा जैसे पेशेवर युवाओं की लम्बी लिस्ट है। इनके साथ साथ पढाई करने वाले छात्र अक्षय और श्री जीत जैसे युवा इस ग्रुप को व्हाट्स एप पर सक्रीय रखे हैं।

 

व्हाट्स एप पर हर क्षेत्र के हिसाब से ग्रुप बना दिए गये हैं। अभी व्हाट्स एप ग्रुपों में एर्नाकुलम, अन्गामेली, अलुवा, कोलान्चेरी, एडाप्पेरी और पेरुम्बेवूर क्षेत्र में लोगों को जोड़कर समाज हित में मदद के लिए आगे लाया जा रहा हैं।

 

इस ग्रुप में जुड़े लोगों का नेटवर्क रक्त दान करने की इच्छा जाहिर करने वालों के लिए एक केंद्र तय करता हैं। और फिर वहां एक निर्धारित समय पर आकर लोग रक्तदान करते हैं। इसके साथ साथ जब भी राज्य के जिस क्षेत्र में किसी मरीज को खून की जरुरत होती है। इस ग्रुप के माध्यम से उस क्षेत्र में रक्तदान करने की इच्छा रखने वाले रक्तदाता की खोज की जाती है और जरूरतमंद को रक्त पहुंचा दिया जाता है।

 

इस समूह से जुड़े लोगों का जूनून देखते बनता है। इसी ग्रुप के सदस्य ‘जोबी’ ने अपनी शादी में ही ब्लड कैम्प का आयोजन करवाया और खुद भी शादी की पोशाक में ही रक्तदान भी किया।

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Image source: Flickr, The Hindu
रक्तदान के साथ-साथ ये ग्रुप गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक मदद देता है और साथ ही अनाथालयों और वृद्धाश्रमों में खाना पहुंचाने का आभियान भी चलाता हैं।
अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द हिन्दू‘ के अनुसार यह ग्रुप पिछले एक साल में साठ से ज्यादा रक्तदान शिविर और जागरूकता अभियान चला चुका है। इनकी इस पहल ने हजारों यूनिट ब्लड जरूरतमंद लोगों तक पहुँचाया है। जीवनदान देने की इस पहल को हम सलाम करते हैं और आशा करते हैं कि इनसे प्रेरणा लेकर सोशल मीडिया पर अब सभी ऐसे नेक कामो में अपना सहयोग देंगे। ज्यादा नहीं एक छोटी सी पहल एक कारवां में बदल सकती है और लाखों जिंदगियां रोशन हो सकती हैं।
Feartured image source: Flickr, The Hindu
मूल लेख आनंदिता जुमडे द्वारा लिखित।

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