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एक मछुआरे ने You Tube के जरिए कैसे किया अपने कस्बे को रौशन, जानिए यहां

The Fisherman Youtuber

तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में रहने वाले एम शक्तिवेल के कस्बे में पहले बिजली की कोई सुविधा नहीं थी। उनके प्रयासों से कस्बे में 15 सोलर पैनल लगे और लोगों की जिंदगी से अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो गया। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!

“12वीं पास करने तक मेरे गांव में बिजली नहीं थी। हमने अपनी स्कूली पढ़ाई एक लालटेन के साथ पूरी की, जिसे जलाने के लिए मिट्टी के तेल की जरूरत होती है,” यह कहना है तमिलनाडु के तूतुकुड़ी के रहने वाले 30 वर्षीय एम शक्तिवेल का।

उनके कस्बे के लोगों के लिए शाम ढलने के बाद कोई भी काम करना मुश्किल था और उनका जीवन मिट्टी के तेल के दीयों के सहारे चल रहा था। फिर, 2004 में आए सुनामी के बाद कस्बे की मुख्य सड़क पर कुछ सोलर लैम्प पोस्ट लगे। लेकिन आज शक्तिवेल के कारण यहां के कई घर रौशन हो रहे हैं।

वह कहते हैं, “उस वक्त तक हमने बिजली के बारे में सिर्फ सुना था, लेकिन हमने अपने गांव में इसे कभी देखा नहीं था।”

फिर, शक्तिवेल को बिजली से जीवन में आने वाले सकारात्मक बदलावों का अनुभव हुआ और उन्होंने अपने गांव से अंधेरे को दूर करने का फैसला किया। उन्हीं के कठिन प्रयासों का नतीजा है कि आज उनके कस्बे के 15 घर रूफटॉप सोलर पैनल से रौशन हो रहे हैं।

यहां के लोगों के आमदनी का जरिया मछली पकड़ना है और शक्तिवेल भी अपने पिता के साथ यही काम करते थे।

वह कहते हैं, “हमने अपनी जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना किया है। कई बार हमारे पास खाने तक के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए हमारी माँ दलिया में अधिक पानी देकर काम चलाती थीं और कई बार तो हम भूखे पेट सो जाते थे।”

The Fisherman, M Shaktivel,  Thoothukudi Meenavan Youtube Channel Founder M Shaktivel

लेकिन, शक्तिवेल को चार साल पहले यूट्यूब के बारे में पता चला और उनकी जिंदगी हमेश के लिए बदल गई।

वह कहते हैं, “यूट्यूब की पहुंच से प्रभावित होकर मैंने अपने चैनल  – तूतुकुड़ी मीनवन, का पहला वीडियो डाला। इस वीडियो को स्मार्टफोन से रिकॉर्ड किया गया और पानी के अंदर शॉट लेने के लिए उसे पारदर्शी प्लास्टिक से कवर किया गया। इस वीडियो में हमने यह दिखाया कि मछुआरे समुद्र की गहराई में कैसे जाते हैं और जाल से मछली पकड़ते हैं।”

शक्तिवेल का यह वीडियो लोगों को काफी पसंद आया और उन्हें और वीडियो बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अब तक 500 से अधिक वीडियो बनाए हैं और यूट्यूब पर उनके सात लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं।

सोशल मीडिया से मिली मदद

Youtuber and fisherman M Shaktivel brought 15 solar panels to his village

हर वीडियो के साथ शक्तिवेल का दायरा बढ़ता गया। इसे लेकर वह कहते हैं, “मेरे पास श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे कई देशों के दर्शक हैं, जिनका दक्षिण भारत से कुछ न कुछ संबंध रहा है। उन्होंने मेरी मदद करने की इच्छा जाहिर की और मुझे पैसे भेजना शुरू कर दिया। इन पैसों से मैंने अपने कस्बे में सोलर पैनल लगाने का फैसला किया।”

इस तरह शक्तिवेल ने प्रयोग करना शुरू किया। वह बताते हैं कि पहले दो घरों में सोलर पैनल लगाने में 36,000 रुपये और 60,000 रुपए का खर्च आया, जो उन्हें काफी महंगा पड़ा।

वह कहते हैं, “मैंने इसके बाद सोलर पैनल लगाने के बारे में खुद सीखा और बाद में हर घर में हमने 16,000 रुपए से कम में सोलर पैनल लगाए। इन पैनलों से घर में तीन बल्ब, एक पंखा चलाने के अलावा बिना किसी दिक्कत के फोन और टॉर्चलाइट चार्ज किया जा सकता है।”

चूंकि, उनका कस्बा समुद्र के किनारे है, इसलिए उनके घरों में अक्सर कई समुद्री कीड़े-मकौड़े आ जाते हैं, लेकिन अब रातों में हमेशा बिजली के कारण उन्हें इन परेशानियों का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ता है।

शक्तिवेल बताते हैं कि सोलर पैनल लगाए जाने से पहले, यहां के लोगों को मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए भी पास के होटलों में जाना पड़ता था।

Tamilnadu fisherman M Shaktivel changed many lives in his village

वह कहते हैं, “यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता था, लेकिन हमें पहले अपने फोन को चार्ज करने के लिए, उनसे चाय खरीदनी पड़ती थी। अब अपने घरों में फोन चार्जिंग की सुविधा होने से लोगों में काफी उत्साह है। यह वास्तव में एक ऐसी खुशी है जिसे में शब्दों में बयां नहीं कर सकता।”

शक्तिवेल को अपने कस्बे के 15 घरों में सोलर पैनल लगाने में करीब एक साल लगे और इसके लिए उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

वह कहते हैं, “इस दौरान में कई बार फंसा, क्योंकि काम जारी रखने के लिए मेरे पास पर्याप्त फंड नहीं थे। पहला सोलर पैनल लगने पर, मैंने जिस खुशी को महसूस किया, उससे मुझे अपना काम पूरा करने की प्रेरणा मिली।”

वह अंत में कहते हैं, “आज भी जब मैं बिजली के लिए स्विच ऑन करता हूं, तो यह ऐसा क्षण होता है, जब मैं मुस्कुरा देता हूं। अंधेरे में नहीं रहना, हमारी सबसे बड़ी कमाई है।”

मूल लेख – विद्या राजा

संपादन- जी एन झा

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