सामान्य साइकिल को बदला सोलर साइकिल में, न पेट्रोल की चिंता न प्रदूषण की

Solar Bicycle

वारंगल जिले में गोपालपुरम गाँव के रहने वाले राजू मुप्परापु ने एक सामान्य साइकिल में बदलाव करके इसे सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल में तब्दील कर दिया है। इससे पहले भी वह कई आविष्कार कर चुके हैं।

देश में आज डीजल-पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं और इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ रहा है। एक तरफ जहां लोग इस परेशानी के लिए, सरकार और प्रशासन को दोष दे रहे हैं तो बहुत से लोग इसका हल तलाश रहे हैं। जैसा कि तेलंगाना के रहने वाले राजू मुप्परापु ने किया है। उन्होंने एक सामान्य साइकिल में बदलाव करके, इसे सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल में तब्दील कर दिया है। जिससे वह आसानी से कहीं भी आना-जाना कर सकते हैं। 

वारंगल जिले में गोपालपुरम गाँव के रहने वाले 31 वर्षीय राजू मुप्परापु, अपनी एक छोटी-सी टूल वर्कशॉप चलाते हैं। जहां पर वह तरह-तरह के इनोवेशन भी करते रहते हैं। वह कहते हैं कि उनके पिता इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे और राजू पर उनका प्रभाव बचपन से ही रहा है। इसलिए, राजू हमेशा से ही कुछ न कुछ अलग करने की सोचते हैं। लगातर पेट्रोल के बढ़ते दामों को देखकर, उन्हें लगा कि उन्हें कुछ ऐसा बनाना चाहिए, जिससे कि कम दूरी तय करने के लिए उन्हें मोटरसाइकिल, स्कूटर या कार पर निर्भर न होना पड़े। 

हमारे यहां परिवहन का सबसे सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल साधन है- साइकिल। लेकिन, सामान्य साइकिल से आप लंबी दूरी तय नहीं कर सकते हैं। इसके लिए, इलेक्ट्रिक साइकिल का उपयोग सही रहता है। लेकिन, बाजार में मिलने वाली इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत काफी ज्यादा है। इसलिए, इन्हें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। ऐसे में, राजू ने सोचा कि उन्हें ऐसा कुछ करना होगा, जिससे लोगों को कम कीमत में ऊर्जा से चलने वाली साइकिल मिल जाए। 

बनाई सौर ऊर्जा से चलने वाली साइकिल:

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सोलर साइकिल के साथ राजू

द बेटर इंडिया से बात करते हुए राजू ने कहा कि उन्होंने एक सामान्य साइकिल में ही, थोड़े-बहुत बदलाव करके अपनी सोलर साइकिल का मॉडल तैयार किया। वह बताते हैं, “मैंने इसमें सोलर पैनल और 12 वॉल्ट की बैटरी का इस्तेमाल किया है। बैटरी सोलर पैनल से चार्ज होती है और साइकिल में लगी 24 वॉल्ट की डीसी मोटर को चलाती हैं। अगर सूरज की धूप न होने पर बैटरी चार्ज न भी हो पाए तो आप इसे सामान्य साइकिल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।” 

राजू कहते हैं कि एक बार चार्ज होने के बाद, यह साइकिल 20 से 25 किमी तक चल सकती है और इसकी गति 25 किमी प्रति घंटा है। उन्होंने बताया, “अगर आपको, अपने शहर में ही कहीं काम से जाना है तो यह सोलर साइकिल अच्छा विकल्प है। क्योंकि, इससे आपके पेट्रोल के पैसे बचेंगे। और अगर आप स्कूटर या बाइक खरीदने की सोच रहे हैं तो उसकी जगह आप यह सोलर साइकिल ले सकते हैं। क्योंकि, इसकी कीमत बाकी इलेक्ट्रिक साइकिलों की तुलना में बहुत ही कम है। एक सोलर साइकिल तैयार करने की लागत नौ हजार रुपए आती है और मैं ग्राहकों को इसे 10 हजार रुपए की कीमत पर दे रहा हूँ।” 

साथ ही, वह आगे कहते हैं कि उनकी कोशिश सोलर साइकिल की कीमत और कम करने की है। जिस पर वह काम कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि इसकी कीमत वह और तीन-चार हजार रुपए कम कर पाएंगे। 

राजू अब तक अपने अलावा, छह और लोगों के लिए यह साइकिल बना चुके हैं। उनके एक ग्राहक, नामपल्ली राजकुमार बताते हैं, “मैंने राजू से अपनी पुरानी साइकिल को सोलर साइकिल में तब्दील कराया है और यह बहुत अच्छे से चल रही है। अगर साइकिल पर दो लोग भी बैठे हों, तब भी यह 20 किमी/घंटा के हिसाब से चलती है। अब लंबी दूरी तय करते समय भी थकान महसूस नहीं होती है क्योंकि ज्यादातर समय आपको खुद पेडल मारने की जरूरत ही नहीं होती है। अगर साइकिल पूरी चार्ज हो तो आप इसे 30-40 किमी तक चला सकते हैं।”  

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यह सोलर साइकिल सस्ती और ज्यादा प्रभावी होने के साथ-साथ, पर्यावरण के अनुकूल भी है। इससे न सिर्फ पेट्रोल-डीजल पर आपका खर्च कम होगा बल्कि जितना ज्यादा आप साइकिल इस्तेमाल करेंगे, उतना ही प्रदूषण कम करने में योगदान देंगे। 

किए हैं और भी आविष्कार: 

यह पहली बार नहीं है, जब राजू ने कुछ अलग किया है। कई सालों से राजू लगातार तकनीक की मदद से, आम समस्याओं के समाधान ढूंढने की कोशिशों में जुटे हैं। इससे पहले, उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्रों जैसे- बस स्टैंड के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाला ‘फोन चार्जिंग बूथ’ भी बनाया था। इससे आने-जाने वाले यात्री, अपना फ़ोन चार्ज कर सकते हैं। अपने गाँव के किसानों की परेशानी को समझते हुए, उन्होंने उनके लिए भी कई इनोवेटिव मशीनें बनाई हैं जैसे- ‘वीड कटर’, ‘सोलर पेस्टिसाइड स्प्रेयर’, ‘सोलर पॉवर्ड मल्टीपर्पस ग्रास कटर मशीन’ और ‘लाइट डिपेंडेंट रेसिस्टर सेंसर’ आदि। 

उनके ‘लाइट डिपेंडेंट रेसिस्टर सेंसर’ को काफी पहचान मिली है। जिले के 100 से ज्यादा गांवों में यह सेंसर लगाया गया है। वह बताते हैं, “यह डिवाइस सेंसर से काम करता है। इसे पता चल जाता है कि कब इसके पास रौशनी है और कब अँधेरा हो गया है। इस डिवाइस को अगर ट्रांसफार्मर से लगा दिया जाए तो इस सेंसर की मदद से, यह अपने-आप स्ट्रीटलाइट्स को ऑन-ऑफ कर देता है।” 

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राजू अक्सर देखते थे कि उनके गाँव में सुबह भी स्ट्रीटलाइट चालू रहती थीं और इन्हें बंद करने की ज़हमत कोई नहीं उठाना चाहता था। जिससे ऊर्जा की बर्बादी होती थी। लेकिन, उनके इस डिवाइस के लगने के बाद स्ट्रीटलाइट रात में खुद ऑन हो जाती हैं और सुबह अपने आप बंद हो जाती हैं। उन्होंने यह डिवाइस सबसे पहले अपने गाँव में लगाया था, जहां यह सफल रहा। इसके बाद प्रशासन ने, उनसे यह डिवाइस और 100 ग्राम पंचायतों में लगवाया। ताकि लोगों की अनदेखी के कारण हो रही ऊर्जा की बर्बादी को रोका जा सके।

वह अंत में कहते हैं कि उनका उद्देश्य लोगों की भलाई के लिए काम करना है। अभी यह सिर्फ एक शुरुआत है। उन्हें आगे और काम करना है, जिसमें वह जुटे हुए हैं। उनसे संपर्क करने के लिए आप उन्हें 9502855858 पर मैसेज कर सकते हैं। 

संपादन – प्रीति महावर

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