आपकी खरीददारी की आदतों से जुड़ी हैं ऑरंगुटन और गैंडों की सुरक्षा, जानिये कैसे!

Sustainable Palm Oil

शैम्पू से लेकर टूथपेस्ट पिज्जा, और चॉकलेट तक, सुपरमार्केट से आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, उनमें से 50% उत्पाद में पाम तेल शामिल होता है। लेकिन इसका उत्पादन करने वाले देशों के सामने वनों की कटाई, बायोडाइवर्सिटी से जुड़ी हानि जैसी कई चुनतियां भी हैं। किन सस्टेनेबल तरीकों से इन समस्यायों का समाधान संभव है, पढ़िए यह लेख!

यह लेख RSPO की साझेदारी में प्रकाशित हुआ है।

लोगों और धरती से जुड़ी समस्याएं अक्सर जटिल होती हैं। उदाहरण के लिए, ट्रॉपिकल (उष्णकटिबंधीय) वनों की कटाई और इसके कारण वहां रहने वाले जीवों को होने वाला नुकसान, आज के समय में और हमारे भविष्य के लिए, एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है। इन मुद्दों से निपटने के लिए, हमें ठोस समाधान निकालने होंगे, जैसे- वनों की कटाई किये बिना, बने उत्पादों का उपयोग करना। सस्टेनेबल तरीकों से, हम प्रकृति और हमारे बीच के संतुलन को फिर से स्थापित कर सकते हैं। एक उत्पाद, जो सकारात्मक बदलाव लाने में हमारी मदद कर सकता है, वह सस्टेनेबल पाम तेल (Sustainable Palm Oil) है।

शैम्पू से लेकर टूथपेस्ट पिज्जा और चॉकलेट तक, सुपरमार्केट से आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, उनमें से 50% उत्पाद में पाम तेल (ताड़ का तेल) शामिल होता है। यह तेल सस्ता होने के कारण, कई तरह से इस्तेमाल भी किया जा सकता है। यही कारण है कि पाम तेल, दुनियाभर में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले ‘वनस्पति तेलों’ में से एक है।

हालांकि कुछ अहम समस्यायें हैं, जिनका सामना पाम तेल का उत्पादन करने वाले देश कर रहे हैं। इनमें से सबसे अहम हैं, वनों की कटाई, पीट (एक प्रकार का कोयला) भूमि की सुरक्षा और बायोडाइवर्सिटी से जुड़ी हानि।

तो आइए जानते हैं कि हम सस्टेनेबल संतुलन कैसे प्राप्त कर सकते हैं और सस्टेनेबल पाम तेल का इस्तेमाल क्यों ज़रुरी है।

कृषि संबंधी लाभ

पाम तेल की खेती एक लाभदायक उद्योग है। यह मलेशिया और इंडोनेशिया के लोगों के रोजगार का एक अहम स्त्रोत है। पाम तेल का उत्पादन दुनियाभर में, विशेष रूप से एशिया के लाखों लोगों के लिए, आर्थिक विकास और गरीबी कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

व्यापक रूप से उगाये जाने वाली यह फसल, बुआई के सिर्फ तीन साल के भीतर ही फल देने लगती है और 20 से 30 साल तक, इससे अच्छी पैदावार ली जा सकती है। पाम तेल की फसल महीने में दो बार आती है, जिससे किसानों की सालभर कमाई होती रहती है।

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इसके अलावा, पाम तेल का उत्पादन किसानों के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। क्योंकि न केवल इसके फल बल्कि पूरी फसल का उपयोग, सस्टेनेबल तरीके से किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पत्तियों, तनों और फलों के गुच्छों का उपयोग फर्नीचर, ईंधन और अन्य उत्पाद बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इन तरीकों से पाम की फसल का उपयोग करना, सस्टेनेबल पाम तेल के उत्पादन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण निभाता है।

आखिर छोटे किसानों पर, पाम तेल की खेती का क्या प्रभाव पड़ता है? अगर इस बारे में बात की जाए तो गौटिंगेन विश्वविद्यालय में कृषि अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ, मतीन क़ाइम द्वारा कही बात पर ध्यान देना चाहिए। वह कहते हैं, “अक्सर यह माना जाता है कि पाम तेल की फसल, केवल बड़े औद्योगिक स्तर पर ही उगाई जाती है। वास्तव में, दुनिया के लगभग आधे पाम तेल का उत्पादन, छोटे किसानों द्वारा किया जाता है। हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि पाम तेल की खेती, छोटे मजदूरों के लिए अतिरिक्त रोजगार पैदा करने के साथ-साथ, उनकी आय भी बढ़ाती है। हालांकि, भूमि विवाद भी होते हैं लेकिन कुल मिलाकर, पाम तेल का बढ़ता उत्पादन, इंडोनेशिया और अन्य पाम तेल उत्पादक देशों में, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने में मददगार साबित हुआ है।”

पाम तेल इतना लोकप्रिय क्यों है?

पाम तेल एक बहुमुखी तेल है, जिसमें बहुत से अलग-अलग गुण होने के कारण, इसे कई चीज़ों के लिए उपयोग किया जाता है और इसी कारण, रोज़मर्रा के कई समानों में इसका व्यापक रुप से इस्तेमाल होता है। खाना पकाने के लिए जो जरुरी गुण एक तेल में होने चाहिये, वे सभी गुण इस तेल में मौजूद हैं। ये गुण उच्च तापमान पर भी बने रह सकते हैं। इस तेल में तली हुई चीज़ें ज्यादा खस्ता और कुरकुरी बनती हैं। चूंकि यह समान्य तापमान पर गाढ़ा होता है, पाम तेल को चिकना, क्रीमी और फैलाए जाने योग्य रूप दिया जा सकता है। इसमें गंध और रंग भी नहीं होता। इसलिए, कई व्यंजनों में पाम तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें बेक किये जाने वाले कुकीज़ आदि शामिल हैं। इसके अलावा पाम तेल, खाद्य उत्पादों को लंबे समय तक भण्डार करने और उपयोग में लेने योग्य बनाता है क्योंकि, यह हवा लगने पर खाद्य उत्पादों को ख़राब होने से बचाता है।

कोई सस्टैनेबल विकल्प नहीं

पाम तेल कृषि, ठीक से या सस्टेनेबल तरीकों से न होने पर, पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है। यह संभावित रूप से हाथियों, ऑरंगुटन और बाघों जैसे विशेष जानवरों की प्रजातियों के साथ-साथ, ट्रॉपिकल वर्षावन वृक्ष प्रजातियों जैसे कि केम्पा, रामिन और मेरांती पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है।

हालांकि अन्य वनस्पति तेलों (जैसे सनफ्लावर, सोयाबीन, या रेपसीड) का उपयोग करना व्यावहारिक समाधान जैसा लगता है। लेकिन वास्तव में, यह इसी तरह की पर्यावरण और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। पाम तेल की सफलता का एक बड़ा कारण यह भी है की एक सीमित भूमि पर इसकी पैदावार, बाकी तेल की फसलों से अधिक होती है। प्रति हेक्टेयर 3.3 टन तेल की वैश्विक औसत के साथ, पाम तेल किसी भी अन्य तिलहनी फसल की तुलना में प्रति हेक्टेयर अधिक पैदावार देती है और इस प्रकार यह ‘लैंड फुटप्रिंट’ के मामले में सबसे कुशल है।

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‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर’ (IUCN) की रिपोर्ट ‘ऑयल पाम और बायोडाइवर्सिटी’ के अनुसार, पाम तेल के पेड़ के समान, तेल का उत्पादन करने के लिए अन्य तेल फसलों को, नौ गुना अधिक भूमि की जरूरत होती है। अगर इसके अलावा, दूसरा विकल्प अपनाया जाये तो तेल की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए, वनस्पति तेल उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले, कुल भूमि क्षेत्रों में काफी वृद्धि होगी।

रिपोर्ट के अनुसार, पाम तेल से संबंधित वनों की कटाई से बचा जाए तो यह बायोडाइवर्सिटी के लिए, बहुत लाभदायक होगा। यही कारण है कि पाम तेल के सस्टेनेबल उत्पादन को अपनाना जरूरी है।

हम क्या कर सकते हैं?

रोजाना उपयोग में आने वाले उत्पाद या वस्तुओं की सप्लाई चेन (आपूर्ति श्रृंखला) में, हम एक शक्तिशाली साझेदारों में से एक है। साथ ही, हम में बदलाव लाने की भी शक्ति है। इसकी शुरुआत हम ऐसे पाम तेल का चुनाव करके कर सकते हैं, जो सस्टेनेबल तरीके से उगाया और बनाया गया हो।

तत्कालिक और वैश्विक मांग के आधार पर साल 2004 में ‘राउंडटेबल ऑन सस्टेनेबल पाम तेल’ (RSPO) का गठन किया गया था। इस गैर-लाभकारी अंतरराष्ट्रीय सदस्यता संगठन का उद्देश्य पाम तेल उद्योग के सात सेक्टरों से, प्रमुख साझेदारों को एकजुट करना है ताकि सस्टेनेबल पाम तेल उत्पादन के लिए, वैश्विक मानकों को विकसित और लागू किया जा सके। ये सात सेक्टर हैं – निर्माता, प्रोसेसर या व्यापारी, उपभोक्ता सामान निर्माता, खुदरा विक्रेता, बैंक, निवेशक तथा पर्यावरण और सामाजिक गैर-सरकारी संगठन। इनका लक्ष्य बाजारों को बदल कर, सस्टेनेबल पाम तेल को अपनाना है। इस संगठन के केंद्र में RSPO के सिद्धांत और मानदंड (P&C) हैं, जो सस्टेनेबल पाम तेल उत्पादन के लिए कड़े मानकों की एक सूचि है, जिसे RSPO के सदस्यों को मानना होगा।

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पाम तेल का उत्पादन करने वाले देशों में बायोडाइवर्सिटी, प्राकृतिक इको-सिस्टम, वनों की कटाई, स्थानीय समुदायों का ध्यान रखने वाले, सस्टेनेबल पाम तेल सप्लाई चेन को हासिल करना, एक वैश्विक चुनौती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि RSPO के सदस्य, वनों की कटाई को रोकने और वनों की कटाई किये बिना, बने पाम तेल के सेक्टर में बदलाव लाने के लिए, प्रभावी ढंग से योगदान दे रहे हैं। साल 2018 में RSPO P&C में कुछ मापदंड शामिल किये गए, जिसका उद्देश्य उच्च वन आवरण वाले देशों (HFCCs) में विकास, गरीबी उन्मूलन और सामुदायिक आजीविका की जरूरत को संतुलित करते हुए, वनों की कटाई को रोकने के लिए कदम उठाना है।

जब पाम तेल सस्टेनेबल तरीकों और RSPO P&C के मापदंडों के अनुसार उगाया जाता है तो इससे खेती और पर्यावरण, दोनों ही एक साथ अस्तित्व में रह सकते हैं। इससे प्राथमिक और माध्यमिक जंगलों की रक्षा होती है और वन्यजीवों के आवासों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है।

P&C यह भी सुनिश्चित करता है कि पहले के भूमि मालिकों, स्थानीय समुदायों, वृक्षारोपण करने वाले श्रमिकों और छोटे किसानों के मौलिक अधिकारों का सम्मान किया जाए और ध्यान रखा जाए। RSPO के सदस्यों को, सभी श्रमिकों को उचित वेतन देना जरूरी है। जिनमे वे श्रमिक भी शामिल हैं, जो अपने काम या कोटा के आधार पर मजदूरी कर रहे हैं। इसकी गणना ‘ग्लोबल लिविंग वेज गठबंधन’ (GLWC) प्रणाली के आधार पर की जाती है।

हालांकि, 99 देशों के करीब पांच हजार सदस्यों के साथ, RSPO जैसे संगठनों का प्रयास सकारात्मक बदलाव ला रहा है। उपभोक्ताओं के रूप में, हम सही और जिम्मेदार विकल्प का चुनाव कर, बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

तो, अपने पाम तेल को समझने का प्रयास करें #KnowYourPalm। RSPO प्रमाणित पाम तेल की मांग करने का संकल्प लें और अपने परिवार तथा दोस्तों को भी ऐसा करने के लिए कहें।

संपादन – प्रीति महावर

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