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6 आसान तरीकों से कम कर सकते हैं बिजली बिल

How to save electricity at home

क्या आप भी चाहते हैं कि आपका घर ऐसा हो, जहां न केवल बिजली का बिल कम आए, बल्कि वह पर्यावरण के अनुकूल भी हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक सस्टेनबल घर की। अगर आप सचमुच ऐसा ही घर चाहते हैं, तो शुरुआत से ही आपको बिजली की बचत के बारे में सोचना होगा।

क्या आप भी चाहते हैं कि आपका घर ऐसा हो, जहां न केवल बिजली का बिल कम आए, बल्कि वह पर्यावरण के अनुकूल भी हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं एक सस्टेनबल घर की। अगर आप सचमुच ऐसा ही घर चाहते हैं, तो शुरुआत से ही आपको बिजली की बचत के बारे में सोचना होगा। यानी घर का निर्माण करवाते समय आर्किटेक्ट को कुछ खास हिदायतें देनी होंगी, जिससे आप बिजली की बचत और खपत दोनों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

1.घर डिजाइन करते समय दें ध्यान

आप जिस भी इलाके में अपना घर बना रहे हैं, वहां की जलवायु परिस्थितियों का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं। घर के अंदर आनेवाली सूरज की रोशनी और हवा दोनों ही बिजली की खपत को कम कर सकती हैं। 

घर का मुंह दक्षिण और उत्तर की दिशा में होना चाहिए। घर का वह हिस्सा, जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है, मसलन लिविंग रूम, लाउंज और बेडरूम, इन सभी को दक्षिण दिशा में बनाएं। इसके बगल में बरामदा और बालकनी बनाएं, ताकि गर्मियों में छांव और सर्दियों में धूप दोनों मिलती रहे।

आपके क्षेत्र में आमतौर पर हवाओं का रुख किस तरफ का है, यह जानने के लिए डेटा का इस्तेमाल करें। कहने का मतलब है कि गर्मियों में ठंडी हवा मिले और सर्दियों में आप इन हवाओं से बचे रहें, कुछ इस तरह से घर का डिजाइन प्लान करें।

2. सूरज की रोशनी है जरूरी 

Natural lighting skylight
Natural lighting skylight (Pic Courtesy: Priyanka Sharma)

घर ऐसा हो जिसमें आपको दिन में लाइट जलाने की जरूरत ही न पड़े। इसके लिए घर में खिड़कियां, रोशनदान और एक बड़ा सा खुला भाग होना जरूरी है। इसके दो फायदे हैं- घर में पूरे समय रोशनी तो बनी ही रहेगी, साथ ही हवा भी मिलती रहेगी। इससे दिन के समय बिजली की खपत ना के बराबर होगी।

उत्तर दिशा से आने वाली रोशनी दूर तक फैलती है और इसमें चमक नहीं होती। कुल मिलाकर ये स्टडी रूम, लाइब्रेरी और स्टूडियो के लिए बिल्कुल परफेक्ट है। जितना संभव हो सके उत्तर और दक्षिण दिशा की तरफ खुलने वाली खिड़कियां बनाएं। गर्मियों की तेज धूप से बचने के लिए दक्षिण दिशा में बनीं खिड़कियों के ऊपर छज्जा बनाएं।

कोशिश करें कि पश्चिम दिशा की तरफ कोई खिड़की या दरवाजा न हो। क्योंकि दोपहर का सूरज बहुत अधिक गर्मी और चौंध का कारण बनता है। बाहर की तरफ जाली लगाएं और घर के अंदर पर्दे या फिर ब्लाईंड। इससे काफी हद तक आप अपने घर को गर्म होने से बचा सकते हैं।

3. इन लाइट्स का करें इस्तेमाल

घर में उजाले के साथ-साथ गर्मी और चौंध से बचने के उपाय भी करने होंगे। खिड़कियों के आकार, उसकी स्थिति और उन पर लगाए जाने वाले शीशे का खास ध्यान रखें। कई बार हम शौक़ में ऐसे शीशे लगा लेते हैं जो दिखने में सुंदर तो लगते हैं, मगर रोशनी को कम कर देते हैं और ऐसी ही कुछ गलतियां घर के इंटीरियर के साथ भी करते हैं। ऐसा करने से बचें। 

कृत्रिम रोशनी के लिए सीएफएल और एलईडी सबसे बेहतर हैं। अन्य लााइट्स की तुलना में ये 25-75 प्रतिशत तक कम बिजली खर्च करते हैं। आर्टिफिशल लाइटिंग को अनुकूल बनाने के लिए डिमर्स, फोटो सेंसर और मोशन सेंसर का इस्तेमाल करें।

सेंसर से जरूरत न होने पर लाइट खुद ब खुद बंद हो जाती है। माना कि घर को सुंदर बनाने के लिए सजावटी लाइट का होना जरूरी है। ठीक है, आप उन्हें जरुर लगाएं लेकिन जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करें और बल्ब बेहतर क्वालिटी के ही लें। 

4. प्राकृतिक वेंटिलेशन और थर्मल कंफर्ट

Natural ventilation and thermal comfort
Natural ventilation and thermal comfort

घर की खिड़कियों और दरवाजों से हवा आती-जाती रहेगी, तो घर गर्मियों में भी ठंडा बना रहेगा। नैचुरल वेंटिलेशन के जरिए पैसिव कुलिंग सिस्टम का फायदा उठाएं। यानि घर को बिजली के उपकरणों की बजाय प्राकृतिक तौर पर ठंडा होने दें। जहां तक संभव हो संवहन वेंटिलेशन के सिद्धांत को अपनाएं। जहां गर्म हवा ऊपर की ओर उठती है और उसकी जगह ठंडी हवाएं ले लेती हैं।

घर में आंगन, क्लेस्टोरी विंडो, खुलने वाले रोशनदान और एट्रियम का होना काफी जरुरी है। इसके अलावा, तापमान को कम करने के लिए वाष्पीकरणीय शीतलन तकनीकों (Evaporative Cooling Techniques) का उपयोग किया जा सकता है। घर के इन्सुलेशन में सुधार के लिए खिड़कियों के लिए डबल ग्लेज़िंग का प्रयोग करें।

5. प्राकृतिक चीज़ों का करें इस्तेमाल

घर बनाने के लिए सही तरीके का सामान औऱ कंस्ट्रक्शन तकनीक, थर्मल कंफर्ट को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कंक्रीट, स्टील और कांच की तुलना में प्राकृतिक चीजें मसलन पत्थर, लकड़ी, मिट्टी, बांस और पुआल ज्यादा फायदेमंद हैं। संभव हो तो घर बनाने में ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करें।

कैविटी वॉल और रैट ट्रैप बॉन्ड जैसी निर्माण तकनीक से इन्सुलेशन को बनाए रखने में मदद मिलती है। छज्जा, जाली, बरामदा, बालकनी और आंगन पुराने घरों की जान होते थे। इनसे न केवल घर में छाया बनी रहती है, बल्कि हवा के आवागमन को भी ये बेहतर बनाएं रखते हैं। ज्यादातर घरों में गर्मी, छत के तपने से होती है। इसलिए इसे सफेद रंग से पेंट कर दें। ताकि सूरज की रोशनी प्रतिबिंबित हो जाए और घर का अंदरूनी हिस्सा ठंडा बना रहे।

क्या आपको पता है एक डेढ़ टन का स्पिल्ट एसी 45 मिनट में एक किलोवॉट या एक यूनिट बिजली की खपत करता है? घर को कुछ इस तरह से डिजाइन करें, ताकि एसी की जरूरत ही न रहे या फिर इसकी जरुरत कम से कम पड़े।

4.सौर ऊर्जा का इस्तेमाल

घर की छत पर पीवी (फोटोवोल्टिक) पैनलों को लगाकर आप सोलर एनर्जी से घर के पंखे और लाइट के साथ गीजर में पानी भी गरम कर सकते हैं। इससे बिजली की अच्छी खासी बचत होती है। सोलर वॉटर हीटर काफी किफायती होते हैं। उन्हें लगाना और इस्तेमाल करना आसान है।

पीवी सिस्टम दो तरह के होते हैं: ग्रिड-कनेक्टेड और ऑफ-ग्रिड। ग्रिड-कनेक्टेड प्रणाली, पावर ग्रिड से जुड़ी होती है। जबकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम, ग्रिड से कनेक्ट नहीं होते हैं। इसलिए उन्हें बिजली स्टोर करने के लिए महंगी बैटरी की जरुरत होती है। सरकार, भारतीय निर्माताओं को ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम पर न केवल सब्सिडी देती है, बल्कि लोन मुहैया कराकर उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। सोलर एलर्जी से चलने वाले लैंप, वॉटर पंप, कुकर और गार्डन लाइट भी आप चाहें तो इस्तेमाल कर सकते हैं।

जे एस बधवार सौर पैनलों का कारोबार करते है। लुधियाना में इनकी कंपनी है। वह कहते हैं, “लोगों को सोलर एनर्जी के फायदों के बारे में काफी जानकारी है और अब वह अपने घरों में इसे इस्तेमाल करने लगे हैं। एक किलोवाट की रूफटॉप ग्रिड से जुड़ी सौर इकाई की लागत तकरीबन 70,000 रुपये है। इसे लगाने के लिए 100 वर्ग फुट की जगह चाहिए। आप इस पैसे को 4 से 6 सालों में वसूल कर लेंगे और सबसे बड़ी बात यह सिस्टम ज्यादा रखरखाव नहीं मांगता।” 

5. लैंडस्केप डिजाइन

Energy efficient home employing passive design elements and solar panels
Energy efficient home employing passive design elements and solar panels

अगर घर के आस-पास थोड़ी भी जमीन खाली है, तो उस पर ठीक ढंग से लैंडस्केपिंग कर काफी हद तक बिजली के बिल को कम किया जा सकता है। खाली जमीन पर सीमेंट का फर्श डालने या टाइल्स लगाने से बेहतर है कि वहां घास उगाएं। इससे घर का वातावरण ठंडा बना रहेगा। घर के आसपास लगे पेड़-पौधे और झाड़ियां घर को छाया देंगे। ऐसा कर आप 25 प्रतिशत तक बिजली बचा सकते हैं।

पेड़ों की छाया और उनसे होने वाला वाष्पीकरण आसपास की हवा के तापमान को छह फ़ारेनहाइट तक कम कर सकता है। पेड़ के ठीक नीचे का तापमान सड़क की तुलना में 25 डिग्री फ़ारेनहाइट ठंडा होता है। इसलिए घर के आसपास जितना हो सके पेड़ लगाएं। अगर घर के अहाते या आंगन में स्विमिंग पूल जैसा कुछ है, तो आपके घर में आने वाली ठंडी हवाओं को कोई नहीं रोक सकता।

वहीं घर की छत पर टेरेस गार्डनिंग करने से छत ठंडी रहती है। लैंडस्कैप से हवाओं के रुख को मोड़ा जा सकता है और उनकी तीव्रता को कम करने में मदद मिलती है।

6. बिजली का सामान ज़रा सोच समझकर खरीदें

घर में बिजली से चलने वाले जितने भी उकरण हैं, उन्हें खरीदते समय कुछ बातों का ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। बिजली की अधिकांश खपत यही अप्लाइंसेस करते हैं। उच्च बीईई (Bureau of energy efficiency) स्टार रेटिंग का ध्यान रखें। बीईई के अनुसार, 5 स्टार रेटिंग वाला 250 लीटर फ्रॉस्ट रेफ्रिजरेटर केवल 400 यूनिट की खपत करता है, जबकि बिना स्टार वाला रेफ्रिजरेटर इतने ही समय में लगभग 1100 यूनिट खर्च कर देता है।

रेटिंग की अच्छे से जांच-पड़ताल करने के बाद ही इन सामानों को खरीदें। अगर आप एसी को 22 डिग्री से ऊपर चलाते हैं, तो यह आपके बिजली के बिल को 3 से 5 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इंस्टेंट वॉटर हीटर ज्यादा बिजली खर्च करता है, तो बेहतर यही रहेगा कि इसकी जगह स्टोरेज हीटर लगाया जाए। 

डिवाइस चार्ज होने के बाद, चार्जर को अनप्लग करें और गैजेट्स को स्टैंडबाय मोड पर न रखें, वरना वह पावर लेते रहेंगे। इसे ‘वैम्पायर लोड’ कहते हैं, जो एक घर में खपत होने वाली कुल बिजली का लगभग 5 प्रतिशत होता है। एनर्जी सेविंग मोड से एक तिहाई बिजली खपत को बचाने में मदद मिलेगी। 

मूल लेखः नविता सिंह

संपादनः अर्चना दुबे

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